बोली हमरी पूरबी : पंजाबी कविताएँ







समकालीन पंजाबी कविताओं से अपनी पसंद की कुछ कविताओं का अनुवाद हरप्रीत ने किया है.





 





समकालीन पंजाबी कविताएँ                






मनजीत टिवाणा
शो-केस

लड़की कांच से बनी हुई थी
और लड़का मांस का
लड़की ने लड़के की और देखा
और कांच ने मांस को कहा
मुझे सालम का सालम निगल जा
लड़के ने अपनी बड़ी आंत के छोटे हाजमे
के बारे में सोचा

लड़की फिर बोली
डरपोक
कम से कम मुझे शो केस से मुक्त तो कर
सड़क पर रखकर तोड़ दे
पांव ने चमड़ी के नाजुक होने के बारे में सोचा
लड़की फिर बोली
यदि सोचना ही है तो घर जाकर सोच
सड़क पर तुम्हारा क्या काम?
मैं तो शो केस में ही बोलती रहूंगी
कांच की लड़की शो केस में बोलती रही
लड़का मांस का पड़ा सड़क पर सोचता रहा.




  
जसवीर
सीमांत के आर-पार

छप्पर किनारे
आक ककड़ी में जब
वह पंखों सहित जन्मी
हवा ने हंसकर कहा था
मुझे पता है तू मेरी  ही पीठ पर सवार होगी
माँ को आँगन  लीपते देख
पता नहीं उसने किससे कहा था
मुझे तो अभी आसमान लीपना है

सूरज ने जब उसका पहला खत पढ़ा
चांद उसे मिलने के लिए
सारी रात बादलों से घुलता रहा
तारे उसे अपने पाश में
लपेटे रखने के लिए
बार-बार टूटते रहे
इसी खींचतान के समय में
नील-आर्मस्टांग के नाम
लिखा उसका एक खत मिलता है
मून ईज नॉट माई लिमिट.





  
सुखविन्द्र अमृत
ऐ मुहब्बत

ऐ मुहब्बत
मैं तेरे पास से
मायूस होकर नहीं लौटना चाहती
नहीं चाहती
कि तेरा वह बुलंद रूतबा
जो मैंने देखा था
अपने मन में कभी
नीचा हो जाए कभी
नीचा हो जाए

इतना नीचा
कि तेरा पवित्र नाम
मेरी जुबान से फिसलकर
नीचे गिर जाए
फिर तेरी कसक
मुझे उमर भर तड़पाए
ऐ मुहब्बत
मेरा मान रख
तू इस तरह कसकर मुझे गले लगा
कि मेरा दम निकल जाए
और कोई जान न सके
कि तू मेरी जिंदगी है या मुक्ति
ऐ मुहब्बत
मैं तेरे पास से
मायूस हो कर नहीं लौटना चाहती
मुझे जज्ब कर ले
अपने आप में.
          




वनीता
तू मुझे प्यार न करना

जो प्यार करते हैं
फूल बनते हैं या तारा
फूल महक बांटते हैं
हवाओं में घुल जाते हैं
सूख जाते हैं और फिर खत्म हो जाते हैं

जो प्यार करते हैं
तारा बनकर आसमान में चढ़ जाते हैं
मैं नहीं चाहती
तू मुझे प्यार करे
प्यार करने वाले
फूल बनते हैं या तारा
पास नहीं रहते
न न तू मुझे प्यार न करना.
     




शशि समुंद्रा
जब वह

जब वह दोस्त बना
तो कितना अच्छा था
जब वह महबूब बना
कितना सुंदर वह प्यारा था
जब वह पति बना
तो सब बदल गया
वह हिटलर बन गया
और वह  उसके कंसन्ट्रेशन कैंप में
एक यहूदी स्त्री.







अमरजीत कौंके              
प्यार

मैं जानता हूं, उसकी सब बातें झूठ हैं
वह जानती है, मेरी सब बातें फरेब हैं
लेकिन फिर भी, हम एक दूसरे पर यकीन करते हैं
वर्षों तक, एक दूसरे के बिना
आराम से रहते हैं
और मिलते पर
एक दूसरे के बिना
मर जाने के दावे करते हैं
प्यार मनुष्य को झूठ पर भी
...यकीन करना सीखा देता है .

      





सुखपाल
इंतजार

बहुत समय से खड़ा
इंतजार में हूँ
तू दरवाजा खोले
और कहे
तुझे पता है, न...
मैं क्या कहना चाहती हूं .
               






रविंदर भट्ठल
सेलेबस के बाहर की बातें

अम्मी ! आज यह खत लिखते हुए
मैं बहुत उदास हूँ
इतनी उदास कि मेरा यह हास्टल का कमरा
कमरा नहीं, कब्र लगता है
कापियां किताबें काले सांप सरीखी बन गई हैं
और इस कमरे में छोटी-सी खिड़की में से
सूरज छिपता नहीं
डूबता, मरता लगता है
और इस उदासी के आलम में
मां मेरी!
मुझे तेरी लोरियां याद आ रही हैं
घड़़ों की पीठ पर सेवइयां बनाना
बेरी के बेर तोड़ना
मिट्टी गूंथ-गूंथकर साँझ के तारे बनाना
अडडा-टप्पा, पीच्चों-बकरी खेलना
हॅसना, कूदना, गीत गाना
और बीती रात तक तारों की छाया तलें
पीहर आई बुआ से बातें सुनना
बहुत कुछ है
जो मेरे अतीत में तो है
पर बहुत पीछे रह गया है
हास्टल के चैतरफा बहुत फूल खिले हैं
यहां बिजली के पंखें हैं

सारी रात लैम्पपोस्ट जलते हैं
बेअंत लड़कियां हैं फिल्मी गीत गाती.







निरूपमा दत्त
कुछ नहीं बदला

शहर बदलने से
कुछ भी तो
नहीं बदलता
न सुरमई सड़कों
की लंबाई
न दिन की
चिलचिलाती धूप
न रात का
खामोश शोर
न खिड़की से झांकता
आसमान का
गर्दिला टुकड़ा
न कांपती आवाज
में दिया गया
मां का आशीर्वाद!
बदलता है
तो शायद सिर्फ
महबूब का नाम! .

_________
               
 हरप्रीत कौर : १९८१श्री गंगानगर
पत्र-पत्रिकाओं में कविताएँ प्रकाशित  
तू मैंनू सिरलेख दे कविता संग्रह पंजाबी में शीघ्र प्रकाश्य
विनोद कुमार शुक्ल के उपन्यास दीवार में खिड़की रहती थी  का पंजाबी में अनुवाद
महात्मा गांधी अंतरराष्टीय हिन्दी विश्वविद्यालय में शोधरत
ई-पता : harpreetdhaliwal09@gmail.com

20/Post a Comment/Comments

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  1. बहुत कुछ है
    जो मेरे अतीत में तो है
    पर बहुत पीछे रह गया है..

    बहुत बढ़िया ……

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  2. 'प्यार मनुष्य को झूठ पर भी
    ...यकीन करना सीखा देता है'
    ...एकदम सही कहा हरप्रीत जी...

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  3. जो प्यार करते हैं
    तारा बनकर आसमान में चढ़ जाते हैं
    मैं नहीं चाहती
    तू मुझे प्यार करे
    प्यार करने वाले
    फूल बनते हैं या तारा
    पास नहीं रहते
    न न तू मुझे प्यार न करना...........वाह कुछ प्यार और जीवन के अनसुलझे पहलुओं पर गज़ब का लेखन पर्स्तुत किया है कविताओं द्वारा ...हरप्रीत जी ने अच्छा प्रयास किया ....आप का आभार आप ने भी हम तक पहुँचाया अरुण जी !!!!!!!!!!!!!

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  4. .....सच है...हरप्रीत....
    प्यार मनुष्य को झूठ पर भी
    ...यकीन करना सीखा देता है ......अच्छा अनुवाद...शुभकामनाएं

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  5. सूरज छिपता नहीं
    डूबता, मरता लगता है

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  6. बहुत समय से खड़ा
    इंतजार में हूँ
    तू दरवाजा खोले
    और कहे
    तुझे पता है, न...
    मैं क्या कहना चाहती हूं .

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  7. Harpreet , aapne anuwad bahut sundar kiya hai .. aapke sundar bhavishy ke liye shubhkaamnaen!

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  8. हरप्रीत ने बहुत अच्छा अनुवाद किया है। कविताओं का उनका चयन भी अनूठा है। उससे भी एक लय टपकती है। प्रेमगीतों सा सम्मोहन। लेकिन साथ में स्त्री-पुरुष के आपसी संबंधों का भी एक पार्श्व और उसमें से उभरता एक मद्धिम-सा अडिग स्वर...

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  9. इन कविताओं की प्रत्येक पंक्ति को पहले प्यार किया गया है, फिर उसमें डूबा गया है और फिर उसका अनुवाद किया गया है। दूसरे शब्दों में कहूँ तो कविताओं का अनुवाद नहीं, कायांतर हुआ है। सुंदर कविताओं का सुंदर अनुवाद। बहुत बहुत बधाई, बहुत बहुत शुभकामनाएँ हरप्रीत और समालोचन दोनों को!

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  10. ek sunder chayan aur sunder anuvad
    saadhuvaad harpreet tumhe sau sau saadhuvaad

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  11. जोबन रुते जो बी मरदा फूल बने या तारा ,जोबन रुते आशिक मर दे या कोई कर्मा वाला अस्सआ ते जोबन रुते मरना --शिव बटालवी ने यही तो कहा था और आप कहती हे प्यार मत करना

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  12. PUNJABI KAVITAON KA
    ACHHA ANUWAD KIYA HAI HARPREET NE !
    BADHAI HO HARPREET ko !
    HARPREET KHUD BHI ACHHI KAVITAYEN LIKHTI HAI !

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  13. deep feeling in poems, our talents are the gift that god gives to us. what we makes of talents is our gift bake to god, i hope god would be happy with your gift

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  14. sabhi rachnayen bahut achchhi hain.....shahi samunda ki rachna maine aapke hawale se apni wall pe share ki hai......

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