मार्केस : मैं सिर्फ़ एक फ़ोन करने आई थी : विजय शर्मा




मार्केस की कहानियों का जादुई यथार्थ यथार्थ को उसकी सम्पूर्ण निर्ममता और विडम्बना के साथ प्रस्तुत करता है. चीजें जिस तरह से जटिल और क्रूर होती गयी हैं उन्हें व्यक्त करने का यह एक साहित्यिक तरीका था जिसे मार्केस ने तलाश किया था जो बाद में सभी भाषाओँ में लोकप्रिय हुआ. कभी अस्तित्ववादी लेखकों ने इसी तरह के प्रयोग किये थे.

एक स्त्री अपने पति को सिर्फ एक फोन करने के लिए घर से बाहर निकलती है और फिर जो उसके साथ होता है उसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता.

I Only Came To Use The Phone’ मार्केस की प्रसिद्ध कहानियों में से एक है जिसका अनुवाद विजया शर्मा ने अंग्रेजी से हिंदी में किया है. विजय शर्मा का अनुवाद के क्षेत्र में बड़ा कार्य है. ‘अपनी धरती अपना आकाश : नोबेल के मंच से, ‘वॉल्ट डिज्नी: ऐनीमेशन का बादशाह’, ‘अफ़्रो-अमेरिकन स्त्री साहित्य’, ‘स्त्री, साहित्य और नोबेल पुरस्कार’, ‘क्षितिज के उस पार से’, ‘सात समुंदर पार से (प्रवासी साहित्य विश्लेषण), ‘देवदार के तुंग शिखर से’, ‘हिंसा, तमस एवं अन्य साहित्यिक आलेख आदि उनकी कृतियाँ हैं.


मैं सिर्फ़ एक फ़ोन करने आई थी
Gabriel García Márquez

विजय शर्मा





संत की एक दोपहर खूब वर्षा हो रही थी जब मारिया डि ला लुज़ सर्वान्टेस अकेली बार्सीलोना लौट रही थी. उसकी किराए की कार मोनेग्रोस के रेगिस्तान में खराब हो गई. वह सत्ताइस साल की समझदार, सुंदर मैक्सिकन थी. जिसने कुछ साल पहले तक गायिका के रूप में खूब नाम कमाया था. उसका विवाह कैबरे जादूगर से हुआ था. अपने कुछ रिश्तेदारों से जरागोजा में मिलने के बाद शाम को वह अपने पति से मिलने वाली थी. तूफ़ान में एक घंटे तक उस रास्ते से तेजी से गुजरने वाली कार और ट्रक को रोकने के लिए उसने  इशारा किया और अंत में एक जर्जर बस ड्राइवर को उस पर दया आई. उसने पहले ही बता दिया कि वह बहुत दूर नहीं जा रहा था.
“कोई बात नहीं,” मारिया ने कहा, “मुझे केवल एक फ़ोन करना है.”

यह सत्य था, उसे केवल अपने पति को फ़ोन करके यह बताना था कि वह सात बजे से पहले घर नहीं पहुँच पाएगी. एप्रिल में छात्रों वाला कोट और तटीय जूते पहने वह एक भीगी हुई छोटी चिड़िया-सी लग रही थी. वह इतनी परेशान हो गई थी कि कार की चाभियाँ लेना भूल गई. सैनिक ढ़ंग से ड्राइवर की बगल सीट पर बैठी औरत ने मारिया को तौलिया और कंबल दिया. उसने सरक कर मारिया को बैठने के लिए जगह भी दी. मारिया ने तौलिए से स्वयं को पोंछा और कम्बल लपेट कर बैठ गई. उसने सिगरेट जलाने की कोशिश की पर उसकी माचिस भींग गई थी. जिस स्त्री ने उसे सीट दी थी, उसी ने उसे लाइट दी और अभी भी सूखी बची सिगरेटों में से एक माँगी. जब वे सिगरेट पी रही थीं मारिया को अपनी मुसीबत किसी से साझा करने की इच्छा हुई. वर्षा तथा बस की खड़खड़ाहट के कारण उसने ऊँचे स्वर में बोलने की कोशिश की. उस औरत ने अपने होंठों पर अँगुली रख कर उसे बरज दिया.

“वे सो रही हैं,” वह फ़ुसफ़ुसाई.
मारिया ने उसके कंधे के ऊपर से देखा. बस अलग-अलग उम्र की औरतों से भरी पड़ी थी और वे अलग-अलग मुद्राओं में उसी की तरह कंबल में लिपटी सो रही थीं. उनकी हवा उसे भी लग गई और वह भी गुड़ी-मुड़ी हो वर्षा के शोर में डूब गई. जब वह जगी, अंधेरा हो चुका था और तूफ़ान बर्फ़ीली रिमझिम में बदल गया था. उसे कुछ पता न चला कि वह कितनी देर सोई और दुनिया के किस छोर पर वे पहुँच गए थे. उसकी पड़ौसन सतर्क थी.

“हम कहाँ हैं?” मारिया ने पूछा.
“हम पहुँच गए हैं”, औरत ने उत्तर दिया.
बस कोबल स्टोन वाले आहाते में घुस रही थी, पेड़ों के जंगल से घिरी एक विशाल, धुँधली पुरानी इमारत जो देखने में पुराना कॉन्वेंट लग रही थी. आहाते की लैम्प की रोशनी में बस में निश्चल बैठे यात्री नाममात्र को दीख रहे थे, जब तक कि उस औरत ने उन्हें मिलिट्री ढ़ंग से बाहर निकलने का आदेश नहीं दिया. एक आदिम आदेश जैसा कि एलीमेंट्री स्कूल में दिया जाता है. वे सब उम्रदराज औरतें थीं. उनकी चाल इतनी धीमी थी कि आँगन के नीम अंधेरे में वे स्वप्न की परछाइयों की मानिन्द लग रही थीं. अंत में उतरने वाली मारिया ने सोचा कि वे सब धार्मिक बहनें (नन) थीं. वह पक्के तौर पर कुछ समझ न पाई जब उसने देखा कि उन औरतों को यूनीफ़ॉर्म पहनी बहुत सारी औरतों ने बस के दरवाजे से उतारा, उनको सूखा रखने के लिए उनके सिर पर कंबल खींच कर उढ़ा दिया और उन्हें एक लाइन से खड़ा कर दिया. यह सब कुछ बिना बोले बल्कि निश्चित, दबंग तालियों के इशारे पर किया गया. मारिया ने गुडबॉय कहा और जिस औरत की सीट उसने साझा की थी उसे कंबल लौटाना चाहा. लेकिन उस औरत ने उसे कहा कि जब तक वह आँगन पार करे कंबल से अपना सिर ढ़के रखे और बताया कि इसे पोर्टर ऑफ़िस में लौटा दे.

“क्या यहाँ टेलीफ़ोन है?” मारिया ने पूछा.
“है न,” उस औरत ने कहा. “वे तुम्हें दिखा देंगे.” उसने एक और सिगरेट माँगी, मारिया ने उसे पूरा भींगा पैकेट दे दिया. “ये रास्ते में सूख जाएँगी,” वह बोली. चलती गाड़ी में चढ़ते हुए उस औरत ने गुडबॉय लहराया और तकरीबन चिल्लाते हुए ‘गुड लक’ कहा. मारिया को बिना कुछ बोलने का मौका दिए बस रवाना हो गई.

मारिया बिल्डिंग के गेट की ओर दौड़ने लगी. एक मेट्रन ने जोर से ताली बजा कर उसे रोकना चाहा पर उसे दबंग आवाज में चिल्लाना पड़ा: ‘स्टॉप, आई सेड!” मारिया ने कंबल के नीचे से झाँका. उसे एक जोड़ी ठंडी आँखें और वर्जना करती एक तर्जनी, अपनी ओर लाइन में लगने को दिखाती नजर आई. उसने आज्ञा का पालन किया. एक बार बरामदे में पहुँचते ही वह झुंड से अलग हो गई. उसने पोर्टर से पूछा कि फ़ोन कहाँ है. एक मेट्रन ने व्यंग्यात्मक लहजे में “इस ओर, सुंदरी, टेलीफ़ोन इस ओर है” कहते हुए उसे कंधे पर थपका कर लाइन में वापस खड़ा कर दिया.

मारिया दूसरी औरतों के साथ एक धुँधले गलियारे में चलती हुई एक डॉरमेट्री में पहुँची जहाँ मेट्रन ने कंबल ले लिए और उन्हें उनके बिस्तर देने शुरु किए. मारिया को वह जरा दयालु और बड़े ओहदे वाली लगी, वह एक सूचि में लिखे नामों का मिलान नई आने वालियों के कपड़े पर सिले टैग से कर रही थी, जब वह मारिया के पास पहुँची उसे यह देख कर आश्चर्य हुआ कि वह अपनी पहचान पहने हुए नहीं है.

“मैं केवल फ़ोन करने आई हूँ,” मारिया ने उसे बताया.
उसने बड़ी बेताबी से बताया कि हाईवे पर उसकी कार खराब हो गई थी. उसका पति जो पार्टियों में जादू दिखाता है, बार्सीलोना में उसका इंतजार कर रहा है. आधी रात से पहले उसके तीन कार्यक्रम हैं. वह अपने पति को बताना चाहती है कि वह समय पर उसके पास नहीं पहुँच सकेगी. तकरीबन सात बज रहे थे. वह दस मिनट में घर छोड़ेगा और उसे डर है कि यदि वह समय से न पहुँची तो वह सारे कार्यक्रम रद्द कर देगा. लगा मेट्रन उसकी बातें ध्यान से सुन रही है.

“तुम्हारा नाम क्या है?” उसने पूछा.
मारिया ने चैन की साँस लेते हुए अपना नाम बताया. लेकिन कई बार लिस्ट देखने पर भी उसे वह न मिला. खतरा सूँघते हुए उसने दूसरी मेट्रन से पूछा, जिसके पास बताने को कुछ न था. उसने कंधे उचका दिए.

“लेकिन मैं सिर्फ़ फ़ोन करने आई हूँ,” मारिया ने कहा.
“श्योर, हनी,” सुपरवाइजर ने उससे कहा. वह उसे बहुत मिठास (जो सच्ची कदापि नहीं थी) के साथ उसके बिस्तर की ओर ले चली. “अगर तुम अच्छी तरह रहोगी तो तुम जिसे चाहो उसे बुला सकोगी. लेकिन अभी नहीं, कल.”

तब मारिया के दिमाग में कुछ खटका हुआ. वह समझ गई कि बस में स्त्रियाँ ऐसे क्यों थीं, मानो वे एक्वेरियम के तल में हों. असल में उन्हें शामक दे कर नीम बेहोश किया गया था. और मोटी पत्थरों की दीवालों तथा ठंडी सीढ़ियों वाला यह अंधेरा महल असल में मानसिक रोगी स्त्रियों का अस्पताल था. वह भयभीत हो डॉरमेट्री से बाहर भागी, पर इसके पहले कि वह गेट तक पहुँचती मेकेनिक के कपड़े पहने एक विशालकाय मेट्रन ने अपने हाथ के भयंकर छपाटे से उसे रोक दिया और अपनी बाजुओं में जकड़ कर फ़र्श पर निश्चल कर दिया. उसके नीचे दबी हुई अवश मारिया ने अपनी बगल में देखा.

“भगवान के लिए, मैं अपनी मरी हुई माँ की सौगंध खा कर कहती हूँ, मैं केवल एक फ़ोन करने आई थी.” उसने कहा.
उसके चेहरे पर एक नजर डालते ही मारिया को पता चल गया कि पूरी तरह से इस पागल, उन्मादी सनकी– जिसका नाम अपने असामान्य बल के कारण हरकुलीना था–– से कोई भी विनती व्यर्थ है. वह कठिन मामलों की इनचार्ज थी, उसकी विशालकाय ध्रुवीय भालू जैसी बाँहें –जो मारने की कला में निपुण थी– से दो रोगियों की मौत हो चुकी थी. यह माना जा चुका था कि पहला केस दुर्घटना था. दूसरा स्पष्ट नहीं था. और हरकुलीना को चेतावनी दे कर सावधान कर दिया गया था कि अगली बार पूरी तौर पर जाँच होगी. यह एक जानी-मानी बात थी कि एक पुराने कुलीन परिवार की इस ब्लैक शीप का इतिहास पूरे स्पेन के विभिन्न मेंटल अस्पतालों में संदिग्ध दुर्घटनाओं से भरा हुआ था.

पहली रात उन्हें मारिया को नशे का इंजक्शन दे कर सुलाना पड़ा. जब सिगरेट पीने की तलब से वह सूर्योदय के पूर्व जागी उसकी कलाइयाँ और टखने बिस्तर पर छड़ों से बँधे हुए थे. वह चीखी पर कोई आया नहीं. सुबह जब उसका पति बार्सीलोना में उसका कोई सुराग न पा सका, उसे अस्पताल ले जाना पड़ा क्योंकि उन लोगों ने उसे अपनी ही दुर्दशा में अचेत पड़ा पाया.

जब उसे होश आया, उसे नहीं मालूम था कि कितना समय बीत चुका था. पर अब दुनिया उसे प्रेम का सागर लग रही थी. उसके बिस्तर के बगल में एक प्रभावशाली वृद्ध नंगे पैर चल रहा था और उसके दो मजबूत हाथों तथा प्यारी-सी मुस्कान ने मारिया को जीवित रहने की खुशी दी. वह सैनीटोरियम का डॉयरेक्टर था.

बिना उससे कुछ कहे, बिना उसका अभिवादन किए हुए मारिया ने एक सिगरेट माँगी. उसने एक जला कर करीब पूरे भरे पैकेट के साथ उसे दे दी. मारिया अपने आँसू न रोक सकी.
“रो कर अपना हृदय हल्का कर लो,” डॉक्टर ने सहलाती आवाज में कहा. “आँसू सर्वोत्तम दवा हैं.”

मारिया ने बिना किसी शर्म के अपना पूरा हृदय उड़ेल दिया क्योंकि वह अपने प्रेमियों के साथ प्रेम के बाद बचे समय में यह कभी न कर पाई थी. सुनने के बीच डॉक्टर अपनी अँगुलियों से उसके बाल सहलाता रहा. उसकी सांस संतुलित रखने के लिए उसका तकिया ठीक करता रहा, उसे उसकी द्विविधा की भूलभुल्लैया से ऐसी मिठास और होशियारी से निकालता रहा जिसकी उसने कभी कल्पना न की थी. यह जादू उसके जीवन में पहली बार हो रहा था जब कोई पुरुष उसकी सारी बातें इतने मन से सुन रहा था, और बदले में उसके साथ हमबिस्तर होने की उम्मीद नहीं कर रहा था. एक लंबे समय के बाद जब वह अपना हृदय उड़ेल चुकी तब उसने अपने पति से फ़ोन पर बात करने की आज्ञा माँगी.

डॉक्टर अपने पेशे की पूर्ण गरिमा के साथ उठ खड़ा हुआ. “अभी नहीं प्रिंसेस,” उसने पहले से भी ज्यादा मुलामियत से उसके गाल थपथपाते हुए कहा. “सब काम समय पर होंगे.” दरवाजे से उसने उसे बिशप का आशीर्वाद दिया, उस पर विश्वास रखने के लिए कहा और सदैव के लिए गायब हो गया.
उसी दोपहर मारिया को एक क्रमांक और वह कहाँ से आई है, उसकी पहचान के रहस्य आदि के बारे में कुछ ऊपरी तथ्यों के साथ पागलखाने में भर्ती कर दिया गया. हाशिए पर डॉक्टर ने अपने हाथ से एक मूल्यांकन लिखा: विक्षुब्ध.
जैसा कि मारिया ने सोचा था, उसके पति ने तीनों कार्यक्रमों के लिए उनका होर्टा जिले के घर अपने समय से आधा घंटा देर से छोड़ा. उनके दो वर्ष के मुक्त और बेहद संतुलित संग रहने के दौरान यह पहला अवसर था जब वह लेट थी. और उसने अनुमान लगाया कि यह पूरे क्षेत्र में होने वाली मूसलाधार बारिश के कारण हुआ होगा. बाहर जाने से पहले उसने दरवाजे पर रात भर की अपनी योजना का एक नोट लगा दिया.
पहली पार्टी में जहाँ सारे बच्चे कंगारू की पोशाक पहने हुए थे उसने अपना सर्वोत्तम जादू अदृश्य मछली वाला कार्यक्रम छोड़ दिया. क्योंकि यह वह बिना मारिया के नहीं कर सकता था. उसका दूसरा कार्यक्रम व्हीलचेयर में बैठी तिरावने वर्ष की एक बुढ़िया के घर में था. जिसे गर्व था कि वह अपने पिछले तीस बर्थडे, हर बार एक अलग जादूगर के साथ मनाती है. वह मारिया की गैरहाजरी से इतना परेशान था कि सामान्य ट्रिक्स पर भी अपना ध्यान केंद्रित नहीं कर पा रहा था. अपना तीसरा प्रोग्राम फ़्रेंच पर्यटकों के एक ग्रुप को उसने कैफ़े रैमब्लास, जहाँ वह हर रात जाता था, में बड़े बेमन से दिया. पर्यटकों ने जो देखा उन्हें विश्वास नहीं हुआ क्योंकि उन लोगों ने जादू को नकारा हुआ था. हर शो के बाद उसने अपने घर टेलीफ़ोन किया और हताशा में मारिया के उत्तर की प्रतीक्षा करता रहा. अंतिम बार फ़ोन करने के बाद वह स्वयं पर नियंत्रण नहीं रख सका, उसे अवश्य कुछ हो गया है.

पब्लिक परफ़ॉमेंस के लिए मिली हुई वैन से घर लौटते हुए उसने पैसिओ द ग्रसिया के किनारे लगे हुए वसंत में खूबसूरत पॉम वृक्षों को देखा और इस अशुभ सोच से काँप गया कि मारिया के बिना शहर कैसा लगेगा. उसकी अंतिम आशा पर पानी फ़िर गया जब उसने दरवाजे पर लगे अपने नोट को ज्यों-का-त्यों देखा. वह इतना बेहाल हो गया कि बिल्ली को खाना देना भी भूल गया.

जब मैं यह लिख रहा हूँ मुझे भान हुआ कि उसका असली नाम कभी नहीं जाना, क्योंकि बार्सीलोना में हम उसे उसके पेशे के नाम: ‘सेटर्नो द मेजीशियन’ से ही जानते थे. वह एक अजीब किस्म का आदमी था और उसका सामाजिक अनाड़ीपन सुधार के बाहर था. परंतु उसकी कमी की भरपाई मारिया कुछ ज्यादा ही कर पाती थी. यह वही थी जिसने उसका हाथ पकड़ कर समुदाय के भयंकर रहस्यों में साथ दिया, जहाँ कोई आदमी आधी रात के बाद अपनी पत्नी को बुलाने की कल्पना नहीं कर सकता है. पहुँचने के बाद पहले सेटर्नो ने इस घटना को भूल जाना चाहा. अत: आराम से उस रात जारागोजा फ़ोन किया जहाँ बूढ़ी सोती हुई दादी ने उसे बिना किसी खतरे के बताया कि मारिया लंच के बाद विदा हो गई है. वह सूर्योदय के समय केवल एक घंटे सोया. उसने एक भ्रामक स्वप्न देखा जिसमें उसने मारिया को खून के छींटे वाले शादी के जोड़े में देखा, वह भयभीत करने वाले विश्वास के साथ जागा कि इस बड़ी दुनिया में बिना उसके ही झेलने के लिए वह उसे सदा के लिए छोड़ गई है.

पिछले पाँच सालों में उसके सहित वह तीन भिन्न लोगों को छोड़ चुकी थी. मिलने के छ: महीनों के भीतर ही जब वे एंजोरस जिले में नौकरानी के कमरे में प्यार करने के पागलपन के सुख से ऊब गए थे, उसने उसे भी मैक्सिको शहर में छोड़ दिया था. एक रात अकथनीय कामुकता के बाद सुबह मारिया जा चुकी थी. वह अपने पीछे सब कुछ छोड़ गई थी यहाँ तक कि अपनी शादी की अँगूठी भी, उस पत्र के साथ जिसमें उसने बताया था कि वह प्यार के वहशीपन की यंत्रणा सहने में असमर्थ है.सेटर्नो ने सोचा कि वह अपने पहले पति के पास लौट गई है. हाईस्कूल के साथी जिसने उससे छिपा कर शादी की थी, जब वह नाबालिग थी. और जिसने उसने दो साल के प्रेमविहीन जीवन के बाद एक दूसरे आदमी के लिए छोड़ दिया था. लेकिन वह अपने माता-पिता के घर गई थी. और सेटर्नो उसे किसी भी कीमत पर वापस लाने उसके पीछे-पीछे गया.उसकी याचना बेशर्त थी. उसने इतने वायदे किए जो उसके बस में न थे. मगर मारिया का अजेय निश्चय आड़े आ गया. “प्यार थोड़े समय के लिए होता है और प्यार लंबे समय के लिए होता है.” वह बोली. और उसने निर्दयता से अपनी बात समाप्त की, “यह एक अल्पकालीन प्यार था.” उसकी कठोरता के सामने वह हार गया. ऑल सेंट्स डे की भोर में जब वह जानबूझ कर एक साल से छोड़े अपने अनाथ कमरे में लौटा तो बैठक में सोफ़े पर उसने मारिया को क्वाँरी वधु द्वारा पहने जाने वाले नारंगी के फ़ूलों वाले मुकुट और लंबी पोशाक में सोए हुए पाया.

मारिया ने उसे सच्चाई बताई. जमी-जमाई जिंदगी वाला नि:संतान विधुर उसका नया मंगेतर कैथोलिक धर्म के अनुसार सदा के लिए विवाह का मन बनाए तैयार उसे विवाह की बेदी पर इंतजार करता छोड़ गया. उसके माता-पिता ने इसके बावजूद रिसेप्शन देने का निश्चय किया. वह उनके संग नाटक करती रही. उसने नृत्य किया, संगीतकारों के संग गाना गाया, खूब छक कर पीया और बाद में उदास हो उसी स्थिति में आधी रात को सेटर्नो को खोजने निकल पड़ी.
वह घर पर नहीं था पर जहाँ वे छिपते थे वहाँ हॉल के गमले में उसे चाभी मिल गई. इस बार उसका समर्पण बिना शर्त था. ‘‘इस बार कितने दिन?” उसने पूछा था. वह विनिशियस ड मोरियस की पंक्ति में बोली: “जब तक चले तब तक, शाश्वत है प्रेम.” दो साल के बाद भी वह शाश्वत था.

लगता है मारिया में प्रौढ़ता आ गई थी. उसने अभिनेत्री बनने के अपने ख्वाब को तिलांजलि दे दी थी. पति के लिए काम और बिस्तर में पूर्णत: समर्पित हो गई थी. पिछले वर्ष के अंत में उन्होंने पेरपीग्नान में जादूगरों के एक समागम में भाग लिया और घर लौटते हुए पहली बार बार्सीलोना देखने गए. वह उन्हें इतना अच्छा लगा कि लगा कि आठ महीनों से वे वहीं रह रहे थे. उन्हें वह इतना जँच गया कि होर्टा की बगल में काटालोनियन में उन्होंने एक घर खरीद लिया. यह बहुत कोलाहलपूर्ण था. उनके पास दरबान-नौकर भी नहीं था. पर वहाँ पाँच बच्चों के लिए काफ़ी स्थान था. कोई जितनी खुशी की आशा कर सकता है, उनकी खुशी आशातीत थी. तब तक जब तक कि उसने सप्ताह अंत में किराए की एक कार ली. और अपने रिश्तेदारों से मिलने ज़ारागोजा गई. सोमवार रात सात बजे तक वापस लौटने की बात कह कर. गुरुवार की सुबह तक उसकी कोई खबर न थी.

अगले सोमवार को किराए की कार के बीमा वालों का फ़ोन आया और उन्होंने मारिया के विषय में पूछा. “मुझे कुछ नहीं मालूम,” सैटर्नो ने कहा. “उसे ज़ारागोजा में खोजो.” उसने फ़ोन रख दिया. एक सप्ताह बाद एक पुलिस ऑफ़ीसर ने घर पर सूचना दी कि मारिया ने जहाँ कार छोड़ी थी वहाँ से नौ सौ किलोमीटर दूर कैंडिज़ में पूरी तरह उजाड़ अवस्था में कार मिल गई है. ऑफ़ीसर जानना चाहता था क्या उसे चोरी के बारे में कोई और जानकारी है. उस समय सेटर्नो अपनी बिल्ली को खाना खिला रहा था. वह ऊपर नहीं देख रहा था जब उसने पुलिस वाले को साफ़-साफ़ कहा कि वे अपना समय बेकार न गँवाएँ. उसकी पत्नी उसे छोड़ गई है और उसे नहीं मालूम कि वह कहाँ है और किसके साथ है. उसका विश्वास इतना पक्का था कि ऑफ़ीसर को असुविधा अनुभव हुई. उसने अपने प्रश्न के लिए माफ़ी माँगी. उन्होंने केस बंद करने की घोषणा कर दी.

कैडैक्यूज में पिछले ईस्टर के अवसर पर सेटर्नो के मन में यह शंका फ़िर हुई कि मारिया उसे छोड़ जाएगी, जहाँ रोजा रेगास ने उन्हें नौका विहार के लिए आमंत्रित किया था. उस दिन का सिगरेट का दूसरा पैकेट पीने के बाद उसकी माचिस समाप्त हो गई. भीड़ भरे शोरगुल वाले टेबल के बीच से एक पतला बालों भरा हाथ जिसमें रोमन काँसे का ब्रेसलेट था आगे बढ़ा और उसने आग दी. वह जिस व्यक्ति को धन्यवाद दे रही थी, उसकी ओर बिना देखे ही उसने धन्यवाद कहा, परंतु जादूगर सेटर्नो ने उसे देखा– कमर तक झूलती एक काली चोटी वाला हड़ियल, सफ़ाचट किशोर, इतना पीला मानो मृत्यु हो. बार की खिड़कियों के पल्ले किसी तरह वसंत की उत्तरी हवा को सह सके, लेकिन वह मात्र एक सूती पाजामा और किसानों वाली चप्पलें पहने हुए था.

उन्होंने उसे ला बार्सीलोना बार में उन्हीं सूती कपड़ों और पोनीटेल की जगह लंबी दाढ़ी में पतझड़ के अंत तक दोबारा नहीं देखा. उसने दोनों का अभिवादन किया मानो पुराने मित्र हों. और जैसे उसने मारिया का चुम्बन लिया और जैसे मारिया ने उसे चूमा, सेटर्नो को शक हुआ कि वे चुपचाप बराबर मिलते रहे हैं. कुछ दिनों के बाद उसने देखा कि उनके घर की टेलीफ़ोन बुक में मारिया ने एक नया नाम और फ़ोन नंबर लिख रखा है और बेदर्द जलन. ईर्ष्या ने स्पष्ट कर दिया कि वे किससे हैं. घुसपैठिए की पृष्ठभूमि इसका पक्का सबूत था: वह एक अमीर परिवार का बाइस साल का इकलौता वारिस था. नेबल दुकानों की खिड़कियों की सजावट का काम करता था. उसकी ख्याति कभी-कदा बाईसैक्सुअल के रूप में थी, जो शादीशुदा औरतों को पैसों के एवज में सुख पहुँचाने के लिए बदनाम था. जिस दिन गई रात तक मारिया घर नहीं लौटी सेटर्नो स्वयं को जब्त किए रहा. इसके बाद वह रोज फ़ोन करने लगा, सुबह छ: से अगली भोर तक. शुरु में हर दो-तीन घंटों पर, बाद में जब भी वह फ़ोन के करीब होता. इस वास्तविकता में कि कोई उत्तर नहीं देता सेटर्नोका शहीदीपन सघन होता गया. चौथे दिन वहाँ झाड़ू लगाने वाली एक एंडालुसीयन औरत ने फ़ोन उठाया. “वह चला गया है,” वह बोली, उसे पागल करने वाली अनिश्चितता के साथ. सेटर्नो यह पूछने से खुद को नहीं रोक पाया कि क्या वहाँ मारिया है?

“मारिया नाम का कोई नहीं रहता,” औरत ने उसे बताया. “वह क्वाँरा है.”
“मुझे मालूम है,” उसने कहा. “वह वहाँ नहीं रहती है लेकिन कभी-कभी आती है, ठीक?”
औरत चिढ़ गई.
“कौन है वह आखीर?”

सेटर्नो ने फ़ोन रख दिया. उस औरत के इंकार ने उसके शक को पक्का कर दिया. वह अपना संतुलन खो बैठा. आने वाले दिनों में बार्सीलोना में वह जिसको भी जानता था सबको उसने वर्णानुक्रम में फ़ोन किए. कोई उसे कुछ न बता सका. लेकिन हर काल ने उसकी बेचैनी और गहरी कर दी, क्योंकि उसकी ईर्ष्या ने उसे हँसी का पात्र बना दिया था. लोग उसे भड़काने के लिए कुछ-न-कुछ कह देते और वह सुलग उठता. और तब उसे पता चला कि स खूबसूरत, पागल शहर में वह कितना अकेला और बेचारा है. यहाँ वह कभी भी खुश नहीं रह पाएगा. भोर में उसने बिल्ली को खाना दिया और अपने हृदय को मजबूत किया और मारिया को भूल जाने की सोची.

दूसरी ओर उधर दो महीनों के बाद भी मारिया सैनीटोरियम की रुटीन से तालमेल नहीं बिठा पाई थी – उसकी दृष्टि सदैव भुतहे डाइनिंग रूम पर शासन कर रहे जनरल फ़्रैंसिस्को फ़्रैंको के लिथोग्राफ़ पर टिकी रहती. अनगढ़ लंबी टेबल से जंजीर में बँधी थाली में परोसे सुबह-शाम का बेस्वाद खाना खा जैसे-तैसे वह जिंदा थी. प्रारंभ में चर्च के रिवाज के अनुसार दिन भर चलने वाले कर्मकांडों – प्रशस्ति, प्रार्थना, शाम की उपासना – का उसने जम कर विरोध किया. मनोरंजन कक्ष में बॉल खेलना, वर्कशॉप में बैठ कर नकली फ़ूल बनाना भी उसे अच्छा न लगता. हालाँकि उसी की तरह आई दूसरी औरतें यह सब पूरे उत्साह से करतीं और वर्कशॉप जाने को लालायित रहतीं. लेकिन तीसरा सप्ताह बीतते-न-बीतते मारिया भी अन्य लोगों के साथ तालमेल बिठाने लगी. डॉक्टरों के अनुसार वहाँ भर्ती प्रत्येक औरत प्रारंभ में ऐसा प्रतिरोध करती ही है और जैसे-जैसे समय व्यतीत होता है, समूह में घुलने-मिलने लगती है.

कुछ ही दिनों में सिगरेट की कमी को वहाँ की एक मेट्रन ने सुलझा दिया. वह उन्हें कीमत वसूल कर सिगरेट मुहैया कराती. मारिया के साथ भी प्रारंभ में उसका व्यवहार ठीक था लेकिन ज्यों पैसे खतम हुए वह उसे सताने लगी. बाद में वह भी दूसरी औरतों की भाँति कचड़े से सिगरेट के टुकड़ों से तम्बाखू निकाल कर कागज में लपेट कर सिगरेट बना कर अपनी तलब पूरी करने लगी. सिगरेट की उसकी तलब टेलीफ़ोन के पास जाने जैसी ही उत्कट थी. कुछ समय बाद बेमन से वह नकली फ़ूल बनाने लगी और उससे प्राप्त पैसों से उसकी समस्या कुछ हल हुई.

सर्वाधिक कठिन था रात का अकेलापन. धुँधली रोशनी में उसकी तरह कई अन्य औरतें जागती रहतीं. वे कुछ नहीं करतीं क्योंकि जंजीर से जकड़े और भारी ताले से बंद दरवाजे पर बैठी मेट्रन भी जागती रहती. एक रात यंत्रणा से बेचैन मारिया ने बगल के बिस्तर तक जाती जोरदार आवाज में पूछा:
“हम कहाँ हैं?”
कब्र में उसके बगल वाले बिस्तर से स्पष्ट आवाज आई:
“नरक के गढ़े में.”
“लोग कहते हैं कि यह अश्वेतों का देश है,” एक अन्य ने कहा, और यह सत्य है तभी तो गर्मियों में चाँद देख कर समुद्र की ओर मुँह करके कुत्ते भौंकते हैं.” एक अन्य ने यह बात इतने जोर से कही कि बात पूरे हॉल में गूँज गई. तालों के संग घिसटने वाली जंजीर की आवाज गैली जहाज जैसी थी. और दरवाजा खुला. पहरे पर तैनात एकमात्र सजीव उनकी निर्दयी अभिभाविका एक छोर से दूसरे छोर तक चहलकदमी करने लगी. मारिया भय से जकड़ गई जिसका कारण सिर्फ़ वही जानती थी.

सैनीटोरियम में दाखिल होने के पहले सप्ताह से ही रात्रि मेट्रन उसे गार्डरूम में अपने साथ सोने का प्रस्ताव दे रही थी. उसने स्पष्ट रूप से बिजनेस जैसी बात कही, सिगरेट, चॉकलेट या जो भी वह चाहे बदले में उसे मिलेगा. “तुम्हें सब कुछ मिलेगा,” मेट्रन ने काँपती हुई आवाज में कहा, “तुम रानी होओगी.” जब मारिया ने इंकार किया, उसने चाल बदली और वह छोटे-छोटे प्रेमपत्र उसके तकिए के नीचे, उसकी जेब और अप्रत्याशित स्थानों पर रखने लगी. उनमें लिखा पत्थर को पिघलाने वाला होता. मारिया को अपनी पराजय स्वीकार किए हुए डोरमेट्री की घटना के बाद एक महीने से ऊपर हो चुका है. जब उसे लगा कि बाकी मरीज सो चुकी हैं तो मेट्रन मारिया के बिस्तर के करीब आई और उसके कान में गंदी-अश्लील बातें फ़ुसफ़ुसाने लगी. साथ ही वह मारिया का चेहरा, भय से अकड़ी हुई गर्दन, कसी हुई बाँहें तथा बेजान टाँगे चूमने लगी. मेट्रन इतने आवेश में थी कि उसे मारिया की लकवाग्रस्त हालत भय का परिणाम नहीं वरन उसकी रजामंदी लगी और वह आगे बढ़ती गई. उसे तब पता चला जब मारिया ने उसे उल्टे हाथ का झन्नाटेदार झापड़ रसीद किया और मेट्रन बगल वाले बिस्तर पर जा गिरी.शोरगुल करती अन्य स्त्रियों के बीच से गुस्से से भरी मेट्रन उठ खड़ी हुई.

“कुतिया! जब तक तुझे अपने पीछे न घुमाया, हम यहीं सड़ेंगी.”
जून के पहले रविवार को बिना सूचना के गर्मियाँ आ पहुँचीं. आपातकाल की खबर हुई जब चर्च में प्रार्थना के दौरान पसीने से नहाई मरीज अपने बेडोल गाउन उतारने लगीं. थोड़े मजे के साथ मारिया देखने लगी, मेट्रन नंगी औरतों को अंधे चूजों की तरह ऊपर-नीचे दौड़ाती. इस हंगामें मे मारिया खुद को भयंकर चोटों से बचाती. उसने खुद को ऑफ़िस में अकेला पाया जहाँ मासूम टेलीफ़ोन की घंटी उसे पुकार रही थी. मारिया ने झटपट बिना कुछ सोचे-समझे रिसीवर उठा लिया, दूसरी ओर से मुस्कुराती हुई टेलीफ़ोन कंपनी की समय सेवा की आवाज आई:
“समय हुआ है पैंतालिस घंटे, बानवे मिनट और एक सौ सात सैकेंड.”

“धत्त,” मारिया ने कहा.
मजा लेते हुए उसने रिसीवर टाँग दिया. वह बाहर निकलने ही वाली थी कि उसे ज्ञान हुआ मानो उसके हाथ से एक अनोखा अवसर निकला जा रहा है. उसने बिना किसी तनाव के  छ: अंक डायल किए, हालाँकि हड़बड़ी के कारण उसे विश्वास न था कि उसे अपने नए घर का नंबर याद है. धड़कते दिल से वह इंतजार करने लगी. उसने अपने फ़ोन की चिर-परिचित उदास आवाज सुनी, एक, दो, तीन बार और अंत में बिना उसके वाले घर में उस आदमी की आवाज सुनी जिसे वह प्यार करती थी.
“हेलो?”
उसे आँसूओं से भरे अपने गले की अवरुद्धता के कारण थोड़ा रुकना पड़ा.
“बेबी, स्वीटहार्ट,” उसांस भर कर उसने कहा.

उसके आँसू उस पर हावी हो गए. लाइन के दूसरी ओर संक्षिप्त लेकिन डरावना सन्नाटा था और ईर्ष्या से भरी आवाज पीक की तरह बाहर निकली:
“रंडी!”
और उसने रिसीवर जोर से पटक दिया.
उस रात मारिया गुस्से की झोंक में आ गई और उसने खाने के कमरे में लगे हुए जनरल के फ़ोटो को खींच उतारा और गार्डेन की ओर खुलने वाली स्टेनग्लास की खिड़की पर दे मारा, खुद लहुलुआन फ़र्श पर गिर पड़ी. उसमें इतना क्रोध भरा हुआ था कि उसे काबू में करने आई मेट्रनकी कोशिशें बेकार हो गईं.अंतत: उसने देखा कि हरकूलीना हाथ बाँधे दरवाजे पर खड़ी उसे घूर रही थी. मारिया ने खुद को उनके हवाले कर दिया. शक नहीं कि वे उसे हिंसक मरीजों वाले वार्ड में घसीट ले गईं. उस पर पानी की मोटी बौछार डाल कर शांत किया, और टर्पेंटाइन की सूई उसके पैरों में घुसेड़ दी.टर्पेंटाइन से हुई सूजन ने उसे चलने-फ़िरने से लाचार कर दिया. मारिया को विश्वास हो गया कि वह चाहे कुछ भी कर ले इस नरक से छुटकारा नहीं पा सकती है. अगले सप्ताह जब वह डोरमेट्री में वापस आई, रात को वह चुपके से मेट्रन के कमरे में गई और दरवाजा खटखटाया.

दरवाजा खुलते ही उसने मेट्रन से उसके साथ सोने की अग्रिम कीमत माँगी, मेट्रन उसके पति को संदेश भेजे. मेट्रन राजी हो गई, लेकिन इस शर्त पर की यह सारा कुछ बिल्कुल गुप्त रहना चाहिए. उसने अपनी तर्जनी दिखाते हुए कहा.
“अगर उन्हें पता चला तो तुम मरोगी.”

अगले रविवार सेटर्नो जादूगर अपनी सर्कस वैन लिए हुए मारिया को वापस ले जाने स्त्रियों के मानसिक अस्पताल पहुँचा. उसने मारिया की वापसी के लिए अपनी वैन खूब सजाई हुई थी. डॉयरेक्टर ने खुद उसकाअपने ऑफ़िस में स्वागत किया, ऑफ़िस जो खूब साफ़-सुथरा और ऐसे करीने से सजा हुआ था मानो युद्धपोत हो. उसने बड़े प्रेम से उसकी पत्नी के बारे में रिपोर्ट पेश की. मालूम नहीं वह यहाँ कैसे और कहाँ से आई. उसने उससे बात करके दाखिले का फ़ॉर्म भरवाया. उसके दाखिले के दिन जो जाँच शुरु हुई वह अब भी जारी है. जो बात डॉयरेक्टर को हलकान कर रही थी वह थी कि सैटर्नो को उसकी पत्नी का पता कैसे मिला. सैटर्नो ने मेट्रन को बचाया.

“इंस्योरेंस कंपनी ने मुझे बताया,” उसने कहा.

डॉयरेक्टर ने संतोष से गर्दन हिलाई. “पता नहीं इंस्योरेंस कंपनी को कहाँ से सब कुछ पता चल जाता है,” उसने कहा. उसने अपने सामने पड़ी मारिया की फ़ाइल पर नजर गड़ाते हुए निष्कर्ष दिया:
“उसकी दशा बहुत गंभीर है.”

वह सैटर्नो जादूगर को उसकी पत्नी से मिलने की आज्ञा देने को राजी था बशर्ते वह पत्नी की दशा को देखते हुए नियमों का बिना कोई प्रश्न पूछे पालन करे. उसने मारिया के बर्ताव के बारे में बताया, सावधानी बरतनी होगी ताकि उसका गुस्सा फ़िर से न भड़क जाए, उसकी दशा दिन-पर-दिन खराब होती जा रही है.

“कितना आश्चर्य है,” सैटर्नो ने कहा. “वह सदा से तुनक मिजाज थी, लेकिन उसे खुद पर नियंत्रण था.”

डॉक्टर ने अनुभव का संकेत दिया. “व्यवहार बरसों-बरस सुप्त रहते हैं और एक दिन फ़ूट पड़ते हैं.” उसने कहा. उसकी किस्मत अच्छी थी कि वह यहाँ आ गई. हमें ऐसे मरीजों के साथ सख्ती के साथ इलाज की विशिष्टा हासिल है.” फ़िर उसने मारिया के टेलीफ़ोन के प्रति अतिरिक्त लगाव के बारे में बताया.
“उसे हँसाओ,” उसने कहा.
“चिंता मत करो डॉक्टर,” सैटर्नो खुश होते हुए कहा. “यह तो मेरी खासियत है.”

मुलाकातियों का कमरा जेल कोठरी और कन्फ़ेशन सेल का मिला-जुला रूप था, यह पहले कॉन्वेंत में बाहरी लोगों से मिलने-जुलने का स्थान था. जैसा कि दोनों इंतजार कर रहे थे सैटर्नो का प्रवेश खुशियों का उन्माद ले कर नहीं आया. मारिया कमरे के बीच में खड़ी थी, उसकी बगल में दो कुर्सियाँ और एक टेबल तथा एक बिना गुलदस्ते के गुलदान रखा था. यह स्पष्ट था कि वह वहाँ से जाने के लिए तैयार हो कर आई थी. उसने स्ट्राबेरी रंग का कोट और किसी के दयापूर्वक दिए हुए बेरंग जूते पहने हुए थे. हरकूलीना नजरों से ओझल कोने में हाथ बाँधे खड़ी थी.जब अपने पति को भीतर आते देखा तब भी मारिया हिली नहीं. उसके किरचों से घायल चेहरे पर कोई भाव नहीं था. उन्होंने औपचारिक ढ़ंग से एक-दूसरे को चूमा.

“कैसा लग रहा है?” उसने पूछा.
“बेबी, खुश हूँ कि आखीर में तुम यहाँ हो,” वह बोली. “यह तो मौत थी.”

उनके पास बैठने का समय न था. आँसुओं में डूबते हुए मारिया ने अपनी भयंकर अवस्था बताई, मेट्रन की क्रूरता-पशुता, खाना कुत्तों के भी लायक नहीं है, अंतहीन रातें जब दहशत से उसकी पलकें भी नहीं झपकती हैं.

“मुझे पता नहीं मैं कितने दिनों, महीनों या सालों से यहाँ हूँ, सिर्फ़ इतना मालूम है कि हर अगला दिन पिछले दिन से अधिक डरावना होता है.” उसने अपनी पूरी आत्मा से उसांस भरी. “मैं नहीं सोचती कि अब कभी पहले जैसी हो पाऊँगी.”
“अब वह सब खतम हो गया है,” उसके चेहरे के ताजा घाव को अपनी अँगुलियों की पोरों से सहलाते हुए उसने कहा. “मैं हर शनिवार को आऊँगा. अगार डॉयरेक्टर ने इजाजत दी तो उससे भी ज्यादा बार. तुम देखना, सब कुछ ठीक हो जाएगा.”

उसने अपनी दहशत भरी आँखें सैटर्नो पर जमा दीं. सैटर्नो अपनी लुभाने वाली हरकतें करता रहा. उसने चासनी में डुबो कर झूठे किस्से बना कर डॉयेक्टर की बात बताई. “इसका मतलब है,” उसने निष्कर्ष दिया, “कि तुम्हें अभी स्वस्थ होने के लिए यहाँ कुछ और दिन रहना होगा.” मारिया वास्तविकता समझ गई.
“भगवान के लिए, बेबी,” स्तंभित उसने कहा, “तुम तो मत कहो कि मैं पागल हूँ!”
क्या तुमको ऐसा लगता है!” बात को हँसी में उड़ाते हुए उसने कहा. “लेकिन यह सब के लिए अच्छा होगा अगर तुम कुछ और समय यहीं रहो, अच्छी स्थिति में.”
“मगर मैं तुम्हें बता चुकी हूँ कि मैं यहाँ केवल फ़ोन करने आई थी!” मारिया ने कहा.

उसे नहीं मालूम था कि उसके डरावने आवेश के साथ कैसा व्यवहार करे. उसने हरकूलीना की ओर देखा. उसने संकेत को ग्रहण करते हुए अपनी कलाई घड़ी की ओर इशारा करते हुए बता दिया कि मुलाकात का समय समाप्त हो रहा है.मारिया ने इशारा समझा, उसने पीछे देखा, हरकूलीना झपट्टा मारने को तैयार थी. तब वह अपने पति की गर्दन सेचिपक गई और सच की पागल औरत की तरह बुक्का फ़ाड़ कर रोने लगी.जितने प्यार से संभव था वह उसे खुद से दूर करने लगा, उसने उसे हरकूलीना की दया पर छोड़ दिया जो पीछे से कूद पड़ी. मारिया को कोई मौका दिए बिना हरकूलीना ने अपने बाँए हाथ से उसे अपनी गिरफ़्त में ले लिया तथा अपने लौह दाँए हाथ से उसने उसकी गर्दन जकड़ ली और सैटर्नो से चिल्ला कर कहा:
“जाओ!”
भयभीत हो कर सेटर्नो भागा.

लेकिन अगले शनिवार जब वह कुछ संभल गया तो वह बिल्ली के साथ सैनीटोरियम लौटा. बिल्ली जिसे उसने अपने जैसे कपड़े पहना रखे थे: लाल-पीला लियोटार्डो का चुस्त कपड़ा, हैट और उड़ने के लिए बना लबादा. वह अपनी सर्कस वैन भीतर तक ले आया, और वहाँ उसने करीब तीन घंटे तक मजेदार करतब किए. जिसे वहाँ के लोगों ने बालकनी से देखा और चिल्ला-चिल्ला कर तथा अश्लील बातें कह कर उसे खूब बढ़ावा दिया. मारिया के अलावा सब वहाँ जमा थे वो न केवल उससे मिलने नहीं आई वरन उसने बालकनी से उसे देखा भी नहीं. सैटर्नो बहुत आहत हुआ.
“यह एक सामान्य व्यवहार है,” डॉरेक्टर ने उसे सान्त्वना दी. “यह ठीक हो जाएगा.”
लेकिन यह कभी ठीक नहीं हुआ.
मारिया को देखने सैटर्नो कई बार आया लेकिन वह उससे नहीं मिली और न ही उसने उसका पत्र स्वीकार किया. उसने चार बार पत्र बिना खोले, बिना किसी टिप्पणी के वापस कर दिया.सैटर्नो हार गया लेकिन उसने पोर्टर के ऑफ़िस में सिगरेट देना जारी रखा बिना यह जाने कि वे मारिया तक पहुँचती भी हैं अथवा नहीं. अंत में उसने वास्तविकता के सामने हार मान ली.

उसके बारे में किसी ने और कुछ नहीं सुना सिवाय इसके कि उसने दोबारा शादी कर ली और अपने देश लौट गया. बार्सीलोना छोड़ने से पहले उसने भूख से अधमरी बिल्ली को अपनी एक सामान्य गर्लफ़्रैंड को दे दिया, जिसने मारिया को सिगरेट देते रहने का वायदा किया था. लेकिन वह भी गायब हो गई. करीब बारह साल पहले रोसा रेगास ने उसे कोर्टे इंग्लिस डिपार्टमेंटल स्टोर में देखा था, सिर मुड़ा हुआ, किसी पूर्वी संप्रदाय का गेरुआ चोंगा पहने और गर्भवती थी वह.उसने रोसा को बताया कि जितनी बार संभव हुआ वह मारिया के लिए सिगरेट ले जाती रही तब तक जब तक कि एक दिन उसने वहाँ केवल अस्पताल का खंडहर पाया, जिसे बुरी स्मृति के दिनों की तरह ढ़हाया जा चुका था. आखिरी मुलाकात के समय मारिया ठीक लग रही थी, थोड़ी मोटी और वहाँ रहते हुए शांत और संतुष्ट. उस दिन उसने बिल्ली भी मारिया को दे दी क्योंकि सैटर्नो ने उसके खाने के लिए जो रकम दी थी वह खर्च हो चुकी थी.

(अप्रिल 1978)
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डॉ. विजय शर्मा
326, न्यू सीतारामडेरा, एग्रिको, जमशेदपुर 831009
8789001919, 9430381718
vijshain@yahoo.com

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आप अपनी प्रतिक्रिया devarun72@gmail.com पर सीधे भी भेज सकते हैं.

  1. यह एक महान कहानी है, जिसमें हम आज के हिन्दुस्तान का अक्स देख सकते हैं. विजय जी ने अनुवाद लगन के साथ किया है, लेकिन इसे हिन्दी के वाक्यों की रवानी और आमफहम शब्दों का इस्तेमाल कर तनिक और बेहतर किया जा सकता था. बहुत पहले हंस में भी इस कहानी का एक बेहतर अनुवाद पढ़ा था.

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  2. जी, आशुतोष कुमार सहमत बेहतरी की संभावना सदैव रहती है। टिप्पणी के लिए धन्यवाद।

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  3. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (03-08-2019) को "बप्पा इस बार" (चर्चा अंक- 3447) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    श्री गणेश चतुर्थी की
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  4. शानदार और पीड़ा भरी जादुई कहानी - विजय जी ने बेहतरीन अनुवाद किया है।बधाई
    - यादवेन्द्र

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  5. हिला देने वाली कहानी। बढ़िया अनुवाद

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  6. Laxman Singh Bisht Batrohi3 सित॰ 2019, 7:41:00 am

    एक यादगार कहानी. निश्चय ही अनुवाद कुछ बिखरा हुआ लगता है.

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  7. भयावह सत्य दर्शाती एक कभी न भूली जा सकने वाली कहानी।

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