(फोटोग्राफ : Michael Kenna) |
राहुल झाम्ब की कविताएँ
हाथ
उठाया
अपने हाथ से
भीगी
मिट्टी सा ठंडा
मृत
पिता का बूढ़ा हाथ
भीतर
का ताप ढह गया
माया
का दर्पण चटक गया
छोड़ा
अपने हाथ से
पत्थर
सा भारी
मृत
पिता का नाज़ुक हाथ
भीतर
का लोहा पिघल गया
सब कुछ
हाथ से फ़िसल गया.
मुक्ति
तुमने
अकेला नहीं
मुझे
मेरे ख़ुद के साथ छोड़ा था
इससे
बेहतर भला क्या सोहबत होती
इससे
ख़ूब भला क्या सफ़र होता
बुद्ध
भी तो छोड़ गये थे राहुल को...
छूटने
वालों की मुक्ति छोड़ने वालों में नहीं
स्वयं
में है.
आस्मां
बूँदें
छिटक कर गिरती हैं
आस्मां
से
छिटक
कर गिरे
हम
कहाँ से?
एक दिन
एक दिन
हम सब
लोग
बूढ़े
होने लगते हैं
एक दिन
हम सब
लोग
बूढ़े
हो जाते हैं
एक दिन
हम सब
लोग
एक ही
जैसे हो जाते हैं
एक दिन
हम सब
लोग
एक हो
जाते हैं
श्राद्ध
पितृ
पक्ष है आज
कहो
कैसे किया है श्राद्ध
अघोरी
सा किया जीवन निर्वाह
खाया
माँस और पी शराब
कैसे
करूँ और अर्पण, पुरखों को अपने
बस
जिया एक दिन वैसे, पुरखों ने जैसे
खाली
जानता
हूँ
कुछ
नहीं रहेगा एक दिन
चलते
रहने का भार भी नहीं
वक़्त
रहते
छूट
जाये ये भार
मिले
दिशा प्रियजनों को
निकल
पडूँ मैं
अंतिम
तीरथ पर
दिशाविहीन
अनासक्त
न पीछे
कोई अलाप
न आगे
कोई प्रार्थना
वक़्त
रहते
सीख
जाऊँ बस चलते रहना
खाली-खाली
बेहिसाब
मन की
कोई क़िताब नहीं
वो तो
लिखता...
लहरों
पर ख्व़ाब
हवाओं
पर जवाब
बादलों
पर उड़ान
गीतों
पर ध्यान
मन की
कोई क़िताब नहीं
वो तो
लिखता...
बस
लिखता जाता...
बेहिसाब.
ख्व़ाब-ख़रामा
नीम-शब, नीम-बाज़ बेहोशी में
आता
हूँ ख़रामा ख़रामा
ख्व़ाब
संभाले रक्खो
मैं
हूँ ख्व़ाब-ख़रामा.
___________________
राहुल झाम्ब (10 दिसंबर, 1973, बीकानेर, राजस्थान)
प्रबंधन में स्नातकोत्तर
विभिन्न बिज़नेस-इकाइयों में वरिष्ठ पदों
पर कार्य का अनुभव
इन दिनों बंगलूर (कर्नाटक) में.
इन दिनों बंगलूर (कर्नाटक) में.
'हाथ' कविता बहुत मार्मिक लगी। बाकी सब भी प्यारी कवितायें।
जवाब देंहटाएं-राहुल राजेश
कोलकाता
"तुमने अकेला नहीं
जवाब देंहटाएंमुझे मेरे ख़ुद के साथ छोड़ा था
इससे बेहतर भला क्या सोहबत होती ।।"
निःसन्देह "हाथ" एवं "मुक्ति" कविताएं बहुत मार्मिक हैं... सभी बहुत अच्छी हैं।
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (11-12-2016) को पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सुन्दर रचनाएँ
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