उपन्यास ‘अल्पाहारी
गृहत्यागी: आई आई टी से पहले’, तथा कहानी संग्रह ‘जाना नहीं दिल से दूर’ से चर्चित
अध्येता, लेखक, अनुवादक प्रचण्ड प्रवीर की इधर की प्रकाशित कहानियों ने शिल्प और कथ्य को लेकर बीहड़ प्रयोग किये हैं.
उनके कथाकार के लिए कुछ भी त्याज्य नहीं है, ग्रह–नक्षत्र हों या भूत-प्रेत.
‘जाने भी दो
पारो’ प्रवीर की नयी कहानी है. इसमें आप देखेंगे कि देवदास (उपन्यास/ फिल्में) के
पात्रों का नाम लेकर समकालीन कार्पोरेट संस्कृति की विद्रूपता को व्यंग्यात्मक
लहजे में इस तरह निर्मित किया गया है कि यह कथा एक सहेजने लायक प्रतिपाठ में बदल
जाती है.
पढ़ा जाये.
जाने भी दो पारो
प्रचण्ड प्रवीर
(चार)
किसी गुड़ जैसे गाँव में बहुत से
राष्ट्रों में व्यापार करने वाली एक कंपनी बहुत से मंजिलों वाली इमारत में कई
तल्लों में अपना काम काज करती है. उन्हीं इज्जतदार गलियारों में दिन रात परिश्रम
करने वाले मेहनतकश कर्मचारियों में से एक है पारो. बचपन से ही पारो बड़ी अल्हड़ थी.
न तो वो साड़ी पहनती थी, न चूड़ियाँ. न तो वो काजल लगाती थी, न कोई झुमका न
बिंदी. बारह साल लगातार काम करते करते वह भूल भी गयी थी कि वह कभी बहुत खूबसूरत
हुआ करती थी और कोई देवदास उसपे मरता भी था.
पारो ने देवदास से शादी क्यों नहीं की, वह तो शरतचंद्र
चट्टोपाध्याय बता गये हैं. वही खानदानी आन-बान और शान का सवाल. और फिर अपने देवदास
ने पारो को दिल से जुदा नहीं किया. कहते हैं कि एक दिन पारो को देवदास का फोन आया
कि अपने वायदे के मुताबिक आखिरी बार उससे मिल कर पारो अपनी सेवा का मौका देना
चाहता है. अब देवदास बेकार था और पारो के पास इतना समय तो था नहीं कि देवदास की
सेवा करती. लिहाजा उसने देवदास को कहा कि उसकी कंपनी में नौकरी कर ले. जब काम से
फुरसत मिलेगी तो देवदास की सेवा के बारे में सोचेगी.
इस
तरह जब देवदास पारो की बॉस ‘मैली कैश’ से मिला, तब वह उसके मैले केशों को देखता रह गया जो कि हेयरबैंड से किसी तरह बंधे
थे. मैली कैश एक विचित्र किन्तु बलशाली महिला थी. देवदास ने उसे देख कर यह सोचा कि
कम से कम तीस साल पहले मैली कैश ने अखिल भारतीय स्तर पर भारोत्तोलन प्रतियोगिता के
सत्तर किलो के वर्ग में कांस्य पदक अवश्य जीत रखा होगा. मैली कैश ने देवदास को
डराते हुए पूछा, “क्या तुम वफादार आदमी हो?”
देवदास
ने टका सा जवाब दिया, “मैं बेवफ़ा के साथ भी वफ़ा निभाता आया हूँ.‘ मैली
कैश को उसका मतलब समझ नहीं आया पर उसने देवदास को चुपचाप काम पर रख लिया. देवदास
पारो को चाह कर भी बेवफ़ा पारो नहीं कह पाता था, हालांकि दिल
में ऐसा ही सोचता था.
इस
कंपनी की खास बात यह थी कि अधिकांश कर्मचारी एक ही कॉलोनी में रहा करते थे. देवदास
और पारो भी एक ही कॉलोनी में रहने लगे, जहाँ मैली कैश पहले से रहती आयी थी. नौकरी के पहले ही
दिन मैली कैश ने देवदास और पारो को बुला कर बहुत कुछ बताया. उन बातों का मजमून यह
था कि कंपनी के निदेशक ‘खीरा कालिया’ और
उप-निदेशक ‘निराश सोहन’ कंपनी के हित
के खिलाफ़ काम कर रहे हैं. दरअसल ये दोनों ही इस बहुराष्ट्रीय कंपनी की गुप्त
सूचनाएँ दूसरी प्रतिद्वंद्वी कंपनी को अलग-अलग बेच रहे हैं. देवदास ने आपत्ति की
कि इससे ‘निराश’ और ‘खीरा’ को क्या फायदा होगा? मैली
कैश ने बताया कि इनसे उनका व्यक्तिगत फायदा है और कंपनी का नुकसान है. इसके
भंडाफोड़ कर के निवेशकों को बता दिया जाएगा और ‘खीरा कालिया’
– ‘निराश सोहन’ की दुकान बंद कर दी जाएगी.
पारो
ने पूछा कि इसके लिए उन दोनों को क्या करना होगा?
मैली
कैश ने कहा, “तुम दोनों ऐसे भी किसी काम के हो नहीं. वैसे हमारी कम्पनी में फोटो लेना
मना है, लेकिन तुम दोनों लुक-छिप कर अपने मोबाइल के कैमरे से
फोटो खींच सकते हो. दरअसल इन कामों को अंजाम देने के लिए इतनी बड़ी कंपनी में इन
दोनों के खास गुप्तचर हैं. खीरा कालिया ने यह काम बबली को, और
निराश सोहन ने यह काम बंटी को दे रखा है. इसके अलावा खुफिया बात यह है कि हमारी
कंपनी में आफिस में डेस्क और केबिन में खाना खाना भी मना है. अब यह बात कुछ ही लोग
जानते हैं कि खीरा कालिया हर दिन चुपके से अपने केबिन में खीरा खाती है. अगर किसी
तरह खीरा की खीरा खाते हुए तस्वीर खिंच जाए तो खामोशी से खलनायिका का खात्मा हो
जाएगा. निवेशकों को पता चल जाएगा कि यहाँ नियमों का पालन नहीं होता है. फिर खीरा
को बिना चीरा लगाए उसका खेल खत्म कर दिया जा सकता है.‘
यह
सुन कर पारो ने कहा, “मैडम, आप समझिए कि खीरा कालिया ने अब खीरा खालिया.“
मैली
कैश ने आगे बताया, “निराश सोहन दुनिया में बहुत सी चीजों से निराश है. उसने अपनी जिन्दगी में
बहुत सी चीजों से हाथ धोया है. जैसे शेयर बाज़ार में पैसा लगाया तो पैसे से,
अनिर्मित इमारत के बनने वाले फ्लैट को खरीदा तो बिल्डर के भाग जाने
से फ्लैट और पैसे दोनों से, बीवी के लिए कार ड्राइवर रखा तो
कार, ड्राइवर और बीवी तीनों से, एक बार
नौकरी में किसी छोकरी को छेड़ दिया तो नौकरी, छोकरी, जुर्माने के रुपये और इज्जत, चारों से हाथ धो बैठा.
इतने हादसों के बाद उसने हाथ धोना ही बंद कर दिया है. मतलब हर जगह टिशु से ही काम
चलाता है. वाशरुम में भी उसे आज तक किसी ने हाथ धोते नहीं देखा. यही कारण है कि
विदेशी निवेशक उसे बहुत पसंद करते हैं. केवल बोलने का अंदाज, अंग्रेजीदां तलफ्फुज के अलावा अब तो आदतें भी मिलती है. अगर किसी तरह उसकी
हाथ धोती तस्वीर मिल गयी तो समझो कि निवेशक उसे निकाल देंगे. यह सोचेंगे यह अब
अंग्रेज नहीं रहा.‘
देवदास
ने कहा, “यह तो बहुत मुश्किल है.“
मैली
कैश गुर्रायी, “अरे, फिर तुम नौकरी पर किसलिए हो?” पारो ने झट मामला सम्भालते हुए कहा, “हम दोनों देख लेंगे
मैडम.“
इस
मीटिंग के बाद देवदास ने बड़ी मायूसी से कहा, “कौन कमबख्त तनख्वाह के लिए काम करता है, मैं तो सिर्फ़ इसलिए काम करता हूँ कि थोड़ी देर तुम्हें सेवा का मौका दे
सकूँ.“ पारो ने समझाया, ‘अरे देवदास,
मेरे पास अभी एकदम वक्त नहीं है.“
देवदास
ने कुछ उदास हो कहा, “जाने भी दो पारो. ये नौकरी नहीं हो पाएगी.“
(दो)
पारो के बहुत समझाने पर देवदास ने बंटी पर
नज़र रखनी शुरु की. पारो बिचारी और बहुत सा काम करती थी. अगले ही दिन दुपहर के खाने के समय देवदास ने पारो से पूछा, “क्या तुमने बबली पर नज़र
रखनी शुरु की?”
पारो
ने कहा,” नहीं यार. समय नहीं मिला. तुमने?“
देवदास
ने पारो को अपना मोबाइल पकड़ा कर दिखाया, “मैंने तुम्हारा भी काम कर दिया है.“ तस्वीरें देख कर पारो चकरा गयी. “अरे यह क्या?
बंटी और बबली आपत्तिजनक अवस्था में? पर...
पर.. बबली तो शादीशुदा है.“
“बंटी से?” भोंदू देवदास ने पूछा.
“नहीं रे. अपने पति से ....”
पारो ने सिर ठोंका. “ये करमजली बंटी जैसे
मासूम लड़के की जिन्दगी ख़राब कर देगी. इतने दिनों से हमारी आँखों में धूल झोंक
रही थी.“
“जाने भी दो पारो.“ देवदास ने कहा, “वैसे बंटी कोई मासूम लड़का नहीं है.
बबली उसके लिए उपलब्ध है इसलिए मौके का फायदा उठा रहा है. वैसे दोनों की मंजिल एक
है.“
“अब चलो हम यह मैली कैश को
बताते हैं.“ पारो ने कहा.
मैली
कैश ने यह सुन कर कहा, “यह तो बड़ी मामूली ख़बर है. इसके बारे में मुझे पहले से ख़बर थी. अब मेरी
बात गौर से सुनो. आज रात को कंपनी की खुफिया जानकारी खीरा कालिया और निराश सोहन
दोनों ही प्रतिद्वंद्वी कंपनी को बेचना चाहते हैं. यह मीटिंग हमारी कॉलोनी के
सामने वाली कॉलोनी के गेस्ट हाउस में ‘मिस्टर डिमैलो’
के डेरे पर होगी. वह हमेशा वहीं रुका करता है. बंटीखुफिया जानकारी
के फोटो का प्रिंट ले कर निराश सोहन को देगा. बबली अपने हिस्से की जानकारी खीरा को
दे देगी. तुम्हें तो पता ही होगा कि सारी जानकारियाँ सीधे-सीधे निराश और खीरा को
भी नहीं मिल सकती. बिना बंटी और बबली की मदद के यह काम असंभव है.“
यह
सुन कर देवदास ने पूछा, “हम मिस्टर डिमैलो के डेरे पर जा के यह डील कैसे रोक सकते हैं?“
मैली
कैश ने दिमाग लगाया, “कुछ सोचना होगा. तुम दोनों रात के आठ बजे डिमैलो की खिड़की के पास मिलो.“
मैली
कैश के केबिन से बाहर आ कर पारो ने कहा, “यह पागल औरत पता नहीं क्या करेगी?”
“जाने भी दो पारो.“ देवदास ने समझाया,“इसी बहाने रात में तुम मेरे साथ
तो आओगी.“ यह सुन कर पारो शर्म से लाल हो गयी.
(तीन)
रात को मैली कैश जब घर से बाहर आयी तब
पारो और देवदास ने उसे बताया कि बंटी के फटीचर बैग के कागज़, बबली के महंगे हैंडबैग से
निकले कागज़ से आपस में बदल दिये गये हैं. अब जब खीरा कालिया डिमैलो को इन जानकारी
के बारे में बताएगी, तो वह एकदम गलत होगा. यही हाल निराश
सोहन का भी होगा और उसे इस मौके से हाथ धोना ही पड़ जाएगा.
यह
बातें हो ही रही थी कि मैली कैश के घर से एक डरावना साया निकला जिसका चेहरा काले
रंग से रंगा था और उसने काले कपड़े पहन रखे थे. भयंकर बिखरे बालों वाली आकृति ने
अट्टाहास किया तो पारो और देवदास दोनों की सिट्टी-पिट्टी गुम हो गयी. आकृति ने
मुस्कुरा कर कहा, “डरो नहीं, मैं मैली कैश ही हूँ. यह तो डिमैलो को
डराने के लिए ऐसा भेस बना लिया है.“ यह सुन कर पारो और
देवदास दोनों हँसने लगे.
डिमैलो
के घर के बाहर पारो, देवदास और मैली कैश तीनों खिड़की के नीचे छुप कर हाल देख रहे थे. वहाँ
खीरा कालिया और बबली आ चुके थे और बातें कर रहे थे.
डिमैलो
ने तश्तरी में खीरा काट कर पेश करते हुए कहा, “खीरा खालिया, टुमको ये खीरा
खाना माँगटा.“
खीरा
– “नो
नो डिमैलो, ये कागज हम तुम्हारे वास्ते ले कर आया. अब तुम
जल्दी से इसको देख कर हम को दस करोड़ रुपया देना माँगता.“
डिमैलो
ने पूछा – “इस कागज़ में और क्या हे?”
बबली
ने कागज निकाल कर दिया और झट से बोली, “इसमें कंपनी के अगले चार महीने का कंज्यूमर डिवीजन
का बिजनेस प्लान है. कहाँ कौन-कौन सा प्रोडक्ट कहाँ जाएगा और कंप्टिशन का कैसा
बैंड बजेगा, यह सब उसमें है.“
डिमैलो
ने कागज उलट पलट कर देखा – “इसमें टो कंपनी के कोर डिवीज़न का बिजनेस प्लानहे,
वो भी केवल तीन महीने का. ये टुम क्या बोलटा?”
खीरा
कालिया यह देख कर चौंक कर बबली को आँखें तरेरी. फिर बात सम्भालते हुए बोली– “ डिमैलो, सब एक ही बात है न.“
बाहर
यह देख कर पारो ने मैली कैश से पूछा , “सब एक बात ही कैसे है?” देवदास
ने समझाया, “जाने भी दो पारो.“ उसी समय
एक शानदार लिमोजिन गाड़ी वहाँ आ कर रुकी. सबसे पहले उसमें निराश सोहन निकला फिर
पीछे-पीछे बंटी भी निकल आया. गेस्ट हाउस की घंटी बजते ही डिमैलो ने खीरा कालिया को
खीरा पकड़ा कर कहा, “जल्दी से टुम छुप जाओ. कोई आ गया है,
हमको उसको इंटरटेन करना मांगटा.“ इस तरह खीरा
कालिया और बबली दोनों को डिमैलो ने झट से एक अंधेरे कमरे में बंद कर दिया.
निराश
सोहन डिमैलो के कमरे में आते ही कहा, “मुझे बड़ी नाउम्मीदी सी थी कि आपसे मुलाकात नहीं हो
पाएगी. लेकिन मेरी किस्मत अच्छी थी कि आप मिल गए.“
डिमैलो
की तरह कागज बढ़ा कर बंटी ने कहा, “सर, यह कंपनी के कोर डिवीजन के
तीन महीने का बिजनेस प्लान है. खास आपके लिए.“
डिमैलो
ने कागज को उलट पुलट कर देख कर कहा, “क्या बोलटा टुम, ये तो चार
महीने का कंज्यूमर डिवीजन का बिजनेस प्लान हे. टुम हमको उल्लू बनाटा?“
निराश
सोहन ने कागज देख कर कहा, “मैं जानता था कि मेरी किस्मत मुझे धोखा देगी. मुझे
अब यहाँ से भी हाथ धोना पड़ेगा.“
बाहर
मैली कैश ने पारो और देवदास से कहा, “अब तुम दोनों मास्क लगा कर अंदर जाओ और सारे कागज की
तस्वीरें ले लो. हम लोग सब का भंडा फोड़ देंगे.“
देवदास
ने कहा, “मैडम, आप चलिए न हमारे साथ. आप ही घंटी बजाइएगा.“
‘ओके’ मैली कैश ने कहा और दोनों के साथ हो ली.
मैली
कैश ने दरवाजे की घंटी बजायी. यह सुन कर डिमैलो ने कहा, “निरास सोहन, टुम को छुपना पड़ेगा. कोई आया है हमको उसको इंटरटेन करना मांगटा.“ इस तरह डिमैलो ने बंटी और निराश सोहन को भी उसी अंधेरे कमरे में फौरन बंद कर
के बाहर से सांकल लगा दिया.
जब मैली कैश ने दरवाजे की घंटी दुबारा बजायी तो
डिमैलो आराम सेदरवाजे पर आया. दरवाजा खोलते ही उसके सामने मैली कैश ने ठहाका लगाया.
उसके भयंकर लिबास और डरावनी आवाज का ऐसा असर हुआ कि डिमैलो वहीं गश खा कर गिर गया.
मौके का फायदा उठा कर पारो और देवदास अंदर चले गये और झट-झट सारे कागज़ातकी
तस्वीरें लेने लगे.
उधर
अंदर बंद कमरे में बंटी की उँगलिया बबली की उँगलियों से मिली. मिलते ही बबली बंटी
को उस तारीकी में पहचान लिया और खींच कर उसे सीधे गले से लगा लिया. इसी तरह जब
निराश सोहन की उँगलियाँ खीरा कालिया से मिली, खीरा चीख पड़ी – “ओ माई गॉड,
इतनी बदबूदार उँगलियाँ. क्या तुम निराश सोहन के भाई हो?”
निराश
सोहन ने खीरा की महक से परेशान हो कर कहा, “खीरे की महक. क्या तुम खीरा कालिया हो?” घबराहट दोनों ने गलती से अंदर बिजली का स्विच चालू किया. पता चला कि सभी
गुसलखाने में बंद थे. खीरा ने निराश सोहन से चिल्ला कर कहा, “तुम? निराश सोहन, तुम्हें यहाँ
से भी हाथ धोना पड़ेगा. माई गॉड, वह रहा साबुन, तुम जल्दी से अब हाथ धो लो.“
निराश
भौचक्का था. खीरा ने बंटी और बबली को आलिंगन में देख कर कहा, “ये क्या? तुम दोनों आपस मे मिले हुए हो?”
बंटी
और बबली दोनों ने एक स्वर में कहा, “प्यार करने वाले कभी डरते नहीं, कभी डरते नहीं. जो डरते हैं वो प्यार करते नहीं.“ यह
सुन कर खीरा ने गुस्से में तश्तरी में रखा खीरा उठा कर चबा लिया.
तभी
गुसलखाने का दरवाजा खुला ओर दो नकाबपोशों ने खीरा खाती खीरा कालिया की तस्वीर ले
ली. एक ने हाथ धोते निराश सोहन की, फिर बंटी और बबली की आलिंगन में, फिर सब लोगों की एक साथ तस्वीर ले कर वे देखते ही देखते चम्पत हो लिये.
(चार)
अगले
दिन आफिस में निराश सोहन और खीरा कालिया दोनों एक साथ मंत्रणा कर रहे थे. निराश ने
निराश हो कर कहा, “बंटी-बबली ने गड़बड़ कर दिया. अगर उन नकाबपोशों ने यह खबर फैला दी हम लोग
की और हमारी कम्पनी की बड़ी बदनामी होगी.“ खीरा
कालिया ने कहा, “बहुत ही बदतमीज लोग हैं. शादी के बाहर प्यार कर रहे हैं.“
निराश
सोहन ने कहा, “प्यार तो हमेशा ही खत्म हो जाता है. अगर उन दोनों की शादी
हो गयी तो प्यार
भी खत्म हो जाएगा और बदनामी भी नहीं होगी.“ खीरा ने कहा,
“ठीक कह रहे हो. मैं अभी बबली के पिताजी को फोन करती हूँ.“ खीरा ने बबली के पिताजी को फोन लगा कर बोला, “मैं
बबली के आफिस से बोल रही हैं. .... क्या?... बबली ने सब सच
बता दिया?.... क्या ... आप बंटी के साथ उसकी शादी करवा रहे
हैं.... क्या ... बबली का पति भी राजी है... क्या ...? बंटी
भी राजी है?”
फोन
रख कर खीरा ने निराश से कहा, “यहाँ तो मामल पहले से ही सेट है. सभी राजी हैं. आज
बंटी और बबली शादी करने जा रहे हैं.“ निराश सोहन ने निराश हो
कर कहा, “आज कल मुहब्बत करने में कुछ मुश्किल नहीं है. हमारे
ज़माने में आह भरने में बदनाम हो जाते थे, और वो कत्ल करते
तो चर्चा भी नहीं होता था. मैं नज़्अ' में हूँ आएँ तो एहसान
है उन का, लेकिन ये समझ लें कि तमाशा नहीं होता.“
खीरा
कालिया ने खुल्लमखुल्ला खीरा खाते हुए कहा, “अरे ये निराश होना छोड़ो. अखबार में यह खबर छपी है
कि डिमैलो कल रात हार्ट अटैक में मारा गया. पोस्टमार्टम की रिपोर्ट आने तक हमारे
पास समय है. वरना शक की सुई हमारे ऊपर भी उठेगी. तुम्हें किस पर शक है?”
निराश
ने वहीं पड़ा अखबार उठा कर देखा, “डिमैलो की लाश की तस्वीर देखो. लगता है उसने कोई
खौफनाक चीज़ देखी है.“ खीरा कालिया ने मेज पर पड़ी अपनी लेंस
से फोटो को बड़ा कर के देखने की कोशिश की. निराश ने घबराते हुए कहा, “क्या हो सकती है इतनी भयंकर चीज?” फिर एकदम से उसके
दिमाग की बत्ती जली, “हो न हो उसने काली रात में मैली कैश को
देख लिया हो गया.“
खीरा
के दिमाग की भी बत्ती एकदम से जल उठी. “हाँ, यह उसका ही काम होगा. हम
दोनों के दस-दस करोड़, जमा बीस करोड़ ले कर वही चम्पत हो गयी
होगी. नकाबपोश भी उसी के आदमी होंगे. उसे बुलाना होगा.“
(पांच)
उसी समय आफिस में पारो और देवदास ने मैली कैश के केबिन में उस को बीस करोड़ का सूटकेस दे कर कहा, “मैडम यह पैसा हम पुलिस को दे देते हैं. चलिए हमारे साथ पुलिस स्टेशन.“
उसी समय आफिस में पारो और देवदास ने मैली कैश के केबिन में उस को बीस करोड़ का सूटकेस दे कर कहा, “मैडम यह पैसा हम पुलिस को दे देते हैं. चलिए हमारे साथ पुलिस स्टेशन.“
मैली
कैश ने ठहाका लगाया, “पुलिस में जाने में गड़बड़ हो जाएगी. डिमैलो तो मुझे दे खकर डर के मारे मर
गया.“
“मैडम, गब्बर सिंह ये कह गया, जो डर गया सो मर गया.“
पारो ने याद दिलाया.
भोंदू
देवदास ने पूछा, “अगर पुलिस को नहीं देंगे तो किस को देंगे?”
“निवेशक को?” पारो ने भोलेपन से पूछा.
“बेवकूफों. निवेशकों के पास
बहुत पैसा है. ये पैसा हम रख लेंगे.“ मैली कैश ने कहा.
पारो
ने आश्चर्य से कहा, “ये तो गलत होगा!“
“अच्छा, अब तुम्हें अपना हिस्सा चाहिए?” मैली कैश ने गुस्से
में कहा. “अपनी कीमत बोलो और वे सारे फोटो मेरे हवाले कर दो.“
देवदास
ने रोष में भर कर कहा, “मैडम, हम आपकी मदद कर रहे थे. मदद की कोई कीमत नहीं
होती.“ पारो ने भी देवदास की हाँ में हाँ मिलायी, “हाँ मैडम, मदद की कोई कीमत नहीं होती.“
देवदास
ने कहा, “आपमें, खीरा कालिया और निराश सोहन में कोई अंतर नहीं
है. हम जा रहे हैं यहाँ से.“
पारो
और देवदास दोनों गुस्से में निकलने ही वाले थे कि खीरा कालिया, निराश सोहन और
दुल्हा-दुल्हन के भेस में बंटी-बबली ने मैली कैश के केबिन में आ गये.
देवदास
ने बंटी-बबली को शादी की बधाई दी. पारो ने भी बबली को बधाई दी. खीरा कालिया ने
मैली कैश से सूटकेस की तरफ इशारा करते हुए कहा, “मैली, नोटबंदी के बाद तुम्हारे
पास इससे भी ज्यादा मैला कैश है. क्या तुम चाहती हो कि मैं तुम्हारा पर्दाफाश कर
दूँ?“
मैली
कैश ने गुर्राते हुए कहा, “खीरा, तुम्हारी खीरा खाते हुए
तस्वीर मेरे पास है. निराश, आखिर तुमने हाथ धो ही लिया. क्या
चाहते हो मैं निवेशकों सब बता दूँ? बता दूँ कि तुम अब अंग्रेज
नहीं रहे?”
निराश
सोहन ने खीरा से निराशा भरी आवाज़ में कहा, “मुझे पहले से ही नाउम्मीदी थी कि मैली का दिल एकदम
मैला है. वो हमारी बात नहीं सुनेगी.“
खीरा
ने अपनी लीडरशिप दिखाते हुए कहा, “मैली, इस कंपनी के अंदर आया
सारा कैश हमारा है. तुम्हें सीधे जेल भिजवा दूँगी. तुम्हारे पास मेरी बात मानने के
अलावा और कोई रास्ता नहीं है. पैसे देती हो या बुलाऊँ गार्ड को?“
यह कह के खीरा ने बंटी बबली, देवदास और पारो को एक
मीटिंग रूम में बंद करवा दिया. जब खीरा कालिया और निराश मोहन ने मैली कैश से सुलह
कर ली, तब यह तय किया गया कि देवदास और पारो को बाहर का
रास्ता दिखा दिया जाएगा. डिमैलो की मौत अचानक दिल का दौरा पड़ने से हुयी, इसलिए कत्ल का इल्जाम किसी पर नहीं आएगा.
पारो
ने देवदास से पूछा, “अरे देवदास, अब क्या होगा?”
देवदास
ने कहा,” जाने भी दो पारो! तुम्हें सेवा का एक और मौका जल्दी ही दूँगा.“
उसी
दिन जब पारो और देवदास को कंपनी से बाहर का रास्ता दिखाया गया उसी समय आल इंडिया
रेडियो पर यह गाना बज रहा था -
होंगे कामयाब, होंगे कामयाब,
हो हो मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास,
हम होंगे कामयाब एक दिन
जय हिन्द
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जाना नहीं दिल से दूर की कहानियां पढीं हैं । समालोचन पर पहले भी कुछ पढ़ा है। इसमें संदेह नहीं कि प्रचंड प्रवीर बीहड़ और बयाबान में घुसकर प्रयोग करते हैं।
जवाब देंहटाएंप्रचंड प्रवीर की कहानियां हिंदी की मुख्यधारा के कथालेखन के लिए चुनौती की तरह हैं । उन्होंने अलहदा रास्ता चुना है । यह कहानी अभी पढ़नी है ।
जवाब देंहटाएंशानदार बस इतना ही कह सकता हूँ।
जवाब देंहटाएंअगर हम यथार्थ को वही और उतना ही नहीं मानते जितना कि वह कहानियों में आता रहा है तो यह एक बेहतरीन कहानी है।
जवाब देंहटाएंइसका खिलंदड़ अंदाज़ एक कैमफ़्लाज है जिसमें देवदास और पारो 'जाने भी दो यारो' के तमाम स्टंट अपना कर भी फिर उसी नियति में गिर पड़ते हैं।
जिस अंदाज में आज के दिन पूरे देश को सिरे से थर्रा दिया गया है, बुद्धिजीवियों को चाहिए कि वे प्रचंड प्रवीर की इस कहानी के शिल्प को अभिव्यक्ति के माध्यम के रूप में अपनाएं. यह संयोग ही है कि थोड़ी देर पहले मैं ओम थानवी के द्वारा शेयर किया गया रोमिला थापर का वह व्याख्यान सुन रहा था, जिसमें वो 'इंटेलेक्चुअल्स' के सिर पर छाये मोदी (गोदी) संकट पर पूरे पैंतालिस मिनट गरजी थीं. एंकर ओम थानवी ने बताया कि अतीत में इस संकट की जानकारी अशोक वाजपेयी, कृष्णा सोबती और अपूर्वानंद ने अवार्ड वापसी के माध्यम से दे दी थी. मगर उसके बाद चाहे नोटबंदी हो, जीएसटी हो या धड़ल्ले से विरोधियों को जेल की हवा खिलाने का सिलसिला, सिलसिला तो उसी धड़ल्ले से चलता ही रहा है. किसने 'गोदी' को रोक लिया? आज की खबर के अनुसार उत्तराखंड के पूर्व-सीएम हरीश रावत के स्टिंग को भी घेरे में ले लिया गया है. यानी एक इशारा और. जनाक्रोश को बुझाने के लिए महाराष्ट्र के राज्यपाल की कुर्सी मोदी जी ने सौंप दी है, उनके पास गुणगान के लिए 'गोदी जी' हैं ही.
जवाब देंहटाएंलब्बो-लुआब यह कि बुद्धिजीवियों की आकाशचारी बातों से तो उन्हीं लोगों का भला होता है, क्योंकि खग जाने खग की ही भाषा. हम जैसे छोटे लेखकों की समझ में प्रचंड की भाषा ही आती है. और आम आदमी की समझ में भी यह नया स्टंट :'जाने भी दो पारो!'
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