मंगलाचार : अस्मिता पाठक

Aisha Khalid 


                                    
  सर

मैं कक्षा ११ की छात्र हूँ. मैं आपको अपनी एक कविता भेज रही हूँ. उम्मीद है, आप इसे पढकर अपने सुझाव देंगे तथा इसे अपनी प्रतिष्ठित आनलाईन पत्रिका - "समालोचन" में प्रकाशित करने का कष्ट करेंगे..






फिर अस्मिता ने कुछ और कविताएँ भेजीं. उम्र और अनुभव को देखते हुए मैं इन्हें पठनीय कविताएँ कहूँगा. पहली कविता में जो डर है वह अंदर तक रुला देता है हम अपनी बच्चियों को कैसी सहमी- सहमी सी शाम दे रहे हैं.

एक उमगते हुए उम्र का जो इन्द्रधनुषी वितान होता है वह भी यहाँ है. वह मासूमियत जो अब बच्चों तक से खो गयी है उसकी अल्हड गंध इन कविताओं में मिलेगी. एक पत्रिका के लिए इससे सुखद और सार्थक  क्या हो सकता है कि उसके पन्नों पर नई पीढ़ी सीढियाँ चढ़े.

अस्मिता को आपकी इन कविताओं पर राय चाहिए.



                    अस्मिता पाठक की कविताएँ             






वह सडक शांत हो चुकी है


वह सडक शांत हो चुकी है
तम और कोहरे में घुटकर
अब तुम अकेले
अपने घर तक का रास्ता कैसे नापोगी?

दरख्तों के पीछे छिपे जानवरों की आँखों की तरह
इनसानों की आँखें !
तुम्हें देखकर चमक सकती हैं

हवा के साथ उड़ते तुम्हारे लंबे बालों में
झलक रही तुम्हारी आज़ादी
तुम्हारी जैसी हर लडकी,
तुम्हारी जैसी हर औरत को ये आँखें चुभ सकती हैं

तुम रातों को,
इस तरह घूमोगी,
अकेले होकर,
अपने-आपको सबके आगे निडर साबित कर !

तुम हज़ारों घटनाओं की शिकार बन सकती हो !
बतियाने का  विषय बन सकती हो !

वो सडक शांत हो चुकी है
अब तुम अपने घर का रास्ता कैसे नापोगी ?
तुम निडर नहीं बनोगी,
तुम आज़ाद नही होगी,

तुम खोटी रोशनी में खडे होकर,
भाई और पिता के आने का इंतज़ार करोगी.





नैनीताल से लौटते वक्त

अरे पहाड,
ज़रा सुनो तो!
तुम्हें याद तो है ना ?
आज मुझे लौटना है

तुमने अपने हर कोने से आने वाली,
ठंडी हवाओं को
राज़ी तो कर लिया है न
महानगर के मेरे छोटे से कमरे में
रहने के लिए?

तुम्हारे भीतर वह जो झील समाई है,
उसकी चुल-बुल, नाज़ुक हँसी को,
पोटलियों में बाँध देना
उन्हें अपनी बालकनी में सजाऊंगी
उसे कहना कि उदास न हो,
मैंने बरसातों से कहा है,
इस बार उसे फिर लबा-लब भर देंगी

और मुझे तुम्हारे आसमान से,
थोडा रंग दिलवा दोगे?
मैं अपनी सोई सी दीवारों को
फिर से जगाना चाहती हूँ !

वह गौरया,
जो तुम्हारे पेडों की टहनियों पर,
हर वक्त फुदकती है !
कहना तो उसे,
मेरे पास बहुत सा बाजरा है,
मेरे साथ चले
मैं फिर से चहचाहट का संगीत,
अपने कानों में भर लूँगी

अब देर हो रही है,
मैं चलती हूँ...
नाराज़ न होना,
तुम से इतना कुछ जो,
माँग रही हूँ.





सपना

सपना तो ,
रात की फैलाई काली स्याही में
विचारों की घनघोर उथल-पुथल में भी
मुझे खोज लेगा,
ताकि कह सके,
चलो उडने चलते हैं
मैं तुम्हें दिखाना चाहता हूँ
चाँद पर फुदकते छोटे-छोटे खरगोश
और बताना चाहता हूँ
कि सूरज पर खुशियों की ठंड भी है !

आओ उस मैदान में चलते हैं,
जहाँ कल्पनाओं की बरसात हो रही है,
तुम भीगना और देखना
कि हर बूँद कितनी नयी, कितनी
सुंदर है
और
इंद्रधनुष तो इन्हीं से मिलकर बना है !

क्यों न तुम सीखो कि
कैसे सफेद आसमान के हर कोने में,
थोडी लाली छिडकी जा सकती है,
और उल्लास को कुछ लम्हों के साथ मिलाकर,
धूप, चिडिया और बादल बनाए जा सकते हैं !

तुम झरने के पीछे की गुफाएँ या
लकडी का पुराना दरवाज़ा
न खोजना !

दूसरी दुनिया गुफा-दरवाज़ों से नहीं बनी,
जो हर किसी के लिए खुल जाए,
तुम बस आँखों से कहकर देखना,
वह तुम्हें सब कुछ दिखा देंगी.






तुम्हें पता है ?

तुम्हें पता है ?
बारिश बोल रही थी !
फीके रंग की एक दोपहर को,
गीली हवाओं को
चीरते हुए

तभी मेरी खिडकी के आगे
खडा पेड मुस्कराया था !
दो शब्दों की एक प्यास
कुछ डालियों की...
कुछ पत्तियों की ;
बुझाने को...
जो पिछले मौसम से अधूरी थी

तुमने देखा है ?
बारिश जादू करती है !
खाली सडकों को,
कुछ पल की
मीठी धडकन देने के लिए,
ताकि
तुम चलते-चलते
उसके ख्वाबों को न गुमा दो !
बस
यही वह  भाषा है !
जिसमें बारिश कुछ कहती है

और मुझे सीखनी है यह भाषा.






ज़रा ठहर जाओ

ज़रा ठहर जाओ, नींद !
उजाला हो गया है
पर,
सूरज को आने में वक्त है अभी,
अभी-अभी तो चाँद बादलों पर,
रवाना हुआ है.

देखो,
कागज़ पर खींची गई
काली लकीरों की निगाहें,
मुझ पर नहीं है
बस, तब तक
कुछ देर,
मेरी पलकों के नीचे तुम छिप जाओ

समय रात-भर पहरा दे रहा था,
उसकी आँख लग जाने दो..
मुझे पता है,
यह गलत है,
पर...
आज परछाईयों से लडकर,
हवाओं की नज़रों से बचकर,
कुछ देर ठहर जाने दो
आलस को.

ठीक यहाँ,
तुम्हारी
और मेरी
आँखों में.
_____________________



अस्मिता पाठक
कक्षा - ११
एस. एस. चिल्ड्रेन अकाडमी
कांठ रोड, मुरादाबाद
२४४००१
asmitapathak17@gmail.com

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  1. वाह ! बहुत ताजगी है इन कविताओं में । बधाई अस्मिता को और आपको पढ़वाने के लिए धन्यवाद ।

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  2. अस्मिता आपने बेहतरीन लिखा है। इंद्रधनुष तो इन्हीं से मिलकर बना है! आपके पास इसे बनाने का जादू है।
    अपर्णा

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  3. मुक्त उड़ान के पंछी की अच्छी कविताएं बधाई ढेर सारी शुभकामनाएं भविष्य के लिए

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  4. बहुत सधी हुई कविताएँ। बिटिया लिखती रहो। स्नेह और आशीर्वाद।

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  5. उम्मीदों भरी खुबसूरत कवितायेँ ..........शुभकामनायें कवि :)

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  6. खूबसूरत और परिपक्व कविताएं। उम्र से ज्यादा समझदार

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  7. बहुत सुंदर कविताएं !! कवि को बधाई।

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  8. बहुत अच्छी कविताओं के लिए बधाइयां और धन्यवाद!हिंदी कविता का विस्तृत होता आयाम और भविष्य के प्रति आश्वस्त करती हैं ये कविताएं!💐

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  9. बेहतरीन कविताएं। शुभकामनाएं अस्मिता को

    जवाब देंहटाएं
  10. सुंदर एवं सुखद अहसास की कविताएं.
    और उल्लास को कुछ लम्हों के साथ मिलाकर,
    धूप, चिडिया और बादल बनाए जा सकते हैं !

    जवाब देंहटाएं
  11. बधाई अस्मिता ! अच्छी कविता ।

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  12. बहुत सुंदर कविताएं,मासूमियत और गहराई दोनों एक साथ !

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  13. सदानंद शाही22 दिस॰ 2017, 12:24:00 pm


    वह सडक शांत हो चुकी है



    वह सडक शांत हो चुकी है
    तम और कोहरे में घुटकर
    अब तुम अकेले
    अपने घर तक का रास्ता कैसे नापोगी?

    दरख्तों के पीछे छिपे जानवरों की आँखों की तरह
    इनसानों की आँखें !
    तुम्हें देखकर चमक सकती हैं

    हवा के साथ उड़ते तुम्हारे लंबे बालों में
    झलक रही तुम्हारी आज़ादी
    तुम्हारी जैसी हर लडकी,
    तुम्हारी जैसी हर औरत को ये आँखें चुभ सकती हैं

    तुम रातों को,
    इस तरह घूमोगी,
    अकेले होकर,
    अपने-आपको सबके आगे निडर साबित कर !

    तुम हज़ारों घटनाओं की शिकार बन सकती हो !
    बतियाने का विषय बन सकती हो !

    वो सडक शांत हो चुकी है
    अब तुम अपने घर का रास्ता कैसे नापोगी ?
    तुम निडर नहीं बनोगी,
    तुम आज़ाद नही होगी,

    बेहद खूबसूरत कवितायें । सादगी और सफगोई । मुबारक अस्मिता ! बधाई अरुण देव .

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  14. बहूत सुंदर कवितायें अस्मिता!

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  15. वाह. बहुत अच्छी कविताएँ. बहुत बहुत मुबारक अस्मिता को.

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  16. अस्मिता को बधाई। समय तो उम्मीद भरा नहीं ही है,लेकिन अस्मिता और अच्छी कविताओं की उम्मीद जगाती हसि।

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  17. पहाड़ बहुत कुछ मुस्काया ... नैनीताल से लौटते वक़्त।।।

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  18. प्यारी बच्ची की प्यारी कविताएँ।
    शुभकामनाएं बच्ची कि बची रहें कविताओं में मासूमियत और साफ़गोई, दूर रहें ये बनावटीपन से।

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  19. अस्मिता तुम हिंदी साहित्य की अस्मिताओ में एक नई रौशनी की उम्मीद हो।
    बहुत ही मार्मिक कविताएँ अंदर तक झकझोर देने वाली कविताओं के लिए बधाई।

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  20. अस्मिता की प्यारी कवितायें

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  21. प्यारी बच्ची की प्यारी कविताएँ .....

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  22. बहुत अच्छी कविताएँ। बधाई।

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  23. ताजगी भरी बेहतरीन कविताएं

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  24. श्रीराम त्रिपाठी22 दिस॰ 2017, 7:01:00 pm

    हाँ, अच्छी कविताएँ। निश्छल-निर्मल। बिटिया लिखो। जी करे, तब ही लिखो।

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  25. अस्मिता आप के शब्द आप की उम्र से आगे हैं। आप में अपनी नजर है और कल्पना भी। आप मुझे भविष्य में खड़ी दिख रही हैं। बहुत शुभकामनाएँ बेटे।

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  26. कम उम्र में इतनी बढ़िया कविताएँ... मेरी हार्दिक शुभकामनाएँ !

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  27. कविताएँ जो कभी भीतर तक हिलाकर रख गईं तो कभी सुदूर कल्पनालोक जिसे मैं कब का पीछे छोड़ आया था में उड़ा ले गयी उम्र से बेहतर कहूँ तो ये मेरी मूर्खता होगी क्योंकि कविता उम्र बढ़ने से आती तो सारे बुजुर्ग बेहतरीन कवि होते कविता एक समझ से पैदा होती है और ये समझ अस्मिता में नज़र आ रही है।

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  28. बेहतरीन कविताएं अस्मिता। बधाई और शुभकामनाएं।

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  29. बहुत सुंदर कल्पना है।और उतनी ही सुंदरता से रचा है।

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  30. वह सड़क अब शांत हो चुकी है ..हवा के साथ उड़ते तुम्हारे बालों में झलक रही तुम्हारी आजादी .. तुम निडर नहीं बनोगी ..तुम इंतजार करोगी पिता और भाई का ...क्या बात ! बहुत सुन्दर ! मार्मिक और गहरी बात । अस्मिता को पढ़ना कई स्तर पर सुखद है ।

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  31. Krishna Bihari मैंने कवितायें पढ़ीं . नयी कलम है . ताजगी है . शब्द भी सरल हैं . कविताओं को थोडा-सा दुरुस्त किया जाए तो और बेहतर होजायेंगी . एक पंक्ति में तुम्हारे आसमान को यदि अपने आसमान कर दिया जाए तो सर्वनाम का सही प्रयोग अच्छा लगेगा .शुभकामनाएं .

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  32. बहुत अच्छी कविताएँ हैं. जिन संकटाें में हमारा समाज घिरा है, उन्होंने हमारे बच्चों को भी समय से पहले बड़ा कर दिया है. इतना परिपक्व इस उम्र में नहीं हाेना चाहिए.

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  33. अस्मिता की उम्र जो देखते हुए काफी परिपक्व कविताएँ हैं, जो उम्मीद जगाती हैं कि वे अच्छी कवयित्री बनेंगी. उन्हें हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ.

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  34. कविताएँ तो बक़ायदा हैं ,हमारे साथ एक ऐसा अनुभव चालीस सालों पहले हुआ था,जब हमारी गोष्टी में एक अठारह साल का ख़ूबसूरत सा बंगाली लड़का आया था,तो हमें लगा कि ये कहाँ फँस गया,लेकिन पहले दिन उसने ही हम सबों को फँसा लिया,हॉलांकि बाद में सुना वो राजनीति से जुड़ गया और पियक्कड़ हो गया !
    इन्हें शुभकामनाएँ !

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  35. अस्मिता की कविताएँ इसलिए और विशिष्ट हो जाती हैं कि ये महज़ ग्यारहवीं में पढ़ने वाली बच्ची की कविताएँ हैं. कच्ची उम्र का यह लगभग पका हुआ शिल्प हैरान करता है. उम्र के लिहाज़ से भावों की सघनता भी ध्यान आकर्षित करती है. 'सपना' कविता ने तो मुझे एक मीठी चुप्पी से भर दिया, वहीं अन्य कविताएँ कुछ कहने को विवश कर रही हैं. कितनी सुन्दर सम्भावनाओं से भरी हुई लड़की है. उसे बहुत शुभकामनाएँ.

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  36. तुषार घवल23 दिस॰ 2017, 9:30:00 am

    मैंने इन कविताओं को पढ़ चुकने के बाद अपने मन को पूरी तरह खोलना चाहा था, लेकिन मेरी ज़िन्दगी मेरी नहीं है। जब भी कुछ करना चाहो, कहीं-न-कहीं से व्यवधान पैदा हो ही जाता है।
    अस्मिता के लिये एक ही संदेश है... ११वीं में जैसी कवितायें लिखता था, तुम उससे कहीं बेहतर कवितायें लिख रही हो। बहुत प्रलोभन, बहुत लुभावने क्षण आयेंगे, उनके मोह में मत आना। भूल जाओ कि वाम ने क्या कहा, दक्षिण ने क्या... अपनी अभिव्यक्ति पर केन्द्रित रहना और अपने शब्दों की ध्वनि से पैदा होने वाली लय और उसके भाव पर एक साधक की तरह केन्द्रित रहना।
    पहली कविता में ‘तम’ की जगह ‘अन्धेरा’ पर फोकस करो। दोनों शब्दों के उच्चार, उनकी ध्वनियों और उनके असर पर ध्यान दो।

    प्रवचन खतम हुआ।

    तुम्हारी कवितायें बता रही हैं कि हिन्दी को और भी सुन्दर कवितायें मिलने वाली हैं।

    कुछ भी हो जाये, कलम, की-पैड और शब्दों के व्यवहार और उनकी ध्वनि से नज़र मत हटाना। सरस्वती का वरदान तुम्हें मिले।


    बहुत स्नेह। बहुत आशीर्वाद तुम्हें।

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  37. इसमें कोई दो राय नहीं कि अस्मिता अच्छा लिख रही हैं।
    सबसे अच्छी बात मुझे ये लगी ,जैसा कि अमूमन हमारे वक़्त के कवियों की वैचारिकी में नहीं देखने को मिलती, वो ये है कि, अस्मिता की कविता में समाज को आलोचनात्मक नज़रिए से देखने और एक तरह के प्रतिरोध में भी, उस नाज़ुक-काव्यात्मक-कशिश को बरक़रार रख ले जाने की क्षमता है जो कि दुर्भाग्यवश वर्तमान बाज़ारवादी चलन की वजह से दुर्लभ हो गई है।
    इतनी ज़रा सी बात कलमकार समझना नहीं चाहते कि सत्ता को ललकारने-धिक्कारने और सैकड़ों इल्ज़ामात मढ़ने के अलावा, उनके नज़रिए को सिरे से खारिज नहीं भी तो नज़रन्दाज़ करके, दुनिया को ख़ूबसूरत देखने और देखते रहने की तमन्ना का इज़हार भी एक तरह का प्रतिरोध हो सकता है। जो कि, अस्मिता की ख़ासकर पहली कविता का अंत, साफ़ तौर पर गुनगुनाए जाता है।

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  38. नरेश सिंह23 दिस॰ 2017, 9:40:00 am

    समालोचन जैसी पत्रिका में छपने से अस्मिता पाठक अपनी साहित्य यात्रा शुरू कर रही हैं यह अपने आप में एक बड़ी बात है और यह इस युवा की उपलब्धि है. उसके परिचय में यह होगा कि उनकी प्रारम्भिक कविताएँ समालोचन में छपी थीं.

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  39. गहरे भाव बोध की कविताएं। अचरज करने से काम नहीं चलेगा। सहज सर्जनात्मकता ऐसी ही होती है। शुक्रिया आपको इसे प्रकाशित करने के लिए।

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  40. बहुत सुंदर कवितायेँ हैं।
    बहुत बहुत शुभकामनायें!!अस्मिता

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  41. आप सभी ने मुझे जो प्रोत्साहन दिया,मेरा मार्गदर्शन किया उसके लिए आप सभी का बहुत-बहुत आभार और शुक्रिया।
    अपनी प्रतिष्ठित पत्रिका समालोचन में मेरी कविताओं को स्थान देने के लिए अरुण देव सर की मैं बहुत आभारी हूँ।

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  42. कविता की मुझे बहुत समझ नहीं है मगर इतना विश्वास से कह सकता हूँ कि यहाँ मुझे कविता की जबरदस्त संभावना झांकती दिखाई दे रही है.

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  43. Umr ke lihaaz se kafi achhi kavitayen hain. Umeed rakhni chahiye ki Asmita aage chalkar aur bhee pripakv kavitayen likhengi. Behtar kavi banne ke liye aur bane rehne ke liye lagataar kafi mehnat karni padti hai. Kaee cheezon kee aur dhyaan dena padta hai, jaise shilp aur laya (rhythm). Kavita sirf bhaavnaon ya vichaaron ka masla nahin hotee. Asmita ko in cheezon ka pata hee hoga ya fir dheere-dheere pata chal jayega. Achhi kavita likhne ke liye yeh bhee zroori hota hai ki bahut achhi kavitayon ko hee pada jaye, baaki ko chhod diya jaye.

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  44. सु लोचना23 दिस॰ 2017, 7:45:00 pm

    अस्मिता इस उम्र में ऐसा लिख रही है तो आगे और भी बेहतर लिखेगी। मेरी शुभकामनाएँ। बस एक बात जो चुभ रही है कि खेल कूद और मस्ती करने की उम्र में उसे झाड़ियों के पीछे छुपे जीव और खाली सड़क डरा रही है।

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  45. रवि रंजन23 दिस॰ 2017, 7:47:00 pm

    उदीयमान कवयित्री के लिए ढेर सारी शुभकामनाएँ.साथ ही एक सलाह भी कि जब भी समय मिले तब कवियों और आलोचकों से मिलने के बजाए उनकी चुनिन्दा पुस्तकें पढ़ें.

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  46. बेहतरीन ताज़ा और परिपक्व कविताएं।बधाई अस्मिता खूब लिखो।

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  47. शानदार और बेहद संभावनापूर्ण लेखन!

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  48. बहुत ही उत्तम कविताएं लिखी है|आप को ढेर सारी शुभकामनाएँ|

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  49. अस्मिता में के लेखन में अनन्त संभावनाएँ हैं

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  50. बहुत सुंदर कविताएं ! अस्मिता को बधाई! ढेर सारी शुभकामनाएँ।

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