हान कांग (Han Kang, जन्म November 27, 1970, साउथ कोरिया) को उनके उपन्यास ‘The Vegetarian’ के लिए 2016 के मैन बुकर इंटरनेशनल प्राइज के लिए चुना गया है.
लेखिका ‘हान कांग’ और ‘द वेजिटेरियन’ पर सरिता शर्मा का
समय से लिखा यह आलेख ख़ास आपके लिए.
मैन बुकर इंटरनेशनल और ‘द वेजिटेरियन’
सरिता शर्मा
दक्षिण कोरियाई लेखिका हान कांग को
उनके उपन्यास “द वेजिटेरियन” के लिए वर्ष 2016 के प्रतिष्ठित मैन बुकर इंटरनेशनल प्राइज के
लिए चुना गया है. उनका यह उपन्यास एक महिला द्वारा मांस का सेवन छोड़ देने और इसके विनाशकारी परिणामों के बारे में है. “द वेजिटेरियन’ उनका
पहला उपन्यास है, जिसे स्मिथ ने अंगे्रेजी में अनुवाद किया है. अनुवाद से पहले ही यह
पुस्तक मशहूर
चुकी थी. यह पहला अवसर है जब पुस्तक की लेखिका और अनुवादक, दोनों को संयुक्त रूप से यह पुरस्कार
दिया गया है. मैन बुकर इंटरनेशनल की 50 हज़ार पाउंड की पुरस्कार राशि हान
कांग और देब्रह स्मिथ में बंटेगी. हान कांग इस पुरस्कार के लिए नामित की जाने वाली और इसे जीतने
वाली दक्षिण कोरिया की पहली लेखिका हैं. बुकर
प्राइज में अन्य भाषाओँ की अनूदित पुस्तकों को 2005 से शामिल किया जाने लगा था. मगर
इसमें लेखक की सब पुस्तकों को सम्पूर्णता में देखा जाता था. इस साल से हर बार यह
पुरस्कार लेखक की किसी एक विशेष कृति को दिया जायेगा. हान कांग की एक और पुस्तक "ह्यूमन
एक्ट्स" भी अंग्रेजी
में उपलब्ध है. पुरस्कार चयन समिति के अध्यक्ष बोएड टॉनकिन
ने कहा कि हान कांग का काम अविस्मरणीय, सशक्त और मौलिक था. हान के इस उपन्यास के साथ-साथ इटली की लेखिका एलेना फेरांटे, अंगोला के जोसे एडुराडो अगुआलुसा, चीन के यान लियांके, तुर्की के ओर्हान पमुक एवं आस्ट्रिया के
रॉबर्ट सीथेलर को भी नांमांकित किया गया था.
हान कांग का जन्म 27 नवंबर, 1970 को क्वांग्जू में हुआ था. वह
10 साल की उम्र में सियोल चली गयी थी. उन्होंने योंसे विश्वविद्यालय में कोरियाई साहित्य का अध्ययन
किया. उसके पिता उपन्यासकार हैं और भाई हान दांग रिम भी एक लेखक है. सबसे
पहले 1993 में हान कांग की पांच कविताएं ‘लिटरेचर एंड
सोसाइटी’ में प्रकाशित हुई थीं. हान की पहली पुस्तक ”ए कंविक्ट्स लव” 1995
में प्रकाशित हुई थी जिसके यथार्थवादी और गूढ़ आख्यान ने विश्व भर में लोगों का ध्यान
आकर्षित किया था. कोरियाई भाषा में प्रकाशित उनकी पुस्तकों में कहानी संकलन द फ्रूट ऑफ़ माई वुमेन (2000); और द ब्लैक डियर (1998), योअर
कोल्ड हैंड (2002), द वेजीटेरियन (2007), ब्रेथ फाइटिंग (2010) और ग्रीक लेसंस
(2011) जैसे उपन्यास शामिल हैं. हान ने “द वेजिटेरियन” और “मंगोलियन
मार्क” को हाथ से लिखा था क्योंकि
कंप्यूटर की बोर्ड के बहुत
ज्यादा इस्तेमाल करने से उनकी कलाई क्षतिग्रस्त हो गयी थी. वह सियोल
इंस्टीट्यूट ऑफ आर्ट्स में रचनात्मक लेखन पढ़ाती हैं.
हान कांग कॉलेज के समय से यी जेंग की कविता
की एक पंक्ति -"मेरे विचार से मनुष्यों को पौधे बन जाना चाहिए" से
अभिभूत हो गयी थीं. कांग ने इसकी व्याख्या औपनिवेशिक काल की हिंसा के खिलाफ रक्षात्मक
रवैये के रूप में की और इससे प्रेरित हो कर सबसे सफल उपन्यास “द वेजिटेरियन” लिखा. यह उपन्यास तीन भागों में
विभक्त है जिसमें कथा को अलग-अलग पात्रों के दृष्टिकोण से आगे बढाया गया है. ईजन हाय और उसके पति आम लोग हैं. पति मामूली महत्वाकांक्षा वाला
और शरीफ कर्मचारी है; पत्नी उदासीन लेकिन आज्ञाकारी पत्नी है. उनकी सपाट शादीशुदा
जिन्दगी में बाधा तब आती है जब ईजन हाय, लगातार
दिखने वाले भयानक दुस्वप्नो के
चलते शाकाहारी बनने का फैसला करती है क्योंकि वह पेड़ पौधों की तरह जीना चाहती है.
दक्षिण कोरिया
में शाकाहारी
होना असामान्य बात है और सामाजिक रीति-रिवाजों का सख्ती से पालन किया जाता हैं. वहाँ ईजन हाय के फैसले को घिनौना
विध्वंसक कार्य माना जाता है. उसका निष्क्रिय विद्रोह विचित्र और भयावह रूपों में
प्रकट होता है, क्योंकि वह खाना बिल्कुल छोड़ देती है, जिनके कारण उसका अपने पति यौन परपीड़न के
कृत्यों को जायज ठहराता है. उसकी क्रूरताओं से तंग आ कर वह आत्महत्या करने का
प्रयास करती है और अस्पताल में भर्ती हो जाती है. वह अनजाने में अपने जीजा, जो वीडियो
कलाकार है, को मोहित
कर लेती है. वह उसकी कामुक और अव्यस्थित कलाकृतियों की केंद्र बिंदु बन
जाती है, जबकि वह अपनी कल्पनाओं में शरीर के बंदी गृह को त्याग कर एक पेड़ बन जाने
की दिशा में असंभव हर्षोन्माद से आगे बढ़ती जाती है. व्याकुल करने वाला, परेशानी भरा और सुंदर उपन्यास “द वेजिटेरियन” आज के दक्षिण कोरिया के बारे में तो है ही, लेकिन यह उपन्यास शर्म, इच्छा और हमारे द्वारा किसी दूसरे बंदी
शरीर को समझने के कमजोर प्रयासों के बारे में भी है.
हान कांग एक संगीतकार हैं और उनकी कला में
रुचि है. "योअर कोल्ड हैंड" की कहानी एक मूर्तिकार और उसकी मॉडल के इर्दगिर्द घूमती है. हान कांग ने अपने
लिखे दस गानों की एक सीडी जारी की है जिसके सभी गानों को उन्होंने खुद गाया था. हान
कांग के उपन्यास "रेड एंकर"
को सियोल सिंमुन स्प्रिंग लिटरेचरी कंटेस्ट में पुरस्कृत किया गया था. उन्हें 1999 में उनके उपन्यास "बेबी बुद्ध" के लिए 25वां कोरियन लिटरेचर नोवल अवार्ड और 2000 में टुडेज
यंग आर्टिस्ट अवार्ड से सम्मानित किया गया था. हान कांग 2005 में "मंगोलियाई मार्क" के लिए यी जेंग
लिटरेरी प्राइज, और 2010 में ब्रेथ फाइटिंग के लिए दांग-नी लिटरेरी अवार्ड जीत चुकी हैं. "बेबी बुद्ध" और
“द वेजिटेरियन” पर फिल्में
बनायी गयी हैं. “द वेजिटेरियन” फिल्म प्रतिष्ठित
नार्थ अमेरिकन फिल्म फेस्ट के वर्ल्ड नैरेटिव कम्पटीशन में शामिल होने वाली 1,022 प्रस्तुतियों में से चुनी
गयी 14 फिल्मों में
से एक थी. इस फिल्म को सियोल इंटर नेशनल फिल्म फेस्टीवल में भी महत्वपूर्ण सफलता मिली
थी.
2013 में 32 वर्षीय किम एरन से पहले तक यी जेंग लिटरेरी प्राइज जीतने वाली सबसे कम उम्र की लेखिका थी. 2016 में छपी हान कांग की पुस्तक "ह्यूमन एक्ट्स" को टेलीग्राफ से पांच सितारों की और गुडरीड्स पर 4.37 की संचयी रेटिंग प्राप्त हुई थी.
_____________ 2013 में 32 वर्षीय किम एरन से पहले तक यी जेंग लिटरेरी प्राइज जीतने वाली सबसे कम उम्र की लेखिका थी. 2016 में छपी हान कांग की पुस्तक "ह्यूमन एक्ट्स" को टेलीग्राफ से पांच सितारों की और गुडरीड्स पर 4.37 की संचयी रेटिंग प्राप्त हुई थी.
सरिता शर्मा
1975, सेक्टर-4/अर्बन
एस्टेट/गुडगाँव-122001
मोबाइल: 9871948430
शुक्रिया सरिता। बढ़िया लिखा तुमने। तुम्हारी मेहनत को सलाम।
जवाब देंहटाएंसमकालीन विश्व साहित्य को हिंदी पाठकों के लिए इतना सहज सुलभ करने का यह सुंदर प्रयास अत्यंत सराहनीय है| इंटरनेट से इसकी पहुंच बहुत ल्यापक और तुरंत होती है| लेखिका और प्रकाशक दोनों को बधाई!
जवाब देंहटाएंअरुणजी आलेख को समालोचन में लगाने के लिए शुक्रिया.अपर्णा अबकी बार डबल मेहनत हो गयी. जिन्दगी से बड़ी नाटकीयता और कहीं नहीं. लैपटॉप आलेख के बीच में खराब हुआ. उसे ठीक करके आलेख नए सिरे से लिखना पड़ा. कल दस घंटे लगी रही. मेरे लिए किसी लेखक को अनुवाद करना या उस पर लिखना बहुत रचनात्मक अनुभव है. 'द वेजिटेरियन'फिल्म देख डाली. नेट पर जो कुछ हान कांग के बारे में मिला पढ़ डाला. जीवन और घटनाओं को हर लेखक नए तरीके से प्रस्तुत करता है. महान लेखकों से कई नए विचार मिलते हैं.काश मेरे और अधिक साहित्यिक मित्र इसे पढ़कर प्रतिक्रिया देते. बहुत कुछ जोड़ा या सुधारा जा सकता है. हान कांग की पुस्तकें अब जरूर पढूंगी.
जवाब देंहटाएंसरिता, तुम्हारे पाठकों ने तुम्हें पढ़ा है। साहित्यिक मित्रों के अलग से सींग पैर नहीं होते, सो एकदम अफ़सोस न करो। अपना काम तुम बेहतरीन ढंग से कर रही हो। ऐसे ही सृजनशील रहो।
जवाब देंहटाएंस्नेह सहित
अपर्णा अफ़सोस कोई नहीं.पाठकों की भरमार है. जब वह कमेंट लिख रही थी तो लैपटॉप स्क्रीन पर कई लाल चींटियाँ घूम रही थी. मैंने कहा- 'आपका स्वागत है. आलेख पढने आई हो न. पिछले जन्म में लेखक या पाठक होंगी.' कर्म सिद्धांत का पालन सर्वोत्तम है. फेसबुक ने बहुत कुछ सिखाया है. अब ज्यादा समय यहाँ की बजाय साहित्य पढने पर लगा रही हूँ. कभी कभार कुछ लिखती रहूंगी.
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (22-05-2016) को "गौतम बुद्ध का मध्यम मार्ग" (चर्चा अंक-2350) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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बुद्ध पूर्णिमा की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
Wah! Sarita Sharma bahut gahanta se kitaben padhti hain aur unpar behetreen alekh likhti hain.
जवाब देंहटाएंसरिता जी निराश न हों , हमने भी पढ़ा... आपको धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंआपकी जानकारी के लिए यह कमेंट लिख रही हूँ :-)
Lovely Goswami
अन्य भाषाओं में लिखी जाने बाली रचनाओं को हमें हिंदी में ही उपलब्ध कराना बहुत सराहनीय कार्य है। बारीकियों को भी सहजता से प्रस्तुत कर देना आपकी कलम का आकर्षण। मुझे बहुत अच्छा लगा यह आलेख।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति!एक अच्छी कहानी का परिचय करवाने के लिए धन्यवाद!
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