tag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post925496251755877277..comments2024-03-18T14:45:15.993+05:30Comments on समालोचन : रंग- राग : पदमावत : सत्यदेव त्रिपाठीarun dev http://www.blogger.com/profile/14830567114242570848noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-80645680968087124652018-02-24T23:51:32.172+05:302018-02-24T23:51:32.172+05:30जानदार, धारदार और संतुलित समीक्षा।जानदार, धारदार और संतुलित समीक्षा।बजरंग बिहारीhttps://www.blogger.com/profile/16525698691408298956noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-41578338708976807932018-02-24T07:34:37.577+05:302018-02-24T07:34:37.577+05:30������वाह मन की बात कह.दी।जबसे पद्मावत देखी तब से ...������वाह मन की बात कह.दी।जबसे पद्मावत देखी तब से अजीब सी खीज थी भंसाली के लिये।पैसे की बरबादी और साहित्यिक कृतियों की ऐसी तैसी भंसाली से बेहतर कोई कर ही नहीं सकता।दीपिका पादूकोण एक भी द्रृश्य मे पद्मावती के अप्रतिम सौन्दर्य का लवलेश स्पर्श नही कर सकी।पांच करोड़ के गहनो से लदी एक मूर्ति।और संवादों का तो क्या कहना।छिछले उथले आज के खोखले युग की तरह हवा मे तैरते गुब्बारे जैसे संवाद।वंदनाnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-76279010333916718612018-02-24T07:30:37.453+05:302018-02-24T07:30:37.453+05:30फ़िल्म के हर पक्ष की विस्तृत समीक्षा !
भंसाली...फ़िल्म के हर पक्ष की विस्तृत समीक्षा !<br /><br /> भंसाली की इस करोडों वाली व्यावसायिक यात्रा में देवदास , मस्तानी ,ओर पदमावत के टाईटील तो फिर भी किसी स्थापित कथाओं के आधार लिये हैं लेकिन इन के पूर्व बनी '' रामलीला ' के टाईटील का आधार किस राम की लीला से सम्बंधित है .. और भी ज्यादा विवेचना का विषय है क्यूँकी भारतीय जन् मानस जिस राम लीला को सदियों से जानता रहा वह तो उस फ़िल्म की कथा से बिलकुल सम्बंधित नही था !<br /><br /> क्या भंसाली ने जानबूझ कर ' मजाक ' उडाया था ..??सबरजीत शर्माnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-47567744391189548602018-02-24T07:28:57.333+05:302018-02-24T07:28:57.333+05:30वर्तमान की खिड़की से अतीत में झांकती बेहद सारगर्भित...वर्तमान की खिड़की से अतीत में झांकती बेहद सारगर्भित ,वैचारिक ,गहन और संतुलित व्याख्या .मधु कांकरियाnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-75847411076380251642018-02-24T07:27:29.753+05:302018-02-24T07:27:29.753+05:30Very true. It is a gross vulgaritu of a sensitive ...Very true. It is a gross vulgaritu of a sensitive subject. I doubt that Bhansali has ability to handle such delicate subject. He just created mass hysteria around it to gain maximum commercial benefits. It was really very painful to watch it and regretted that why did I spend my precious time and money on it.Aleem Mohdnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-43065026434615671002018-02-23T20:54:34.419+05:302018-02-23T20:54:34.419+05:30खरी खरी। जिन्हें विरोध और समर्थन -- दोनों में किसी...खरी खरी। जिन्हें विरोध और समर्थन -- दोनों में किसी को भी चुनना स्वीकार नहीं था, उन सभी का अभिनन्दन। 250 करोड़ की इस कमाई ( इसका रंग आप सोच लें) के पीछे इन लोगों का कोई योगदान नहीं है।praveen pandyahttps://www.blogger.com/profile/01271344034290378549noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-70752103788818558222018-02-23T09:23:03.283+05:302018-02-23T09:23:03.283+05:30सत्यदेव जी का आलेख उत्कृष्ट है।'पद्मावत'फ़ि...सत्यदेव जी का आलेख उत्कृष्ट है।'पद्मावत'फ़िल्म को निगल पाना किसी भी गंभीर पाठक /दर्शक के लिए असंभव है।कालिमा की पृष्ठभूमि में जायसी की कृति अपनी संवेदनशीलता के साथ और भी भास्वर हो जाती है और मजबूर करती है कि इसका mahkavyatmak पाठ हम बार बार करें ...दीन्ही उड़ाई पिरिथमि झूठी प्रोफसर गरिमा श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/02064592660519189027noreply@blogger.com