tag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post903818916413619124..comments2024-03-18T14:45:15.993+05:30Comments on समालोचन : मैं कहता आँखिन देखी : रंजना अरगड़ेarun dev http://www.blogger.com/profile/14830567114242570848noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-43381288553627527822011-01-01T20:10:29.295+05:302011-01-01T20:10:29.295+05:30रंजना जी ने शमशेर जी के कवितायों पर जो कहा है वह न...रंजना जी ने शमशेर जी के कवितायों पर जो कहा है वह नया स्वाद और नया आनंद देता है. बहुत कुछ ऐसा है जो की पाठकों के सामने अब तक नहीं आ पाया था. इसमें शमशेर की कवितायों की खुशबू भी है और बातचीत में घरेलूपन भी. कविता 'अँधेरे के बीच' उम्मीद की लौ जलाती है. जहाँ प्रेम की उचायियाँ है और जीवन के ढेर सारे प्रसंग. रंजना जी को बधाई और अरुण जी को खासतौर पर बधाई की उन्होंने शमशेर जी के अनछुए पहलु से वाकिफ कराया. <br /> niveditaniveditanoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-16606772393062366212011-01-01T18:30:40.235+05:302011-01-01T18:30:40.235+05:30bahut hi badhiya ,dhanyavadbahut hi badhiya ,dhanyavadAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-57298923240390675962010-12-08T16:56:40.553+05:302010-12-08T16:56:40.553+05:30पढ़ने पर कुछ बातें तो नयी मिलीं ही , इससे इनकार नह...पढ़ने पर कुछ बातें तो नयी मिलीं ही , इससे इनकार नहीं करूंगा , पर एक अतृप्ति का एहसास अंत में रहा जिसका संकेत अलबर्ट सा'ब ने किया है ! कविताओं से भी आगे बढ़ '' शमशेर की कुछ और गद्य रचनाएं '' तक की संपादिका रंजना अरगड़े जी से और जानने की कामना रहना वाजिब ही है , कवि विशेष की 'दुरूहता' को समझाने वाली कड़ी के रूप में ! आपने बात रखने वालों की बातों को सकारात्मक तौर पर लिया है , यह आभार योग्य है ! आपको और अरुण देव जी को शुक्रिया , कि कुछेक प्रसंग जो कहीं न मिलते उनको यहाँ से सीख सका ! सादर !Amrendra Nath Tripathihttps://www.blogger.com/profile/15162902441907572888noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-33510756577617898982010-12-08T10:48:59.294+05:302010-12-08T10:48:59.294+05:30रंजना जी के साथ वार्ता आप सभी को पसंद आई , शुक्रिय...रंजना जी के साथ वार्ता आप सभी को पसंद आई , शुक्रिया. अरुण जी , आपका विशेष रूप से आभार कि आपने रंजना जी से बातचीत के लिए उत्साहित किया . रंजना जी ने भरपूर सहयोग दिया. ये एक भावनात्मक बातचीत थी . रंजना जी से जुड़ना अच्छा लगा . एक दुरूह कवि पर वार्ता सुखकर रही ...<br />एक बार फिर आप सभी का आभार !अपर्णाhttps://www.blogger.com/profile/13934128996394669998noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-56166181490557313772010-12-07T22:04:51.303+05:302010-12-07T22:04:51.303+05:30सुन्दर,सार्थक वार्ता रही! शमशेर मेरे प्रिय कवियों ...सुन्दर,सार्थक वार्ता रही! शमशेर मेरे प्रिय कवियों में से हैं ! <br />उनके विषय में कुछ भी सुनना , समझाना मेरे लिए सदा रुचिकर होता है !अरुण अवधhttps://www.blogger.com/profile/15693359284485982502noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-13186728609698298782010-12-07T16:26:54.345+05:302010-12-07T16:26:54.345+05:30यह साक्षात्कार नहीं वरन एक सहज वार्ता थी, जिसमें श...यह साक्षात्कार नहीं वरन एक सहज वार्ता थी, जिसमें शमशेर जी विषय की तरह थे...<br />रंजना जी का सहज व्यक्तित्व,और उसी सहजता से की गयी उनकी बातचीत. <br />अपर्णा जी के द्वारा उसी सरलता से उसका प्रस्तुतीकरण....कविताओं की दुरूहता से विलग एक सहज अनुभूति.<br /><br />अरुण देव जी बधाई!<br />रंजना जी को आभार!<br />अपर्णा जी, शुभकामनाएं...ज्योत्स्ना पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/14491409510866077940noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-37006140467869276132010-12-06T18:53:16.760+05:302010-12-06T18:53:16.760+05:30पहली बात तो जिस तरह शमशेर जी की कविता दुरुह है उसी...पहली बात तो जिस तरह शमशेर जी की कविता दुरुह है उसी तरह उनकी कविताओं पर बात करना भी..आपने हिम्मत की,वह एक अलग ही अंदाज में, बहुत बडी बात है.आपने जोखिम उठाया और बधाई कि उसमें बहुत कामयाब रहीं..नवनीत पाण्डेhttps://www.blogger.com/profile/14332214678554614545noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-44123595435033392762010-12-06T15:09:35.627+05:302010-12-06T15:09:35.627+05:30यह बातचीत अच्छी लगी!सुन्दर पोस्ट!
सादर!यह बातचीत अच्छी लगी!सुन्दर पोस्ट!<br />सादर!अनुपमा पाठकhttps://www.blogger.com/profile/09963916203008376590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-75375708803307140272010-12-06T13:11:21.315+05:302010-12-06T13:11:21.315+05:30पता नहीं चल पा रहा कि क्या कहा जाए ...कहीं लिखा है...पता नहीं चल पा रहा कि क्या कहा जाए ...कहीं लिखा है की "दो घंटे से ऊपर हो .... " ! रंजना जी ने "कम" कहा ये आपने अनकहे को श्रेयस्कर माना ! अपेक्षा बनी थी की कुछ 'नया' मिलेगा ! अच्छी लगी आपकी साफगोई कि, "घर में एक लायक कलम न थी, झट एक महंगी कलम मंगवाई गयी (ये महंगी कलम क्या चीज़ अर्पणा जी) ? "प्रश्नों पर संशय " ये तो खैर होता है ! अस्सी के दशक में मैं मुल्कराज आनंद का इंटरविउ लेने जब पहुंचा तो बंद गेट पर ही उनका पहला सवाल था <br />"मेरी कुछ किताबें पढ़ी भी हैं कि...."! "सर, सारी कि सारी...यहीं बात कर लें ", एक मुस्कान ने गेट खोला था उस दिन ! अच्छा लगा आपका रंजना जी के साथ ...पर जैसे कहा कि "भूख शांत नहीं हुई ", बधाई !Dr. Ernest Alberthttps://www.blogger.com/profile/17845997984236709917noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-39819311893224330842010-12-05T23:10:28.624+05:302010-12-05T23:10:28.624+05:30A good interview :)A good interview :)Arun Prakash Mishrahttp://www.arunprakashmishra.namenoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-75351967257917609952010-12-05T23:07:20.625+05:302010-12-05T23:07:20.625+05:30पहली बार रंजना अरगड़े को पढ़ा था शमशेर के ठीक निधन क...पहली बार रंजना अरगड़े को पढ़ा था शमशेर के ठीक निधन के बाद . उसका असर शेष था . दूसरी बार आपके सौजन्य से पढ़ा . शुक्रिया . अपर्णा जी का अंदाज पसंद आया . बधाई उन्हें .राजू रंजन प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/06383761662659426684noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-71517749104877257222010-12-05T23:05:51.873+05:302010-12-05T23:05:51.873+05:30यहॉं बड़ी महत्वपूर्ण बात निकल आई- "...कलाका...यहॉं बड़ी महत्वपूर्ण बात निकल आई- "...कलाकार की दक्षता और निपुणता थी उनमें वही उन्हें दुरूह बना रही थी।" <br />उपयोगी बातचीत.... आभार !उत्तमराव क्षीरसागरhttps://www.blogger.com/profile/16910353784499813312noreply@blogger.com