tag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post8963123623812418462..comments2024-03-18T14:45:15.993+05:30Comments on समालोचन : कथा - गाथा : सईद अयूब arun dev http://www.blogger.com/profile/14830567114242570848noreply@blogger.comBlogger33125tag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-21544914619028181442017-10-13T07:20:39.823+05:302017-10-13T07:20:39.823+05:30मैं थोड़ा लेट हो गया। लेकिन अपनी तरफ से इतना जरूर क...मैं थोड़ा लेट हो गया। लेकिन अपनी तरफ से इतना जरूर कहूंगा बोल्डनेस ने कहीं भी कहानी के विजन पर असर नहीं डाला है बल्कि उसे और मारक एवं सम्प्रेष्य बनाया है। और जो वरिष्ठ लोग बोल्डनेस को कम करने और विजन पर और ठहर कर चर्चा करने की सलाह दे रहे हैं। उनसे बेहद आदर के साथ कहता हूं कहानी और कविता कथ्य की व्यंजनाओं में है। वैसे भी सईद भाई सांप्रादायिकता पर कहानी लिख रहे हैं कोई लेख नहीं तैयार कर रहे हैं।गुलाबी डायरीhttps://www.blogger.com/profile/12207793907326038522noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-66456402550882862712016-06-01T15:42:34.913+05:302016-06-01T15:42:34.913+05:30सईद सर!बढ़िया थीम , मगर एक बात बुरी लगने की हद तक स...सईद सर!बढ़िया थीम , मगर एक बात बुरी लगने की हद तक समझ से परे है--हमारी प्रगतिशीलता के लिए औरतों का नंगापन क्यों ज़रूरी है! RAJESHhttps://www.blogger.com/profile/03158163736383740209noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-62393944952927498382013-06-26T19:29:13.257+05:302013-06-26T19:29:13.257+05:30sayeed bhai...aadaab... bahut logon ne kaafi kuch ...sayeed bhai...aadaab... bahut logon ne kaafi kuch kah diya hai..so main ziyadah kya kahun..haan kahani ka kendriya bhaav mujhe pasand aaya...yah painting bhi kahani ke saath khoob aayi.. :)<br /><br />Duaayenस्वप्निल तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/17439788358212302769noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-5352739413939186622012-12-12T19:59:46.307+05:302012-12-12T19:59:46.307+05:30सईद, कहानी के बारे में बात करने से पहले कुछ और बात...सईद, कहानी के बारे में बात करने से पहले कुछ और बातें करना चाहूंगा। <br />1. स्त्री विमर्श के एक पहलू 'स्त्री को कमोडिटी मानने का भाव' के बारे में बात करने के लिए कतई जरूरी नहीं बात बात में नंगापन लाया जाए। <br />2. बोल्डनेस का अर्थ नंगापन नहीं होता। <br />3. भ्रम में हूं कि कि बाजार के इस युग में आइडेन्टिटी डिज़ाल्व हुई है या मजबूत हुई है। दो दोस्तों के संदर्भ में <br /><br />अब कहानी के बारे में दो बातें <br />कहानी बेहद संवेदनशील मुद्दे को बेहद कमजोर तरीके से डील करती है। दंगों में मुसलमानों के हाथ होने और खुद के मुसलमान होने के इस तथ्य को जोडने के लिए कहीं से दो मित्रों का गर्लफ्रेंड केसाथ एक साथ हम बिस्तर होने का कोई लेना देना मुझे समझ में नहीं आता <br />कहानी इतना अब्रप्टली सपने के टूटने से खत्म होती है कि सारा ताना बाना जो पहले बुना था बेमानी हो जाता है।नवनीत बेदारhttps://www.blogger.com/profile/07647276768875403285noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-83189306195391363922012-12-10T22:34:12.762+05:302012-12-10T22:34:12.762+05:30सईद भाई की यह कहानी मुझे कई तरह से एक महत्त्वपूर्...सईद भाई की यह कहानी मुझे कई तरह से एक महत्त्वपूर्ण कहानी प्रतीत होती है. मंदिर की सीढ़ियों पर बैठकर दो मुसलमानों की स्वप्न में बातचीत का बिम्ब अत्यंत सार्थक बन पड़ा है, गालियों का प्रयोग उत्सुकता को उभारने हेतु बड़े सार्थक ढंग से किया गया है. यह कहानी इस नज़रिए से प्रभावशाली बन पड़ी है की इसमें सेक्स पर साम्प्रदायिकता की जीत दिखाई गई है और स्त्री के कमोडिटी में बदलने की त्रासदी व्यंजित हुई है. मुझे लगता है की नीना के करेक्टर को और विस्तार दिया जा सकता था और बोल्डनेस के साथ बम कांड में यदि फर्जी ढंग से 'उसे' फंसाने की कथा भी होती तो उसकी चुप्पी और अधिक प्रभावशाली बन सकती थी, लेकिन यह लेखक का विशेषाधिकार है की वह कहानी को कैसे नरेट करे. कुल मिलाकर एक नई और बेहतरीन कहानी के लिए सईद भाई को बहुत बहुत बधाई और अरुण जी को ऐसी कहानी छापने का विवेक और साहस दर्शाने के लिए बधाई. Dr. Puneet Bisariahttps://www.blogger.com/profile/02333168105267968615noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-57962717985948139462012-11-22T18:49:19.689+05:302012-11-22T18:49:19.689+05:30सईद भाई आपको बहुत नहीं पढ़ पाया हूँ। बस एक कविता प...सईद भाई आपको बहुत नहीं पढ़ पाया हूँ। बस एक कविता पढी थी जिसमे सिगरेट का धुंआ बहुत था और आज यह कहानी। ऊपर बड़े बड़े लोगों की टिप्पणी है ऐसे में कुछ कहना बनता नहीं है। लेकिन बस इतना कहना चाहूँगा कि इस बोल्डनेस और खुलेपन की जरुरत बिलकुल भी नहीं थी। इधर अपने प्रकाशन के सिलसिले में देश के बड़े बड़े कथाकारों की कम से कम दो सौ कहानियां एक साथ पढने का मौका मिला है लेकिन कहीं भी इस तरह का खुलापन नहीं मिला। मैं कोई लेखक या आलोचक नहीं हूँ फिर भी मुझे लगता है कि भाषा की शालीनता ज़रूरी है। कहानी बनाने से पहले ख़त्म हो गई। यदि बोल्डनेस न हो तो कहानी में कुछ नहीं है। अरुण चन्द्र रॉयhttps://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-9372835518484801512012-11-18T21:28:32.707+05:302012-11-18T21:28:32.707+05:30dharmik riti riwajon,mahan darsanon,samrajya nirma...dharmik riti riwajon,mahan darsanon,samrajya nirmanon,rajnaitik samikarno aur sampradayik sauhardon ke liye kab tak aurat ko jalil karte rahenge hum log.nayepan ke chakar main kuchh jayada ki auraton ko aapne jalil kar diya hai.sahitya ki meri samajh thodi kum hai lekin nina kaa charitra chitran thoda khatka.kahin aap sampradayik sauhard ke aaveg main istri-vidvesh ki or to nahi chale gaye hain.sochiyegaAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-23675221292866199602012-11-18T07:16:28.626+05:302012-11-18T07:16:28.626+05:30न तो लेखक हूँ न समीक्षक इसलिए मेरी टिप्पणी जादा मा... <br /><br /> न तो लेखक हूँ न समीक्षक इसलिए मेरी टिप्पणी जादा मायने नहीं रखती<br /> इन आल बहुत अच्छी कहानी <br /> " मेरे शहर में बम ब्लास्ट हुआ है ......<br /> तू भी मुसलमान है " ये वाक्य कहानी के बाहर भी कचोटते हैं <br /> परन्तु कहानी जिस उद्देश्य से चली थी उसमें इतनी बोल्डनेस की आवश्यकता नहीं थी Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/04125579342554874427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-49870193323222844782012-11-18T06:05:24.525+05:302012-11-18T06:05:24.525+05:30सईद कुल जमा अच्छी लगी मुझे कहानी.. पर थोड़ी बड़ी क...सईद कुल जमा अच्छी लगी मुझे कहानी.. पर थोड़ी बड़ी की जा सकती थी कहानी... गालियाँ भी ज्यादा थीँ.... जज़्बाती बैचेनी से ज्यादा उग्रता नज़र आई इसमेँ... हाँलाकि कहानी का ख़ाका तुम्हारा था तो तुम बेहतर समझ और समझा पाओगे इस चीज़ को... मुझे हिर्सो-हवस और दीनी-ख़ौफ़ का एक बिस्तर पर एक ही साथ होना भी ज्यादा समझ नहीँ आया। <br /><br />अन्यथा मत लेना कमेँट को..Anagh Sharmanoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-85257937551301709512012-11-17T14:35:21.677+05:302012-11-17T14:35:21.677+05:30 वाकई यह जबर्दस्त कहानी हो सकती है सईद .. आपने किर... वाकई यह जबर्दस्त कहानी हो सकती है सईद .. आपने किरदारों को उनके परिवेश में थोडा और आकार लेने दिया होता .. आपका किरदार जो भाषा बोल रहा है उसी भाषा परिदृश्य को कमरे में दिखाइये .. किरदार अपने परिदृश्य में फंस रहा है .. नीना को कहानी में सूत्रधार की तरह इस्तेमाल करके उस साम्प्रदायिकता वाले एंगल को थोडा और विस्तार दिया जाय तो मजा आएगा .. मैं यह भी सोच रहा हूँ कि कहानी के बोल्डनेस को और तल्ख़ करके इसे आम फहम बोल्ड कर दिया अथवा बोल्डनेस ख़त्म कर दी जाय तो यह कहानी संतुलित होकर और असर कर सकती है ..<br /><br />कहानी पर ब्लॉग सम्पादक की टिप्पणी अत्यंत कमजोर है .. फर्स्ट हैण्ड में यह कहानी फिलवक्त समालोचन पर लगने लायक नहीं थी ..shayak alokhttps://www.blogger.com/profile/02820288373213842441noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-81947728628681996722012-11-17T05:11:27.543+05:302012-11-17T05:11:27.543+05:30kahani bandhe rakhne me to puri tarah sakchham hai...kahani bandhe rakhne me to puri tarah sakchham hai....mool samvedna thodi dabi lagi....sir....padte waqt thoda asahaj bhi mahsoos hua boldness ke karan sir....<br /><br />Devesh Tripathihttps://www.blogger.com/profile/05611934576532288712noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-68716969316581519612012-11-17T04:46:36.332+05:302012-11-17T04:46:36.332+05:30सईद, थीम दिलचस्प है, काम की जरुरत है, क्या ऐसी बोल...सईद, थीम दिलचस्प है, काम की जरुरत है, क्या ऐसी बोल्डनेस कहानी की मांग है?..संबंधों पर यह बेहद मार्मिक कहानी हो सकती है अगर धैर्य से लग कर काम किया जाए, अभी चौंकाती है... सुमन केशरीnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-83313719842845753672012-11-15T22:09:02.438+05:302012-11-15T22:09:02.438+05:30फिर एक दिलचस्प कहानी...
समय के बदलाव के साथ-साथ बद...फिर एक दिलचस्प कहानी...<br />समय के बदलाव के साथ-साथ बदलती भाषा भी पकाऊ/उबाऊ नहीं लगती। सईद भाई को बधाई। Tripurarihttps://www.blogger.com/profile/02391297054199873793noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-21312523359094625262012-11-15T18:36:21.066+05:302012-11-15T18:36:21.066+05:30sayeedujjma ayub ji....lajwab kahani...bdhai sweek...sayeedujjma ayub ji....lajwab kahani...bdhai sweekar kre.ajeetnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-51625117250163559402012-11-15T17:25:01.911+05:302012-11-15T17:25:01.911+05:30Anirudh Umat ji, पहली बात, बहुत बहुत आभार आपकी सला...Anirudh Umat ji, पहली बात, बहुत बहुत आभार आपकी सलाह के लिए. दूसरी बात, कृपया मेरे लिखे के प्रति आप भी निर्मम हो जाएँ मतलब आप को (या किसी को भी) मेरे प्रति या मेरी लेखनी के प्रति कुछ कहते / लिखते हुए बिलकुल ही हिचकिचाने की आवश्यकता नहीं है. जो कुछ फेसबुक पर चल रहा है उससे मैं अनभिज्ञ नहीं हूँ और जानता हूँ कि कई लोग अपनी आलोचनाओं पर बहुत ही हिंसक प्रतिक्रिया देते हैं. मेरे विषय में ऐसा बिलकुल नहीं है. पहली बात तो यह कि मैंने कुछ लिखना अभी सीखा भी नहीं है, बस सीखना शुरू ही किया है ऐसे में आप जैसे अनुभवी लोगों की सलाह मेरे कितने काम आएगी, बताने की आवश्यकता नहीं है. दूसरी बात, मेरा मानना है कि मुझे जीवन भर सीखते ही रहना है और जो कुछ लिखूँगा वह इस सीखने की प्रक्रिया में ही लिखूँगा. तीसरी बात, मेरा लेखन किसी लक्ष्य (पुरुस्कार, हिंदी साहित्य में स्थान आदि) को लेकर नहीं है (यह स्वान्तः सुखाय भी नहीं है क्योंकि मैं चाहता हूँ कि मैं जो भी अच्छा बुरा लिखूँ, वह लोगों तक पहुँचे) इसलिए इस बात से भी मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता कि मैंने कितना लिखा या कितने संग्रह आए, या कहीं प्रकाशित हुआ या नहीं, पर इस बात से अवश्य फ़र्क पड़ता है यदि मैं दो कहानियों के लेखन के बीच कुछ नहीं सीखता हूँ या किसी की सलाह को पूरी तरह अनदेखा करता हूँ. इसलिए कृपया मेरी किसी भी रचना पर खुल कर कहें, जो भी कहना है. आप लोगों के विचार, सलाह, आलोचनाएँ सब मेरे लिए बहुत बहुत अहम हैं. एक बार पुनः आभार!Sayeed Ayubnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-32688988428645361472012-11-15T17:24:31.237+05:302012-11-15T17:24:31.237+05:30Purushottam Agrawal, सर, सबसे पहले तो आपकी टिप्पणी...Purushottam Agrawal, सर, सबसे पहले तो आपकी टिप्पणी के लिए आभार! आप इतने व्यस्त रहने के बावजूद हम लोगों की रचनाएँ न केवल पढ़ लेते हैं बल्कि अपनी टिप्पणी और सलाह भी देते हैं, यह हमेशा एक सुखद आश्चर्य की तरह होता है. उससे जो ऊर्जा और उत्तसाहवर्धन मिलता है उसका कोई मोल नहीं है. सर, मैं पहले ही लिख चुका हूँ कि मैं अभी सीखने की प्रक्रिया में हूँ. यह प्रक्रिया तो जीवन भर चलेगी पर स्वयं से ही यह आशा करता हूँ कि ज्यों-ज्यों लोगो की सलाह मिलेगी, ज्यों-ज्यों मैं और पढूँगा, शायद कुछ अच्छा लिख सकूँगा. कोशिश कर रहा हूँ सर सीखने की, अब कहाँ तक सफल होता हूँ, यह तो समय ही बताएगा.एक बार पुनः बहुत बहुत आभार सर!Sayeed Ayubnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-84135668943645497812012-11-15T17:24:08.527+05:302012-11-15T17:24:08.527+05:30Prem bhai, पहले तो बहुत बहुत आभार आपकी इस बहुमूल्य...Prem bhai, पहले तो बहुत बहुत आभार आपकी इस बहुमूल्य टिप्पणी के लिए. गालियों के प्रयोग और बोल्डनेस को लेकर आनंद द्विवेदी जी ने भी प्रश्न उठायें हैं और मैं जानता हूँ कि ऐसे प्रश्न और आएँगे तो उन पर मैं जल्दी ही अपनी स्थिति स्पष्ट करूँगा. आप मेरी प्रतिभा से वाकिफ़ हैं पर सच कहूँ तो मैं कहानी के क्षेत्र में अभी बिल्कुल अनाड़ी हूँ. मुझे एक अच्छा कहानीकार बनने के लिए बहुत मेहनत करनी है और बहुत पढ़ना है. मैं लगातार कोशिश कर रहा हूँ और उम्मीद है कि कुछ अच्छा कर पाउँगा. मुझमें इतना विश्वास रखने के लिए एक बार पुनः आभार!Sayeed Ayubnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-5853715181783088952012-11-15T17:23:17.320+05:302012-11-15T17:23:17.320+05:30Hammad Farooqui Sahab, meri kahani par aapki nazr-...Hammad Farooqui Sahab, meri kahani par aapki nazr-e-inayat padi, yah mere liye bahut badi baat hai. Aapki salah sar-aankhon par. Waise Urdu men, sach kahoon to Manto, Krishn Chandar, Bedi, Ismat, Khwaja Ahmed Abbas ke baad ke afsaanon kaa mera mutaa'la bahut hi mehdood hai. Padha hai bahut logon ko, Razia Sahiba ko bhi padha hai aur unke kai afsanon ka mureed raha hoon, Hasan Jamal sahab ko bhi padha hai par maine 'Aftari' nahi padhi aur koi aur aisa afsana ya kahani bhi mujhe yaad nahi hai jo meri kahaani ki tarah ho par yah bhi sach hai ki Urdu-Hinid ki kahani ka i'laaqa itna wasee'ya hai ki kisi bhi kahani ki zameen aur style kahan jaakar takraayegi, kaha nahi jaa sakta. Doosri baat, yah sirf meri ek kahani hai. Doosri kahaniyon men mera andaaz bahut muktalif hai. Main is field men bilkul naya hoon, ek tarah se anadi lekin main kisi naye andaaz ki khoj me nahi hoon. Main maanta hoon ki mujhe likhna chaahhiye agar mujhe imaandari se lagta hai ki main likh sakta hoon. Lekin likhne se pahle mujhe bahut padhna chaahiye, jitna abhi tak padha hai, usse kahin bahut zyada. Aapki salah lagaatar mere jehan men rahegi. Agar samalochan par hi maujood meri doosri kahaniyon par aapki nazre inaayet ho jaye aur kuch aur salah mil sake to mamnoon haounga. Main kahani likhne ko kisi halke kaam ki tarah nahi le raha. Isliye aap jaise logon ki salah mere kitne kaam aayegi, batana mushkil hi hai. Ek baar phir se bahut bahut shukriya!Sayeed Ayubnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-3982368120965809622012-11-15T16:03:38.773+05:302012-11-15T16:03:38.773+05:30कहानी पढ़ी ..दोनों विषय थोड़े अलग तरह के हैं , और ...कहानी पढ़ी ..दोनों विषय थोड़े अलग तरह के हैं , और मुझे ऐसा लगता है कि इन्हें जोडकर निर्वाह करने में कुछ रह गया | यही कारण है , कि पहला विषय उस समय तक ठीक गति से चल रहा होता है , और उतना नहीं अखरता , जब तक कि दूसरा आकर उसे आच्छादित नहीं कर लेता | फिर भी कहूँगा , कि पठनीयता तो जबरदस्त है , बस जुड़ाव रह गया मित्र ...रामजी तिवारी https://www.blogger.com/profile/03037493398258910737noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-84215283621814442222012-11-15T06:47:15.967+05:302012-11-15T06:47:15.967+05:30mitr mai amooman kuch kahte in dino dartaa hu....k...mitr mai amooman kuch kahte in dino dartaa hu....khaaskr FB pr. pr purusottam ji...ke aane se himmat kr kah rahaa hu....kuch nirmam ho jaiye apne prati ....or mugdh bhi .<br />bhaasha me awasthit ho ...usse nirwaasit hona .....inke madhya se vh maarak pal kahin hota hai jo chamak kr hamare likhe ko koi soorat deta h. hum kalaa me kewal mar sakte hai ...jiski aapki is kahaani me bhi gunjaaish hai.Anirudh Umatnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-80440167333165146472012-11-15T06:45:34.773+05:302012-11-15T06:45:34.773+05:30सईद, कहानी पढ़ी, "बोल्डनेस" मुझे तो इस क...सईद, कहानी पढ़ी, "बोल्डनेस" मुझे तो इस कहानी में निहायत ग़ैर-ज़रूरी लगी...थीम बहुत मार्मिक है, वह आशंका, भय और अविश्वास...लेकिन निर्वाह के लिए मेहनत करनी होगी....Prem Chand Gandhi जी की टिप्पणी ग़़ौरतलब है, मुझे बहुत अच्छा लगा कि तुमने बहुतेरे युवाओं की तरह उनकी तरफ बंदूक नहीं तान दी बल्कि उनकी बात पर ध्यान दिया...<br />सीखने का यह जज्बा बनाए रखोगे यकीन है मुझे....Purushottam Agrawalnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-36527603275755320012012-11-15T06:44:02.502+05:302012-11-15T06:44:02.502+05:30Sayeed sahib ko jadeed kahaniyon ke urdu me tehree...Sayeed sahib ko jadeed kahaniyon ke urdu me tehreek se bahar aana hoga..Razia Sajjad ki ' aftari ; se lekur hasan jamal tuk aisi kayee kahaniyaan hein ....Hindi ke pathkon ke liye bhi nayee naheeh he..haan Hindi ke typed pathkon ko shayad radical lag rahee hein.Hammad Farooquinoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-91144056565224374352012-11-15T06:43:12.987+05:302012-11-15T06:43:12.987+05:30कहानी पढ़े हुए आधे से अधिक दिन बीत चुका है, लेकिन ...कहानी पढ़े हुए आधे से अधिक दिन बीत चुका है, लेकिन हिम्मत नहीं जुटा पा रहा कि इस पर क्या लिखूं... गालियों के होने या न होने से कहानी में कोई फर्क नहीं पड़ रहा, इसलिये उनकी उपयोगिता समझ में नहीं आई।... कथ्य बोल्ड है, लेकिन इस बोल्डनैस में सांप्रदायिकता वाला मसला बुरी तरह दब जाता लगता है... मेरे ख़याल से इस पर कुछ और काम किया जाना चाहिये... सईद भाई की प्रतिभा से वाकिफ हूं, इसलिये कह रहा हूं कि वे इसे लाजवाब कहानी में बदल सकते हैं... अल्बर्तो मोराविया ने ऐसे बोल्ड कथ्य से लाजवाब कहानियां लिखी हैं, जो पहली नज़र में पॉपुलर किस्म की सेक्सी कहानियां लगती हैं, लेकिन गहराई में मानवीय और सामाजिक रिश्तों की कई परतें खोलती चली जाती हैं।Prem Chand Gandhinoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-11622309377466285322012-11-15T04:09:41.200+05:302012-11-15T04:09:41.200+05:30सईद भई मुबारकबाद कबूल करें .,.... टिप्पणी पढ़ने के...सईद भई मुबारकबाद कबूल करें .,.... टिप्पणी पढ़ने के बाद ...<br />आपका<br />भरत Bharathttps://www.blogger.com/profile/09488756087582034683noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-41491692802024553592012-11-14T23:27:30.454+05:302012-11-14T23:27:30.454+05:30गंभीर विषय को दर्शाती,यथार्थ चित्रण समाज के नग्न र...गंभीर विषय को दर्शाती,यथार्थ चित्रण समाज के नग्न रूप का !!!<br />जातिवाद ,उफ्फ्फ्फफ्फ्फ्फ़ !!! बस भी हो अब .....<br />उस पहलू की तरफ ध्यान खींचती जिधर ध्यान देने और समझने की सख्त ज़रुरत है ...Anonymousnoreply@blogger.com