tag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post8288590821340044163..comments2024-03-18T14:45:15.993+05:30Comments on समालोचन : बोली हमरी पूरबी : तैंतीस करोड़ अपराध पेट में रख कर (मराठी) : प्रफुल्ल शिलेदार arun dev http://www.blogger.com/profile/14830567114242570848noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-55950067320080805782016-09-12T18:43:42.110+05:302016-09-12T18:43:42.110+05:30 बहुत बढ़िया...एक गंभीर और सामयिक कविता। धन्यवाद। बहुत बढ़िया...एक गंभीर और सामयिक कविता। धन्यवाद।Vijay Kumarnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-85012353441233518892016-09-12T15:51:18.773+05:302016-09-12T15:51:18.773+05:30खूप छान खूप छान Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/04196623458734884601noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-48408784115129743012016-09-12T07:39:56.438+05:302016-09-12T07:39:56.438+05:30 अशी चिमटीत धरून अलगद कविता उचलली आहेस!
मीखूप गायी... अशी चिमटीत धरून अलगद कविता उचलली आहेस!<br />मीखूप गायी बघितल्या पण<br />एकदा अंधारून आले असताना लष्करला बाजारात अगदी मधोमध ठिय्या देऊन बसलेल्या गायी मी कधीच पुन्हा बघितल्या नाहीत<br />तुझ्या कवितेने ते स्मरण जागे झाले<br />पुन्हा ग्वाल्हेरीस गेलो तर बहुधा तसेच असेल !Ashok Naigaonkarnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-24858840691388258632016-09-11T15:45:53.752+05:302016-09-11T15:45:53.752+05:30उसे देखते ही दिमाग में गूँजने लगती हैं घंटियां
गोध...उसे देखते ही दिमाग में गूँजने लगती हैं घंटियां<br />गोधूलि स्मृतियों की धूल उड़ने लगाती है <br />मेरा शरीर थरथराता है ठीक वैसे ही <br />जैसे पीठ पर हाथ रखते ही<br />थरथराती है उसकी पीठ....अप्रतिम, प्रफुल्ल जी...... राम तायड़े Raibahttps://www.blogger.com/profile/14032023260399287237noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-41541728731624213862016-09-11T12:37:19.065+05:302016-09-11T12:37:19.065+05:30शिलेदार सर
काय विलक्षण कल्पना आहे.
गाय हे प्रतिक ...शिलेदार सर <br />काय विलक्षण कल्पना आहे.<br />गाय हे प्रतिक वापरून आमच्या जगन्यताली संवेदनशून्यता आपण प्रकट केलित.prashant arweyhttps://www.blogger.com/profile/15435458046304224527noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-59205074776260404402016-09-11T11:51:35.107+05:302016-09-11T11:51:35.107+05:30बहोत खूब, प्रफुल्ल वास्तव को तेढे शब्दोमे सीधे ढंग...बहोत खूब, प्रफुल्ल वास्तव को तेढे शब्दोमे सीधे ढंग से कविता मी पेश करता है ! प्रमोद मुनघाटे https://www.blogger.com/profile/04461788735403551734noreply@blogger.com