tag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post8196445314179281364..comments2024-03-18T14:45:15.993+05:30Comments on समालोचन : एकाग्र : मैनेजर पाण्डेय की आलोचना दृष्टि arun dev http://www.blogger.com/profile/14830567114242570848noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-71347149744935894852016-09-23T17:42:22.720+05:302016-09-23T17:42:22.720+05:30प्रणय जी का आलेख विस्तार के साथ होने के बावजूद न्य...प्रणय जी का आलेख विस्तार के साथ होने के बावजूद न्यायिक नज़र आता है। तीन पुस्तकों के महती चिंतन को रेखांकित करना और दृष्टिबोध के साथ यह बहुत प्रशंसनीय बात है। लाजवाब अलोचकित प्रतिभा और दायित्व के साथ जन्मदिन का तोहफा पाण्डेय जी के लिए है और हमारे लिए पूरा और नव्य दृष्टियों का तोहफा है। शुभकामनाएं!!!सर्वहाराhttps://www.blogger.com/profile/03262084521775905417noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-62565197067684841462013-02-13T23:10:52.760+05:302013-02-13T23:10:52.760+05:30युवा आलोचक प्रणय कृष्ण का मैनेजर पाण्डेय पर लेख...युवा आलोचक प्रणय कृष्ण का मैनेजर पाण्डेय पर लेख Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-20346032513777303542012-09-24T06:53:27.747+05:302012-09-24T06:53:27.747+05:30" किसी रचना का ऐसा समाजशास्त्र जो उसके सामाजि..." किसी रचना का ऐसा समाजशास्त्र जो उसके सामाजिक महत्त्व का विश्लेषण करे, लेकिन उसके कलात्मक सौन्दर्य पर ध्यान न दे , वह अधूरा होगा |" - प्रो. मैनेजर पाण्डेयChandrashekhar Chaubeynoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-48307826196987889672012-09-23T12:53:17.384+05:302012-09-23T12:53:17.384+05:30पाण्डेय जी मेरे लिए आत्मीय अग्रज की तरह रहे हैं,...पाण्डेय जी मेरे लिए आत्मीय अग्रज की तरह रहे हैं, वे बेशक दूर दिल्ली में रहते हों, लेकिन उनकी निकटता हमेशा महसूस होती रही है। उन्हें जन्मदिन पर हार्दिक बधाई और समालोचन के प्रति आभार कि उनके कृतित्व पर यह महत्वपूर्ण आलेख प्रस्तुत किया।नन्द भारद्वाजnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-16730507271317475012012-09-23T08:37:52.334+05:302012-09-23T08:37:52.334+05:30सर को जन्मदिन की शुभकामनाएँ..आलेख बहुत महत्त्वपूर्...सर को जन्मदिन की शुभकामनाएँ..आलेख बहुत महत्त्वपूर्ण है.<br />सखाराम गणेश देउस्कर, महावीर प्रसाद द्विवेदी और माधवराव सप्रे के उपनिवेशवाद विरोधी दृष्टि के प्रो. पाण्डेय के अध्ययन पर आधारित है यह आलेख प्रो.पाण्डेय की वैचारिक, आलोचनात्मक दृष्टि पर प्रकाश डालता है. "देशेर कथा"(देश की कथा ) को हिंदी साहित्य संसार लगभग भूल चुका है..माधवराव सप्रे का पत्रकारिता में योगदान भी हिंदी संसार में कितना याद रखा गया है..इसे ध्यान में रखते हुए प्रो.मैनेजर पाण्डेय जी का तद्भव में छपा "माधव राव सप्रे का महत्त्व" लेख बहुत महत्त्वपूर्ण है.<br />सखाराम गणेश देउस्कर, महावीर प्रसाद द्विवेदी और माधवराव सप्रे का पुनर्पाठ प्रो. पाण्डेय जी की आज के समय में पूंजीवाद, उपनिवेशवाद को लेकर उनकी चिंताओं और उसके समाधान का आख्यान भी है..खासकर तब जब एक बड़े लोकतंत्र में किसान आत्महत्या कर रहा है..<br />युवा आलोचक प्रणय कृष्ण जी को इस आलेख के लिए बधाई! समालोचन आभार.<br />अपर्णा मनोजhttps://www.blogger.com/profile/03965010372891024462noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-89988667715875174172012-09-23T06:37:48.753+05:302012-09-23T06:37:48.753+05:30वाह अरुण , इस लेख को सँझियाकर आज का दिन लूट लिया ....वाह अरुण , इस लेख को सँझियाकर आज का दिन लूट लिया ..आशुतोष कुमारhttps://www.blogger.com/profile/17099881050749902869noreply@blogger.com