tag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post8165728663187875640..comments2024-03-18T14:45:15.993+05:30Comments on समालोचन : कथा - गाथा : वन्दना शुक्ल arun dev http://www.blogger.com/profile/14830567114242570848noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-86392977898534519142013-01-24T19:21:26.160+05:302013-01-24T19:21:26.160+05:30भावनाओं के आरोह-अवरोह , न जाने कौन सी ताल में लय ब...भावनाओं के आरोह-अवरोह , न जाने कौन सी ताल में लय बद्ध यह जीवन राग....... अलग सी कहानी ..... कहानीकारा और प्रस्तुतकर्ता दोनों को ही बधाई, व शुभकामनाएँ..... ज्योत्स्ना पाण्डेयnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-65838059767352794962013-01-24T19:20:32.463+05:302013-01-24T19:20:32.463+05:30वंदनाजी आपकी पहली कहानी पढी है...इसे कई बार पढने क...वंदनाजी आपकी पहली कहानी पढी है...इसे कई बार पढने के के बाद दो शब्द कह पाऊंगा...विलंबित में जीता विलंबित में मर पाऊंगा..<br />ji vandanaji hum sahaj bhaavak hai....hum pr hr cheej ka prabhav padta hai...jaise dharti pr baadalon ki chhaaya girati hai...aapki kahaani itnee achhootee cheejon ...jaghon ...drishyon me itne kamaal se ...apne maahol me le jaati hai ki...hame vah durlabh shabd milta hai ....akelaapan .<br />bahut achhi kahaani ...is trh ki rachnaao pr mere jaisa vyakti dooba hi rahnaa chahega .Anirudh Umatnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-49447474658406272932013-01-24T10:02:51.189+05:302013-01-24T10:02:51.189+05:30एक भिन्न परिवेश और भिन्न स्वर की कहानी | अच्छा लगत...एक भिन्न परिवेश और भिन्न स्वर की कहानी | अच्छा लगता है , जब कोई रचनाकार ऐसे अनछूए और सार्थक विषयों को अपनी कविता या कहानी में ढालता है | मुझे यह प्रयास अच्छा लगा | बधाई आपको |रामजी तिवारी https://www.blogger.com/profile/03037493398258910737noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-78426599495358748712013-01-24T08:17:11.251+05:302013-01-24T08:17:11.251+05:30आप सभी मित्रों क आभार आप सभी मित्रों क आभार वंदना शुक्लाhttps://www.blogger.com/profile/16964614850887573213noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-8560059479846521872013-01-23T19:54:43.681+05:302013-01-23T19:54:43.681+05:30बहुत सुन्दर कहानी... वृद्ध हो चले एक संगीत के कलाक...बहुत सुन्दर कहानी... वृद्ध हो चले एक संगीत के कलाकार की,शास्त्रीय संगीत की महफिलों की छटा, पुराना लखनऊ, पुरानी यादों में, और वो आवाजें जो आज के शोर में गुम हो गयी हैं .. जिन्हें नाज था अपनी आवाज पर अपनी उस्तादी पर उनकी आवाज खो चली है और उन्हें सुनने वाले भी नहीं .. ... बहुत कसक लिए हुए नूतन डिमरी गैरोलाnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-91620297927863151172013-01-23T17:59:43.563+05:302013-01-23T17:59:43.563+05:30वंदना जी की कहानी अपने अलग वक़्त और माहौल में ले ज...वंदना जी की कहानी अपने अलग वक़्त और माहौल में ले जाती है। बेहद मर्मस्पर्शी।Jaya Srinivasannoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-77084916066382552072013-01-23T10:28:56.346+05:302013-01-23T10:28:56.346+05:30बीते जमाने की स्मृतियों को संवेदनशील स्पर्श के स...बीते जमाने की स्मृतियों को संवेदनशील स्पर्श के साथ सहेजती मार्मिक कहानी 'आवाज' एक बुजुर्ग कलाकार के गहरे अहसास से रूबरू कराती है। इस खूबसूरत बयानगी के लिए वन्दना जी को बधाई। नंद भारद्वाजhttps://www.blogger.com/profile/10783315116275455775noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-47127289725310693672013-01-23T09:59:21.738+05:302013-01-23T09:59:21.738+05:30सशक्त कहानी . वंदना इस कहानी का वातावरण एक पुकार क...सशक्त कहानी . वंदना इस कहानी का वातावरण एक पुकार की तरह पाठक को अपने भीतर ले जाता है .आपको बधाई .अपर्णा मनोजhttps://www.blogger.com/profile/03965010372891024462noreply@blogger.com