tag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post816293100994116716..comments2024-03-18T14:45:15.993+05:30Comments on समालोचन : सहजि सहजि गुन रमैं : बहादुर पटेलarun dev http://www.blogger.com/profile/14830567114242570848noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-40102834769726633372014-11-12T10:28:29.024+05:302014-11-12T10:28:29.024+05:30बहादुर पटेल की कवितायें हमें हैरत में डालती है.पाव...बहादुर पटेल की कवितायें हमें हैरत में डालती है.पावरहाउस जैसी प्रेम कविता बहुत दिनों बाद पढी.कवि ने अल्पसंख्यक होते जा रहे प्रेमानुभव को सम्वेदना के साथ व्यक्त किया है.सारे समुंदर का जल/मेरी प्यास से कम है.स्मरण में रहनेवाली पक्ति है.हमे मानना चाहिये बेहतर कवितायें साहित्य के केंद्र के बाहर लिखी जा रही है.Swapnil Srivastavahttps://www.blogger.com/profile/10836943729725245252noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-29510557166571680922014-11-12T07:55:17.323+05:302014-11-12T07:55:17.323+05:30 Sabhi kavitayen marmsparshi hain Sabhi kavitayen marmsparshi hainमहाभूत चन्दन रायnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-30811572546166398602014-11-11T21:55:59.061+05:302014-11-11T21:55:59.061+05:30अच्छी कविताएँ ..विशेषकर शब्दों तुम आना और पॉवर हाउ...अच्छी कविताएँ ..विशेषकर शब्दों तुम आना और पॉवर हाउस.परमेश्वर फुंकवालhttps://www.blogger.com/profile/18058899414187559582noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-25774911916292077522014-11-11T08:45:11.111+05:302014-11-11T08:45:11.111+05:30हर एक कविता अलग अलग अंदाज़ और तेवर लिए हुए है !इसी ...हर एक कविता अलग अलग अंदाज़ और तेवर लिए हुए है !इसी से कवि की काबिलियत के चश्मे का मालूम चलता है है !में बहादुर पटेल जी उनकी कविताओ के लिए और समालोचन को उनके चुनाव के लिए बधाई देता हूँ !साथ ही बहादुर पटेल जी की एक दो कविताओ की कुछ पंक्तियाँ बानगी के रूप में चस्पा कर रहा हूँ !<br />तुम्हे तो जाना ही होगा हर एक के पास <br />किसी बच्चे की तोतली भाषा में <br />इस तरह जाना कि वह तुम्हे सीख ले<br />इतनी जल्दी मत आना उसके पास से <br />कि वह तुम्हे भुला दे <br />तुम बच्चे से कुछ सीख लो <br />तो मेरे अवचेतन में बस जाना <br />मेरे बचपन की किसी कविता में <br />उसका बचपन गा जाना!<br /><br />तानाशाह के पास भी जाना <br />अबोला न लेना उससे <br />पर उसकी बातों में ना आना <br />वह तुम्हे कीलों वाले जूते पहनायेगा <br />सन्नायेगा उन सारे शब्दों पर <br />जो तुम्हारे अपने ही हैं <br />फिर भी तुम आना <br />मेरी कविता में <br />दिखाने उसका भी चेहरा.!!Vishnu Tiwarinoreply@blogger.com