tag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post8159616682807413388..comments2024-03-18T14:45:15.993+05:30Comments on समालोचन : मेघ - दूत : एलिस मुनरो (एमंडसैन) : अपर्णा मनोज arun dev http://www.blogger.com/profile/14830567114242570848noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-58952947218776145982014-01-04T22:39:13.584+05:302014-01-04T22:39:13.584+05:30Bahut bahut sukriya.....Arpna ji.....itni mehnat k...Bahut bahut sukriya.....Arpna ji.....itni mehnat ke liye. heart touching translation.MADAN PAL SINGHhttps://www.blogger.com/profile/04666598449344462181noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-22919518793795922552014-01-04T22:32:22.200+05:302014-01-04T22:32:22.200+05:30
Arpna ji apko bahut bahut dhanyavad anuvad ke li...<br /><br />Arpna ji apko bahut bahut dhanyavad anuvad ke liye aur Arun ji apko bhi dhanyavad acha translation ko prastut karne ke liye.<br />Very nice and natural translation.<br /><br /><br /><br />MADAN PAL SINGHhttps://www.blogger.com/profile/04666598449344462181noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-27274821726712754602013-10-25T01:11:20.419+05:302013-10-25T01:11:20.419+05:30कहानी का अनुवाद काफ़ी communicative और भाववाही रहा।...कहानी का अनुवाद काफ़ी communicative और भाववाही रहा। <br />पुरुष द्वारा अवहेलित स्त्री उजडती सी ही क्यों दिखे ? फिर <br />चाहे वह भारतीय हो या कैनेडियन …विषाद नायिका के <br />मन में ही नहीं कहानी पढने वालों के मन तक पहुंचे…फैले। <br />कंट्रीसाइड का शांत सौंदर्य और स्थलीय वर्णन जीवंत है … <br />जो स्थानीयता का एहसास कराए… जितने ठहराव से <br />कहानी लिखी गयी है उतने ही ठहराव से वह पठनीय भी है…<br />हिंदी अनुवाद के परिश्रम का भी एहसास कहानी पठन के <br />दौरान होता रहे। ज़्यादातर कहानी के भाव, वर्णन इत्यादि <br />अनुवाद में सिमट आए हैं । कहानी के मध्य से कुछ आगे <br />अनुवाद की लय कुछ प्रलंबित सी लगी पर अंत में फिर उसे <br />संभाल लिया गया…कहानी के शुरू-शुरू का अनुवाद तो उत्तम <br />है। मैंने और मेरे मित्रों ने इस कहानी के साथ-साथ अनुवाद <br />की भी सराहना की है । एलिस मुनरो की कहानी हमें पढ़ाने <br />और हम तक पहुँचाने का तहे दिल से शुक्रिया अपर्णा मनोज <br />जी का। वैसे इस शुक्रिया से बढ़कर ही है उनका काम ! <br />GGShaikhhttps://www.blogger.com/profile/02232826611976465613noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-6860577589084941772013-10-20T20:49:13.120+05:302013-10-20T20:49:13.120+05:30एलिस मुनरो को नोबल पुरस्कार - यह उन के अपने लिए नह...एलिस मुनरो को नोबल पुरस्कार - यह उन के अपने लिए नहीं वरन पुरे कनाडा के लिए गौरव की बात है । रही बात उनके उम्रदराज होने की तो यह तो उनकी कर्मठता और लग्न का परिचायक है । उन्होंने २० वर्ष की आयु में अपनी रसोई में काम करते करते लिखना शुरू किया और गत ६० वर्षों से यह क्रम चलता ही रहा । जीवन के झंझावातों से जूझते हुए जब उन्होंने कलम उठा कर रखने का निर्णय लिया तो यह पुरस्कार आ गया । अब तो और आगे लिखने और जीने का उत्साह जाग्रत हो गया । ईश्वर उन्हें दीर्घायु करे और वे इसी तरह साहित्य साधना करती रहें ।Bholanath Goyal ·noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-880235174843798872013-10-19T23:21:58.321+05:302013-10-19T23:21:58.321+05:30वाकई एलिस मुनरो की इस कहानी 'एमंडसैन' को प...वाकई एलिस मुनरो की इस कहानी 'एमंडसैन' को पढ़ना एक नयी दुनिया और नयी तरह के मानवीय रिश्तों के बीच से गुजरना है - चाहे भारतीय समाज हो या कैनेडियाई समाज, स्त्री के पास आत्मनिर्णय के अवसर वाकई सभी जगह सीमित हैं, डॉक्टर फॉक्स उस नायिका (अध्यापिका) से अंतरंग रिश्ता बनाने और शादी के लिए गंतव्य स्थल तक ले जाने के बाद भी अगर इरादा बदल दे, तो नायिका के पास वहीं से अपने मूल स्थान की ओर लौट जाने के अतिरिक्त कोई विकल्प नही बचता। अर्थात् पुरुष चाहे हमारे जैसे अर्ध-विकसित समाज से ताल्लुक रखता हो या अमरीकी-कैनेडियन जैसे विकसित माने जाने वाले समाज से, उसका स्त्री के प्रति बरताव एक-सा ही दिखाई देता है। मुनरो की यह कहानी मन पर गहरे अवसाद का असर छोड़ जाती है। अपर्णा मनोज ने कथा की विषय-वस्तु, मिजाज और वहां के परिवेश के अनुरूप बेहद खूबसूरत शैली में इसका अनुवाद प्रस्तुत किया है। बधाई और हार्दिक शुभकामनाएं। नंद भारद्वाजhttps://www.blogger.com/profile/10783315116275455775noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-37235123058065218412013-10-18T13:59:39.499+05:302013-10-18T13:59:39.499+05:30Good job AparnaGood job AparnaArchana Vermanoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-82915404262943816772013-10-18T13:58:25.863+05:302013-10-18T13:58:25.863+05:30It's great that not Munro alone but the short ...It's great that not Munro alone but the short story as a genre got recognized...simple experiences in life weaved into great pieces...she listened to others' experiences, she said...she may not be another Chekhov, but her art shows so luminously how life is so enmeshed in breath of a story...congrats on sharing the piece...thanks my good friend Aparna for translating it so ably..Upal Debnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-45353360405459855612013-10-18T07:26:46.109+05:302013-10-18T07:26:46.109+05:30शुक्रिया अपर्णा.शानदार कहानी का बढ़िया अनुवाद. मुझ...शुक्रिया अपर्णा.शानदार कहानी का बढ़िया अनुवाद. मुझे इसके संवाद बहुत जानदार लगे जो कथा को प्रवाहमय और पठनीय बनाते हैं. पढ़ी लिखी मध्यमवर्गीय औरत की यह कहानी दुनियाभर की औरतों की नियति का आईना लगती है. अंत यादगार है -'मुहब्बत में स्पष्ट रूप से कुछ नहीं बदलता.'sarita sharmahttps://www.blogger.com/profile/03668592277450161035noreply@blogger.com