tag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post8139850237670696874..comments2024-03-18T14:45:15.993+05:30Comments on समालोचन : अन्यत्र : मुम्बई : संदीप नाईकarun dev http://www.blogger.com/profile/14830567114242570848noreply@blogger.comBlogger13125tag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-31777744765954903122019-05-04T19:20:11.163+05:302019-05-04T19:20:11.163+05:30बहुत सुन्दर और भावपूर्ण अभिव्यक्ति बहुत सुन्दर और भावपूर्ण अभिव्यक्ति Onkarhttps://www.blogger.com/profile/15549012098621516316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-22530960761005512562019-05-04T11:42:34.159+05:302019-05-04T11:42:34.159+05:30परत दर परत सच घका तिलिस्मी आइना खोलती बहुत गहरी और...परत दर परत सच घका तिलिस्मी आइना खोलती बहुत गहरी और सार्थक समालोचक प्रस्तुति। मन की वीणाhttps://www.blogger.com/profile/10373690736069899300noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-57560745677792413252019-05-04T09:30:57.755+05:302019-05-04T09:30:57.755+05:30संस्मरण से ज़्यादा वस्तुगत और एथ्नॉग्रैफ़ी से ...संस्मरण से ज़्यादा वस्तुगत और एथ्नॉग्रैफ़ी से ज़्यादा भावपूर्ण। यह इस संभावना की एक बानगी है कि आप इस विधा में कमाल का काम कर सकते हैं। यह गद्य सांस भी नहीं लेने देता ! नरेश गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/02980323155722804044noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-9111415014966205262019-05-03T20:33:11.013+05:302019-05-03T20:33:11.013+05:30बढिया लिक्खा दद्दा।बढिया लिक्खा दद्दा।विमलेश त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/02192761013635862552noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-51068079856268370562019-05-03T20:00:01.935+05:302019-05-03T20:00:01.935+05:30बहुत सुन्दर. बहुत से लेखकों की मुम्बई पढ़ी है. कृष...बहुत सुन्दर. बहुत से लेखकों की मुम्बई पढ़ी है. कृष्ण चन्दर अलग से याद आते हैं. मंटो भी. और भी अनेक. हर वक़्त में महानगर वही रहते हुए भी बदल जाता है. सन्दीप ने उस बदलते हुए महानगर की नब्ज़ पर हाथ रखा है. शानदार रचना.आशुतोष दुबेnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-45641246179817903582019-05-03T18:06:18.469+05:302019-05-03T18:06:18.469+05:30जिस समाज में पानी और गुड़ कम से कम होता जा रहा हो ,...जिस समाज में पानी और गुड़ कम से कम होता जा रहा हो , उसमें किसी को एक गिलास पानी और गुड़ की एक डली....... देना ही चाहिए. मार्मिक अपील.Naresh Jainhttps://www.blogger.com/profile/10635810159637150865noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-12379789665129590372019-05-03T17:32:36.061+05:302019-05-03T17:32:36.061+05:30 मुंबई यात्रा को आखिर सार्थक व महत्वपूर्ण बना ही ल... मुंबई यात्रा को आखिर सार्थक व महत्वपूर्ण बना ही लिया, दादा बधाई ����<br />भूपेन्द्र भारतीयnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-4397104658181439902019-05-03T14:26:47.293+05:302019-05-03T14:26:47.293+05:30जी नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल ...जी नमस्ते,<br />आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (04-05-2019) को <a href="http://charchamanch.blogspot.in/" rel="nofollow">"सुनो बटोही " (चर्चा अंक-3325) </a> पर भी होगी।<br />--<br />चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।<br />जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।<br />....<br />अनीता सैनीअनीता सैनी https://www.blogger.com/profile/04334112582599222981noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-20353501234035444542019-05-03T10:37:51.804+05:302019-05-03T10:37:51.804+05:30सर आपका आर्टिकल पूरा पढ़ा, बस यही लगा की, दुनिया मे...सर आपका आर्टिकल पूरा पढ़ा, बस यही लगा की, दुनिया में कितना गम है, मेरा गम कितना कम है।Nitesh Mangrolenoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-37300627267486502312019-05-03T10:35:51.671+05:302019-05-03T10:35:51.671+05:30तमाम नरकों का स्वर्ग !
बहुत खूब । सटीक ।।तमाम नरकों का स्वर्ग ! <br />बहुत खूब । सटीक ।।पवन दुबेnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-41012999607444710912019-05-03T10:35:04.103+05:302019-05-03T10:35:04.103+05:30मुम्बई के साथ यदि अपने अनुभव की बात करूँ तो मुझे घ...मुम्बई के साथ यदि अपने अनुभव की बात करूँ तो मुझे घूमने के लिहाज से कुछ स्तर तक सही लगता है परंतु यदि यहाँ रहकर जीवनयापन करना हो तो वो कारावास के सामान होगा। <br />चूंकि उन्नति के साधन मुम्बई में है इसलिए लोग भागते है पर अंदर से लोग इस गर्म एवं उमस से भरे इस शहर से पीछा छुड़वाना चाहते होंगे। <br />बाकी कर्मवीर लड़ते है मजबूरी में।मयंक अग्निहोत्रीnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-14259885720378353882019-05-03T10:33:33.557+05:302019-05-03T10:33:33.557+05:30Sandip दद्दा का यह मुंबई सीरीज कमाल की है । हौले ...Sandip दद्दा का यह मुंबई सीरीज कमाल की है । हौले हौले दिल के किसी कोने की गहराई में उतरते हुए । जहां उदासी और उम्मीद दोनों एक साथ उपजते हैं .....राहुल द्विवेदीnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-40969088372833433722019-05-03T10:32:12.320+05:302019-05-03T10:32:12.320+05:30क्या लिखा आपने Sandip भाई ! कितना सच, मार्मिक. मुं...क्या लिखा आपने Sandip भाई ! कितना सच, मार्मिक. मुंबई में हर जिया जा रहा पल एक बहुत बड़ी ज़िंदगी है. थैंक यू में प्यास को महसूस कीजिएगा जो ये शहर सिखाता है. ‘समालोचन’ को भी हमेशा वाला शुक्रिया ����Sudeep Sohninoreply@blogger.com