tag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post8129203121727486260..comments2024-03-18T14:45:15.993+05:30Comments on समालोचन : मंगलाचार : सुदीप सोहनी की कविताएँarun dev http://www.blogger.com/profile/14830567114242570848noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-44112943660672317352015-07-17T12:44:31.623+05:302015-07-17T12:44:31.623+05:30मैं Arun Dev जी से कभी नहीं मिला...वो भोपाल आए तब ...मैं Arun Dev जी से कभी नहीं मिला...वो भोपाल आए तब भी नहीं...'समालोचन' पर कवितायेँ पढ़ता रहा और चुपचाप रहा, अपनी ढिठाई के साथ...पर जब उन्होंने मेरा लिखा कुछ देखा, एक पल की भी देर के कि कौन है, क्या करता है....'समालोचन' पर जगह दे दी। उनकी यह सदाशयता मेरे लिए मायने रखती है। मुझे नहीं पता छपने का सुख क्या होता है, पर इसे देख कर मैं सच में बहुत खुश हूँ....बड़े भाई Hemant Deolekar इस प्रयोजन के सेतु हैं..... आभार शब्द बहुत छोटा है, आज आप सभी के प्रेम को स्वीकार करने का दिन है मेरे लिए....कृतज्ञता फिर भी है, सभी के लिए...प्रेम के लिए भी।सुदीप सोहनीnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-20476114094624077602015-07-17T12:37:18.653+05:302015-07-17T12:37:18.653+05:30जिये हुये वक्त की तरह हैं यह कवितायें!
अंतिम कविता...जिये हुये वक्त की तरह हैं यह कवितायें!<br />अंतिम कविता मुझे बहुत प्रिय है!<br />अनेक शुभकामनाएँ और बधाई सुदीप भैया :)Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/11524455762632376668noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-28373681763031310562015-07-17T12:35:02.266+05:302015-07-17T12:35:02.266+05:30निहसो का स्वागत है... शुभकामनायें... कई बार पढ़ने क...निहसो का स्वागत है... शुभकामनायें... कई बार पढ़ने के बाद भी आज जब पढ़ी तो सर्वथा अनोखी और ज़िंदगी से भरी लगीं ...निहसो का कवि निरंतर प्रेम मे रहे और लिखे जीवन को ...Hemant Deolekarnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-19653414809025407592015-07-17T09:55:54.095+05:302015-07-17T09:55:54.095+05:30kavitiyen marmikta se bhrpur .... mein kavita k e...kavitiyen marmikta se bhrpur .... mein kavita k ekannt me rona chta hu ... aur,, yaad kavita .. kya baat h in kavityaon mei bahut khoob ...... sudeep ji ko meri taraf se bahut bahut bdaai ho Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/07122742979973188629noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-30237738073592058462015-07-17T09:43:09.521+05:302015-07-17T09:43:09.521+05:30बहुत-बहुत बधाई Sudeep भाई! इतनी सुन्दर कविताओं के ...बहुत-बहुत बधाई Sudeep भाई! इतनी सुन्दर कविताओं के लिए और समालोचन के माध्यम से माहौल में प्रखरता भरने के लिए Arun Dev जी को साधुवाद!Amrit Sagarnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-32380502526526618782015-07-17T09:42:30.674+05:302015-07-17T09:42:30.674+05:30 बहुत ही कोमल और रेशा रेशा खोलती कवितायें ....जिये... बहुत ही कोमल और रेशा रेशा खोलती कवितायें ....जिये हुए और कहे हुए के बीच<br />झूलता हुआ पुल है एक.याद ...बेहद मार्मिक और याद को बहुत बड़ा कैनवास प्रदान करती कविता ..मैं कविता के एकांत में रोना चाहता हूँ <br />और वहीं बहाना चाहता हूँ <br />अधूरी इच्छाओं के आँसू....विह्वल करते हैं ये प्रयोग....बहुत ही संवेदनशील कवितायेंLokmitra Gautamnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-12256489134891920362015-07-17T08:09:45.801+05:302015-07-17T08:09:45.801+05:30बहुत अच्छी कविताएँ हैं
भाषा के खुलते विस्तार में ...बहुत अच्छी कविताएँ हैं<br /><br />भाषा के खुलते विस्तार में विचरने की उनकी अदा...और उसे अपने अहद में सहेजने की तहज़ीब कमाल का है...<br /><br />सचमुच ...सुदीपजी कविताएँ बहुत अच्छी लगीं ।<br />उन्हें बधाई ...!Rahul Jhanoreply@blogger.com