tag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post8011033975266673920..comments2024-03-18T14:45:15.993+05:30Comments on समालोचन : सहजि सहजि गुन रमैं : सिद्धेश्वर सिंहarun dev http://www.blogger.com/profile/14830567114242570848noreply@blogger.comBlogger22125tag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-44165089247762371672013-06-07T11:01:11.030+05:302013-06-07T11:01:11.030+05:30aap aur aapke shabd!!
jabab nahi sir !!
shubhkamna...aap aur aapke shabd!!<br />jabab nahi sir !!<br />shubhkamnayen!!मुकेश कुमार सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/14131032296544030044noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-82704591978329741052013-05-28T09:23:36.752+05:302013-05-28T09:23:36.752+05:30बहुत सुंदर कवितायेँ ......बधाई सिद्धेश्वर सिंह क...बहुत सुंदर कवितायेँ ......बधाई सिद्धेश्वर सिंह को और आभार अरुण देव जी आपको भीSudha Singhhttps://www.blogger.com/profile/12381598676239369256noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-33334587455844945242013-05-18T06:01:17.780+05:302013-05-18T06:01:17.780+05:30लोकगंधऔर नये विषय पर लिखी गई कविताये जिसमें भोजपुर...लोकगंधऔर नये विषय पर लिखी गई कविताये जिसमें भोजपुरी समाज<br />दिखाई देता है.आलता वाली कविता मन को छू गई.प्रेम का एक अलग रंग<br />दिखाई पड्ता है बहुत खूब कविवरSwapnil Srivastavahttps://www.blogger.com/profile/10836943729725245252noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-37925165090314760032012-03-07T06:56:12.843+05:302012-03-07T06:56:12.843+05:30सहजता से गुदगुदाने व सोचने के लिए मजबूर कर देने वा...सहजता से गुदगुदाने व सोचने के लिए मजबूर कर देने वाली कविताएं हैं सिद्धेश्वर जी की। 'दिल्ली में खोई हुई लड़की' सचमुच संवेदना से पगी हुई एक बेहतरीन कविता है, "दिल्ली जरूर जाती है नैनीताल-मसूरी-रानीखेत-कौसानी/ और वहाँ की हवा खाने के साथ-साथ/ तुम्हें भी खा जाना चाहती है - काफल और स्ट्रॉबेरी की तरह/ देखी होगी तुमने/ कैमरा झुलाती, बीयर गस्टकती, घोड़े की पीठ पर उचकती हुई दिल्ली"…।Umeshhttps://www.blogger.com/profile/10308807738552566858noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-42584974896721739972012-03-04T14:37:30.743+05:302012-03-04T14:37:30.743+05:30sabhi ek se badh kar ......bemisaalsabhi ek se badh kar ......bemisaalBrajesh Kumarhttps://www.blogger.com/profile/16913780625092825891noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-38543471959701387182012-03-04T13:33:06.701+05:302012-03-04T13:33:06.701+05:30जनसंसार कार्यालय, कोलकाता में प्रगतिशील लेखक संघ न...जनसंसार कार्यालय, कोलकाता में प्रगतिशील लेखक संघ ने अनय जी को याद करने का मौका दिया। अनय जी सिर्फ लेखक नहीं थे। वे सामाजिक जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय थे। इन विभिन्न सक्रियताओं से उनकी पहचान बनती थी। बड़ी बात यह कि लेखन भी उनके लिए सामाजिक जीवन सक्रियता का ही एक माध्यम था। कुछ लोगों की राय में अनय जी लेखन की दुनिया में उपेक्षित ही रहे। उपेक्षित या कहें अलक्षित रह जाना उन लेखकों की नियति ह...ै जो अपने सामाजिक जीवन की सक्रियताओं के एक माध्यम के रूप में लेखन को अपनाते हैं, लेखन को अपने सामाजिक जीवन की सक्रियताओं के एक मात्र माध्यम के रूप में लेखन को नहीं अपना पाते हैं। मनुष्य अपनी पहचान की बहुवचनीयताओं में सक्रिय रहता है। लेखन उसकी पहचान का एक आयाम होता है। राजनीतिक और सामाजिक संगठनों के साथ ही लेखक संगठनों की भी अपनी भूमिका होती है और बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। लेकिन संगठनों के माध्यम से जो लेखक अपने सामाजिक जीवन की सक्रियताओं को पूरा करते हैं वे अपनी लेखकीय क्षमता का संपूर्ण लेखन को दे नहीं पाते हैं। निराशा या हताशा के आरोप का खतरा मोल लेते हुए भी कहना चाहता हूँ कि जिनमें लेखकीय क्षमता होती है उन्हें अपने समय की राजनीतिक और सामाजिक सचाइयों से गैर सांगठनिक जुड़ाव विकसित करना चाहिए। राजनीतिक संगठनों में सक्रिय लोग किसी लेखक की पीड़ा और लेखन के महत्त्व को समझे बिना को समझे बिना तुरंत इस निष्कर्ष पर आमादा हो जाते हैं कि लेखक अगर उनके संगठनों से नहीं जुड़ेगा तो राजनीतिक और सामाजिक सचाइयों को नहीं समझ पायेगा और अपने लेखन को उससे नहीं जोड़ पायेगा। पूरी विनम्रता से कहना जरूरी है कि या तो लेखक के संगठन से जुड़ने का अर्थ बदलना होगा या फिर राजनीतिक और सामाजिक सचाइयों का अर्थ बदलना होगा। राजनीतिक संगठनों को इस दंभ से बाहर निकलना ही होगा कि लेखन कर्म की सार्थकता के लिए जरूरी राजनीतिक और सामाजिक सचाइयों को देखने की आँख सिर्फ उनके यहाँ विकसित हो पाती है। राजनीतिक संगठनों का इस दंभ से बाहर निकलना मुश्किल है, ऐसे में यह जोखिम खुद लेखक को उठाना होगा कि अपने लेखन कर्म की सार्थकता के लिए जरूरी राजनीतिक और सामाजिक सचाइयों को देखने की आँख राजनीतिक संगठनों की चौहद्दी से बाहर रहकर विकसित करे और लेखन में लगा रहे। राजनीतिक संगठन शक्तिपीठ होते हैं। शक्ति बहुत तेजी से अपनी ओर खींचती है। खींचती ही नहीं है बल्कि बाँध भी लेती है। क्या कारण है कि फिल्म, साहित्य, खेल आदि से जुड़े सफल लोग तो अक्सर राजनीति की तरफ जाते हुए दिखाई पड़ जाते हैं, लेकिन राजनीति में सफल लोग कभी भी फिल्म, साहित्य, खेल आदि की ओर जाते हुए दिखाई नहीं पड़ते हैं, हाँ फिल्म, साहित्य, खेल आदि के संगठनों में इनकी दिलचस्पी जरूर होती है। फिल्म, साहित्य और खेल आदि से विदा होकर जनप्रतिनिधि या मंत्री बनने के उदाहरण तो मिल जा सकते हैं लेकिन जनप्रतिनिधित्व या मंत्रित्व को छोड़कर फिल्म, साहित्य और खेल आदि से जुड़ने का उदाहरण तो शायद ही मिले। अनय जी ने कुछ हद तक अपने चयन का जीवन जिया, लेखन की दुनिया में अनय जी की उपेक्षा या उनके अलक्षित रह जाने का दर्द जिन लोगों को है उन्हें उनके चयन की पड़ताल करनी चाहिए।प्रफुल्ल कोलख्यान / Prafulla Kolkhyan https://www.blogger.com/profile/08488014284815685510noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-87685412580429365082012-03-04T11:47:44.114+05:302012-03-04T11:47:44.114+05:30बहुत अच्छी लगीं ये कविताएं. दर असल इन कविताओं पर म...बहुत अच्छी लगीं ये कविताएं. दर असल इन कविताओं पर मेरी भी नज़र थी, अपने ब्लॉग पर देने के लिए. सिद्धेश्वर से बात भी हो गई थी. पर समालोचन "फ़र्स्ट" आ गया. विलम्ब से, पर बहुत बधाई दिद्धेश्वर को.मोहन श्रोत्रियhttps://www.blogger.com/profile/00203345198198263567noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-26171893236636952402012-03-03T20:52:13.655+05:302012-03-03T20:52:13.655+05:30बधाई !
सच है -
"फूली हुई सरसों के
खेतों के ...बधाई !<br /><br />सच है -<br /><br />"फूली हुई सरसों के<br />खेतों के ठीक बीच से<br />सकुचाकर निकलती है कर्मनाशा की पतली धारा। "Kavita Vachaknaveehttps://www.blogger.com/profile/02037762229926074760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-68158411974980728762012-03-03T17:15:54.653+05:302012-03-03T17:15:54.653+05:30कवितायें तो सभी अच्छी हैं लेकिन "दिल्ली में ख...कवितायें तो सभी अच्छी हैं लेकिन "दिल्ली में खोई हुई लड़की " और "अँधेरे में मुक्तिबोध" खास तौर पर मुझे पसंद आयीं ....बधाई सिद्धेश्वर जी कोरामजी तिवारी https://www.blogger.com/profile/03037493398258910737noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-40246776449858161902012-03-02T21:22:45.501+05:302012-03-02T21:22:45.501+05:30सिद्धेश्वर जी की कविताएं इस अर्थ में विशिष्ट हैं...सिद्धेश्वर जी की कविताएं इस अर्थ में विशिष्ट हैं कि पहाड़ की गहरी संघर्षशील जनता और वहां की प्रकृति के विरल दृश्यों के साथ, उनके यहां संवेदनाओं और गहरी मार्मिक अनुभूतियों का एक विपुल संसार है, जो अपनी पूरी ताकत के साथ पाठक को कई स्तरों पर विचलित करता है, तोड़ता है और हमारे समय के बेहद खतरनाक सवालों से रूबरू कराता है। सिद्धेश्वर जी को बधाई और अरुण जी का आभार इन कविताओं के लिए।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/13562041392056023275noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-4023855192478181632012-03-01T21:27:22.969+05:302012-03-01T21:27:22.969+05:30behad khubsurat kavitayen shukariya arun jee en ka...behad khubsurat kavitayen shukariya arun jee en kaivtaon ko samalochan me ahamil karney ke leyeVipin Choudharyhttps://www.blogger.com/profile/05090451479975418329noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-3381786920162972032012-03-01T20:40:37.442+05:302012-03-01T20:40:37.442+05:30आभार अरुण जी, मेरे लिखे - कहे को सुन्दर तरीके से स...आभार अरुण जी, मेरे लिखे - कहे को सुन्दर तरीके से साझा करने के लिए और सभी साथियों के प्रति दिल से शुक्रिया।siddheshwar singhhttps://www.blogger.com/profile/06227614100134307670noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-77237802760812650812012-03-01T15:16:27.531+05:302012-03-01T15:16:27.531+05:30सिद्धेश्वर भाई की कविताएं पढ़ रहा हूं। इस कवि की स...सिद्धेश्वर भाई की कविताएं पढ़ रहा हूं। इस कवि की सदगी और संवेदनशीलता बेहद पसंद आ रही है। सिद्धेश्वर दा आपको ढेर सारी बधाइयां......विमलेश त्रिपाठीhttp://bimleshtripathi.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-75420863126408512032012-02-29T19:41:39.621+05:302012-02-29T19:41:39.621+05:30सिद्धेश्वर जी! आप तो अच्छे कवि निकले भाई। बहुत बधा...सिद्धेश्वर जी! आप तो अच्छे कवि निकले भाई। बहुत बधाई।Ganesh Pandey https://www.blogger.com/profile/05090936293629861528noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-58247518573084456802012-02-29T19:04:46.342+05:302012-02-29T19:04:46.342+05:30सुन्दर कवितायेँ ! एक निश्चित नाप की गहराई में ब...सुन्दर कवितायेँ ! एक निश्चित नाप की गहराई में बहती हुई कवितायेँ ! बधाई सिद्धेश्वर जी को !अरुण अवधhttps://www.blogger.com/profile/15693359284485982502noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-34042493731532059292012-02-29T18:46:09.344+05:302012-02-29T18:46:09.344+05:30स्थान व घटना का सचित्र वर्णन करते कविता के शब्द..स्थान व घटना का सचित्र वर्णन करते कविता के शब्द..प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-29742457686394258852012-02-29T18:41:19.631+05:302012-02-29T18:41:19.631+05:30बहुत सकुचा कर निकली है कर्मनाशा की पतली धारा !बहुत सकुचा कर निकली है कर्मनाशा की पतली धारा !अजेयhttps://www.blogger.com/profile/05605564859464043541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-81341136583386718932012-02-29T16:01:41.313+05:302012-02-29T16:01:41.313+05:30siddheshwr ji ki kavitaien anubhav ki emandar kala...siddheshwr ji ki kavitaien anubhav ki emandar kalatmk abhivyaktiyan hain.Kumar Anupamnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-17721237540205658562012-02-29T09:51:47.703+05:302012-02-29T09:51:47.703+05:30सभी कविताएँ बहुत अच्छी लगीं .. गंभीर रचनाएँ ..सिद...सभी कविताएँ बहुत अच्छी लगीं .. गंभीर रचनाएँ ..सिद्धेश्वर जी को .. बधाई ! और आभार अरुण देव .अपर्णा मनोजhttps://www.blogger.com/profile/03965010372891024462noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-22100936353810271612012-02-29T09:39:48.832+05:302012-02-29T09:39:48.832+05:30दिल्ली में खोई लड़की , छू गयी ,
ईजा - माँ , डाड -...दिल्ली में खोई लड़की , छू गयी ,<br /> ईजा - माँ , डाड - दहाड़ मारकर रोना , बैणी - बहन .....Pratibha Bisht Adhikarinoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-54661105043998778452012-02-29T06:53:24.542+05:302012-02-29T06:53:24.542+05:30kaun pochhega ise.. in kvitaon me kuchh vishesh ha...kaun pochhega ise.. in kvitaon me kuchh vishesh hai.. kvitayen gahan anubhvon se upji hui prteet hoti hain .. matr shabd khel nhi.. bahut sundar rachnaye hain..maine karmnasha kee kuchh kvitayen padhi hain.. aaj poori padh daalungi.. bahut badhai.sidheshwar ji.. arunji shukriya.leena malhotrahttp://www.facebook.com/leena.m.r.noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-20557075099340617442012-02-28T21:52:00.284+05:302012-02-28T21:52:00.284+05:30kyaa baat hai jnaab aap to bhut chhupe rustm nikle...kyaa baat hai jnaab aap to bhut chhupe rustm nikle hai ...akhtar khan akela kota rajsthanआपका अख्तर खान अकेलाhttps://www.blogger.com/profile/13961090452499115999noreply@blogger.com