tag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post778100158607960263..comments2024-03-18T14:45:15.993+05:30Comments on समालोचन : सहजि सहजि गुन रमैं : पंकज चतुर्वेदी arun dev http://www.blogger.com/profile/14830567114242570848noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-60793145563230697772015-08-04T08:57:41.747+05:302015-08-04T08:57:41.747+05:30''जिसकी आँख में आँसू है
उससे मुझे हमेशा
उम...''जिसकी आँख में आँसू है<br />उससे मुझे हमेशा<br />उम्मीद है'' उत्तम अभव्यिक्ति.........जिसमें चेतना है, विचार हैं, चेतना और विचार का संयोजन ही चिंतन है । चिंतन ही भावोत्पत्ति करने तथा भावोत्पत्ति ही चिंतन की अोर मनुष्य को प्रवृत्त करती हैं। जहां आंसू हैं वहां संभावना है। भाव शून्य और सूखी आंखों में नाउम्मीदी होती है। पंकज भाई को साधुवाद। <br />vickysingh4675https://www.blogger.com/profile/06014618894759654666noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-66019455593158376432015-07-25T18:42:22.453+05:302015-07-25T18:42:22.453+05:30पंकज चतुर्वेदी की कवितायेँ बहुत शानदार है।मैं उनके...पंकज चतुर्वेदी की कवितायेँ बहुत शानदार है।मैं उनके कविताओ का पुराण प्रशंशक रहा हूँ और ये देख कर बहुत ख़ुशी होती है की उनकी कविता उत्तरोत्तर अधिक से अधिक धारदार होती जा रही है।और कही से भी वे अपने आपको रिपीट नही करते हैं।नही तो आमतौर पर हिंदी में धीरे धीर कवि मुहवराविहीन हो कर अपनी लय और चमक खो देते हैं।इसके प्रमाण एक नही अनेक हैं।यह भी ठीक है की हर पाठक की अपनी दृष्टि होती है उसके आधार पर वह अपनी राय तय करता है लेकिन यह राय पूर्वाग्रह से ग्रसित नही हो तो बेहतर है।पाठक को उन्हें अपनी राय रखने का पूरा अधिकार है पर कृपया लोगो को अपने विश्लेषण में अतिसरलीकरण से बचने का प्रयास करना चाहिए।परितोष मणिnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-18360054184032770212015-07-25T08:02:07.781+05:302015-07-25T08:02:07.781+05:30इन कविताओं के लिए शुक्रिया समालोचन.इन कविताओं के लिए शुक्रिया समालोचन.अपर्णा मनोजhttps://www.blogger.com/profile/03965010372891024462noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-33049097313717512832015-07-25T06:36:10.377+05:302015-07-25T06:36:10.377+05:30सरल दिखने वाली विरल कविताएं.. कवि को बधाई, आपका अा...सरल दिखने वाली विरल कविताएं.. कवि को बधाई, आपका अाभार.. Shyam Bihari Shyamalhttps://www.blogger.com/profile/02856728907082939600noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-11183844269220912932015-07-24T20:14:37.891+05:302015-07-24T20:14:37.891+05:30बिना शब्दों को क्लिष्ट किये इतने सहज ढंग से अपनी ब...बिना शब्दों को क्लिष्ट किये इतने सहज ढंग से अपनी बात कह देना और कई तो चंद शब्दों में ही...लाजवाब !Pratima Tripathinoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-23443221026158500872015-07-24T20:13:01.432+05:302015-07-24T20:13:01.432+05:30पंकज को बधाई। वे अपने आलोचक का भार अपनी कविताओं पर...पंकज को बधाई। वे अपने आलोचक का भार अपनी कविताओं पर बिल्कुल नहीं डालते। मुझे उनकी कविताएं अच्छी लगती हैं। इस संग्रह पर मंगलेश जी के आग्रह पर 'शुक्रवार' के लिए लिखा है।Om Nishchalnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-75548304952377074582015-07-24T08:47:01.146+05:302015-07-24T08:47:01.146+05:30अच्छा लगा आपकी कविताएँ पढ़ना.अच्छा लगा आपकी कविताएँ पढ़ना.brahmrakshashttps://www.blogger.com/profile/03283333106371337058noreply@blogger.com