tag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post7477944761983799904..comments2024-03-18T14:45:15.993+05:30Comments on समालोचन : सहजि-सहजि गुन रमैं : अमित उपमन्युarun dev http://www.blogger.com/profile/14830567114242570848noreply@blogger.comBlogger17125tag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-13351864532056920182012-11-06T07:34:13.216+05:302012-11-06T07:34:13.216+05:30मुझे इन कविताओ को पढ़ने मे ही एक घँटे से अधिक का स...मुझे इन कविताओ को पढ़ने मे ही एक घँटे से अधिक का समय लग गया !इन्हे समझने के लिए मुझे बहूत दिमाग दौड़ाना पड़ा!! सत्य की तरह रेगँता हुए अर्थो की तह तक पहुचना एक "सत्यमेव जयते" जैसी अनुभूति होने जैसा लगा!!<br />मेरे लिए इनमे बहुत कुछ था भले ही इनमे सबके लिए कुछ न हो!! पर शायद कलम अनाथ नही जमाने को नया रुख देने वाले कवि-लेखक इसके अभिभावक है!! आप सुख दुख की अलग अलग भाषा का हुनर रखते है पर मेरे पास भाषा एक लहजे अलग अलग!! बाकि अपने अपने शब्द अपने अपने प्रयोग अपनी अपनी अर्थ निकालने की इच्छाए! आपकी शब्दो के साथ तो यारी पुरानी लगती है और उम्मीद है यह सूरज डूबने से पहले अपना काम पूरा कर चुका होगा !! बाकि कहना तो बहुत कुछ है पर सब कुछ नही!Rajdeep Kanwarianoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-85936394109274648392012-11-04T20:40:31.697+05:302012-11-04T20:40:31.697+05:30अच्छी कवितायेँ.......एक अलग पहचान बनती हुयी.
अच्छी कवितायेँ.......एक अलग पहचान बनती हुयी.<br />Mahesh Chandra Punethahttps://www.blogger.com/profile/09695768908018459567noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-88721654025872282282012-11-03T20:59:22.207+05:302012-11-03T20:59:22.207+05:30अमित के पास जो'कल्पित,निर्मित या अवतरित' ...अमित के पास जो'कल्पित,निर्मित या अवतरित' है वह अथाह है। ऐसा प्रतीत होता है कि एक मनुष्य जिसकी चिंता तो बस अपने लिए प्रामाणिकता की तलाश है वह बस इतने से उपक्रम में भी सृष्टि से लेकर धरती और उसपर इंसान के बनने से लेकर सभ्यता तक के बनने के अंतर्विरोधों के घन को अपने भीतर पहचान लेता है। उसे ऐसा इंसान बनना है जिसे 'इंसान की दैत्यों और देवताओं से हो चुकी संधि' के झूठ से कोई लाभ नहीं उठाना, उसे 'खुशी के हर घृणित पल' को फेंक डालना है। वह जैसे-जैसे अंतर्विरोधों के घन से मुक्त होता है,जिस क्रम में वह दौड़ाया और घसीटा भी जाता है, जिसे अपनी प्रामाणिकता की खातिर वह स्वीकार करता है, वैसे-वैसे वह मुक्त हो ऊपर उठता है। विश्वात्मा के पास भी वह वैसा सुनाई देगा जैसा वह ठुकराया गया था। एक द्वैताद्वैत सा महसूस हुआ। ऐसा महसूस हुआ कि सत्य अपने होने के लिए जिस प्रक्रम से गुजरा उसके अनुगूंजों उसके विशेषार्थों को धारण कर ही वह सत्य है।....अमित जी क्षमा करेंगे अर्थ महसूस करने में गलतियां मैंने निश्चित की होगी...पर अमित नाम के 'असाध्य वीणा' को साधने की साधना में लगा रहूंगा... Rakesh Srivastava https://www.blogger.com/profile/03266916229003338141noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-25695238596963424262012-11-03T08:52:20.703+05:302012-11-03T08:52:20.703+05:30सभी कविताएँ अति-शानदार हैं. और यह शानदार होना समका...सभी कविताएँ अति-शानदार हैं. और यह शानदार होना समकालीन भी है. बहुत बहुत बधाई!Sayeed Ayubhttp://gmail.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-59433742230144610702012-11-02T11:17:50.627+05:302012-11-02T11:17:50.627+05:30बहुत अच्छी कवितायेँ ! कविताओं की भाषा और कहन अलग-स...बहुत अच्छी कवितायेँ ! कविताओं की भाषा और कहन अलग-सा असर छोड़ती है !निश्चित ही अमित में एक सजग कवि सभी लक्षण मौजूद है ! उनके लिए शुभकामनाएं और बधाई !अरुण अवधhttps://www.blogger.com/profile/15693359284485982502noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-30711695887841739882012-11-02T11:05:54.866+05:302012-11-02T11:05:54.866+05:30बहुत बढ़िया कविताये अमित जी ! बस, लिखते रहिये ..ले...बहुत बढ़िया कविताये अमित जी ! बस, लिखते रहिये ..लेकिन इसी ताजगी और मासूमियत के साथ ! समालोचन का आभार ! Santoshhttps://www.blogger.com/profile/15733814630193589718noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-11979747864537708072012-11-02T09:25:40.882+05:302012-11-02T09:25:40.882+05:30यह ख़ुशी की बात है , कि आज ब्लॉगों ने अमित जैसे नव...यह ख़ुशी की बात है , कि आज ब्लॉगों ने अमित जैसे नवांकुरों को सामने लाने का इतना सार्थक प्रयास किया है...बहुत अच्छी कवितायें हैं ..बधाई ...रामजी तिवारी https://www.blogger.com/profile/03037493398258910737noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-38327168699145547062012-11-01T19:22:25.130+05:302012-11-01T19:22:25.130+05:30अच्छी कविताएं हैं... सच में अमित एक बेहतरीन संभाव...अच्छी कविताएं हैं... सच में अमित एक बेहतरीन संभावनाशील कवि के रूप में सामने आ रहे हैं... बधाई। ...मर्लिन ब्रांडो को कविताओं के साथ देखना एक और सुखद अनुभव रहा... आभार समालोचन... Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/13562041392056023275noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-40656330956703452252012-11-01T18:54:16.078+05:302012-11-01T18:54:16.078+05:30'सत्य के पाँव नहीं होते' और 'अंतिम इच्...'सत्य के पाँव नहीं होते' और 'अंतिम इच्छायेँ' कविता बेहद सुंदर है । अंतिम इच्छाएं में हमारे द्वंद्वों को खूबसूरती से बयान किया है अमित जी ने ! अमित जी की कविताओं से परिचय के लिए धन्यवाद ! <br /><br />अनुपमा तिवाड़ीAnupamhttps://www.blogger.com/profile/03795204802599312040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-88860204006592063652012-11-01T15:03:23.399+05:302012-11-01T15:03:23.399+05:30दुःख महकते हैं रातों में रातरानी की तरह ...'अं...दुःख महकते हैं रातों में रातरानी की तरह ...'अंतिम इच्छाएं और सत्य के दांत नहीं होते' बहुत अच्छी कवितायें हैं ..भाषा की गंभीरता और विविधता अमित की ख़ासियत है ..Singh Kshamanoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-26949087396133426892012-11-01T15:02:42.068+05:302012-11-01T15:02:42.068+05:30सच में अच्छी कवितायें
इस बहुय्यामी इंसान से मिलवाय...सच में अच्छी कवितायें<br />इस बहुय्यामी इंसान से मिलवाया आपने , शुक्रिया शायक बाबू<br />अपर्णा ने ध्यानाकर्षित किया यहाँ ब्लैक/ वाईट चित्रों पर तो<br />मार्लन ब्रांडो विख्यात किरदार कर्नल क्रूट्ज़ में नमूदार हुए<br />और वो नीचे का चित्र शायद 'स्ट्रीट कार नेम्ड डिज़ायेर' नाटक से जिसमे मार्लन ब्रांडो (ही) थे !<br />अमित से सीखा जा सकता है की उल जलूल कोम्प्यूटर जेनेरेटिड चित्र कविताओं को कितना गिराते हैं<br />या ऐसे चित्र कितना उठा भी देते हैं !<br />पर ये भी हो सकता है की अमित को अपनी रचनाओं पे विशवास हो ! <br />शुक्रिया जी !Ernest Albertnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-85878767351502340812012-11-01T14:40:03.107+05:302012-11-01T14:40:03.107+05:30अमित की कविताएं अपने वृहत्तर सरोकारों, विस्तृत फ...अमित की कविताएं अपने वृहत्तर सरोकारों, विस्तृत फलक, सजग दृष्टि और अछूती भाषिक अभिव्यक्ति के चलते विस्मित करती हैं। अपने समय के निर्मम यथार्थ और विडम्बनाओं के प्रति कवि का सात्विक प्रतिरोध और मानवीय संघर्ष के प्रति गहरी आश्वस्ति इन कविताओं के असर को और गहरा बना देती है। भाषा और काव्य-संवेदन का यह नया तेवर अपने पहले ही पाठ में न केवल आकर्षित करता है, बल्कि एक दूरगामी प्रभाव छोड जाता है। अमित को हार्दिक बधाई।Nand Bhardwajnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-36224145949709640512012-11-01T14:35:33.428+05:302012-11-01T14:35:33.428+05:30अमित को पढ़ना आश्वस्तकारी है कि वे आने वाले सम...अमित को पढ़ना आश्वस्तकारी है कि वे आने वाले समय की ओर अपनी कविताओं से सूक्ष्म और कलात्मक संकेत दे रहे हैं। नई<br /> काव्यभाषा और कहन के नए अंदाज़ के साथ इस नये कवि का स्वागत। बधाई समालोचन और अरूण देव के लिए.....Hrishikesh Sulabhnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-1083585305199521352012-11-01T14:33:54.467+05:302012-11-01T14:33:54.467+05:30पिछले दिनों अमित से मुलाकात और इस वक्फे में कवि के...पिछले दिनों अमित से मुलाकात और इस वक्फे में कवि के रूप विकसित होते हुए देखना, मेरे लिए व्यक्तिगत रूप से बेहद संतोषजनक है. <br /><br />असुविधा पर पहली बार कवि रूप में उसे प्रस्तुत करते हुए लिखा था -- "उनकी कविताओं से परिचय होना मेरे लिए उनके एक नए पहलू से रु ब रू होना था. समकालीन मुहाविरे में लिखी ये कवितायें अपनी अंतर्वस्तु में प्रगतिशील-यथार्थवादी धारा के व्यापक परिदृश्य का एक ज़रूरी हिस्सा लगती हैं. इनमें सबसे अलग लगने वाली बात की जगह सबके साथ लगने की बात ज़्यादा नज़र आती है. किसी विशिष्टता की जगह ये कवितायें एक आधुनिक युवा की आँखों से दुनिया को देखते हुए अपने समय, समाज से जद्दोजेहद की कवितायें हैं. असुविधा पर अमित का स्वागत".<br /><br />संतोष यह कि लगातार वह इन संभावनाओं, इन उम्मीदों पर खरा उतर रहा है...Ashok Kumar Pandeynoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-9567663494943031472012-11-01T10:34:27.230+05:302012-11-01T10:34:27.230+05:30amit ka shabdon se ek aisa rishta hai jise shabdon...amit ka shabdon se ek aisa rishta hai jise shabdon mein hi bayan nahi kia ja sakta.. Amit ko padha ek doosri duniya mein safar krne jaisa hai..sabki kavitayein lajawab kr dene wali hai, badhai Deepali Sangwannoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-38072228065975629852012-11-01T08:46:24.086+05:302012-11-01T08:46:24.086+05:30अमित के पास कविता की नयी भाषा है.. प्रयोग का साहस ...अमित के पास कविता की नयी भाषा है.. प्रयोग का साहस है. प्रस्तुत कविताओं में कविता की गहनता सब्जेक्ट , एक्स्प्रेसन और शब्दावली तीनों स्तरों पर प्रकट हुई है जो अमित को नए युवा कवियों की अलग कतार में खड़ा करता है.. इस कवि के पास जबर्दस्त रेंज है जो इनदिनों अलग अलग ब्लॉग पर आई उनकी कविताओं को एक साथ देखने पर तुरंत दीखता है.. स्वागत अमित ..शुक्रिया समालोचन .. shayak alokhttps://www.blogger.com/profile/02820288373213842441noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-7734991862115558522012-11-01T08:45:30.451+05:302012-11-01T08:45:30.451+05:30कविताओं के साथ श्वेत श्याम चित्रों का संयोजन कमाल ...कविताओं के साथ श्वेत श्याम चित्रों का संयोजन कमाल का है.<br /><br />मारक कविताएँ हैं. कवि को बधाई. संधि कविता विशेष पसंद आई.<br /><br />सत्य के दांत नहीं होते ...अलग तेवर की कविता है.<br />आश्चर्य है !<br />सत्य क्यों काटने दौड़ता है सबको<br />बावजूद इसके कि<br />सत्य के दांत नहीं होते..<br />अपर्णा मनोजhttps://www.blogger.com/profile/03965010372891024462noreply@blogger.com