tag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post6952729131056271239..comments2024-03-18T14:45:15.993+05:30Comments on समालोचन : रंग - राग : ख़य्याम और उमराव ज़ान : यतीन्द्र मिश्र arun dev http://www.blogger.com/profile/14830567114242570848noreply@blogger.comBlogger15125tag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-45304826033637520772020-01-08T23:34:12.461+05:302020-01-08T23:34:12.461+05:30धन्यवाद इस लेख के लिए..
निसंदेह एक असाधारण लेख है।...धन्यवाद इस लेख के लिए..<br />निसंदेह एक असाधारण लेख है। लेकिन "रवानी" को रवानगी लिखना खला। कुछ और शब्द भी दुरुस्त किये जा सकते हैं।<br />पुनः धन्यवादPradeep Sharmahttps://www.blogger.com/profile/01653284289598935698noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-48798630872948901032019-09-06T06:32:31.784+05:302019-09-06T06:32:31.784+05:30Jadui vardan sa hai, Aabhar padhvane ke liye.
You ...Jadui vardan sa hai, Aabhar padhvane ke liye.<br />You may also like <a href="https://www.techgape.com/2019/04/free-movie-streaming-websites.html" rel="nofollow">Free Movie Streaming Sites</a> , <a href="https://www.techgape.com/2019/03/best-comments-for-girl-pic-on-instagram.html" rel="nofollow">Comments on girls pic</a>विद्या सरनhttps://www.blogger.com/profile/13874233412214088080noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-80478186022620704382019-08-21T00:29:26.464+05:302019-08-21T00:29:26.464+05:30मैं तो निहाल ह़ गई पढ़ कर, मुझे संगीत की कोई जानकार...मैं तो निहाल ह़ गई पढ़ कर, मुझे संगीत की कोई जानकारी नहीं है, फिर भी पूरा लेख एक सांस मेंं पढ़ा और कई लोगों को पढ़वा रही हूँ। बधाई यतीन्द्र मिश्र, अरुण देव व समालोचन ! veethikahttps://www.blogger.com/profile/07917596152565253784noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-46884204845917711822018-12-08T00:10:58.035+05:302018-12-08T00:10:58.035+05:30रोचक जानकारी के साथ, बढिया शब्दबध्द किया लेख बना ह...रोचक जानकारी के साथ, बढिया शब्दबध्द किया लेख बना है...! खय्याम साहब के संगीत की ऊंचाईया तो उनकी फिल्मों का संगीत स्वय ही बयाँ करता है। subhashpatil007_pathfinderhttps://www.blogger.com/profile/13514857306246245308noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-27875513634683884732017-04-25T22:09:20.057+05:302017-04-25T22:09:20.057+05:30मंत्र मुग्ध हूँ.लगा कि उमराव जान हकीकत में मेरे सा...मंत्र मुग्ध हूँ.लगा कि उमराव जान हकीकत में मेरे सामनेहैं...खैय्याम साहब को सलामAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/02709742785073488333noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-72197541065771809342014-03-05T08:30:20.697+05:302014-03-05T08:30:20.697+05:30उम्दा आलेख....बहुत कुछ नया सामने आया, जो सोच की हद...उम्दा आलेख....बहुत कुछ नया सामने आया, जो सोच की हद से परे था......अंजू शर्माnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-23447063784947521862014-03-04T18:04:06.221+05:302014-03-04T18:04:06.221+05:30अद्भुत जानकारी भरा आलेख एक बार फिर उमराव जान की गल...अद्भुत जानकारी भरा आलेख एक बार फिर उमराव जान की गलियों में ले गया …………आभारvandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-37750385907700632722014-03-04T09:13:22.081+05:302014-03-04T09:13:22.081+05:30प्रसंगवश, मुजफ्फर अली की फिल्म उमराव जान की वेदना ...प्रसंगवश, मुजफ्फर अली की फिल्म उमराव जान की वेदना को जितनी संवेदनशीलता के साथ पकड़ती है वह उपन्यास की एक अलग ही व्याख्या है. मैंने उपन्यास को उसकी गद्य-भाषा के आनन्द के लिए पढा है, पर उससे अलग वह 'एडवेंचर्स ऑफ उमराव जान अदा' ही लगता है. मुजफ्फर अली की उमराव जान में शहरयार की शायरी, खय्याम के संगीत और रेखा के अभिनय ने फिल्म को एक सर्वथा भिन्न अनुभव बना दिया है.Ashutosh Dubeynoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-73821468750954395192014-03-04T08:58:35.491+05:302014-03-04T08:58:35.491+05:30बहुत शानदार आलेख ...बहुत शानदार आलेख ...गीता पंडितhttps://www.blogger.com/profile/17911453195392486063noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-21802171291888126822014-03-03T19:04:54.788+05:302014-03-03T19:04:54.788+05:30 बहुत बेहतर आलेख .शानदार विश्लेषण और मौसिकी के अनज... बहुत बेहतर आलेख .शानदार विश्लेषण और मौसिकी के अनजाने पहलुओ को समेटता हुआ .........बधाParitosh Maninoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-66659751108215830182014-03-03T15:24:47.480+05:302014-03-03T15:24:47.480+05:30ख्य्याम साहब संगीतकारों की जमात में बने रहे लेकिन ...ख्य्याम साहब संगीतकारों की जमात में बने रहे लेकिन कभी मुख्यधारा से जुड़कर नहीं रहे। वे समानांतर सृजन करते रहे। पचास के दशक में फिल्म "फुटपाथ" का तलत महमूद का गाया "शामे गम की कसम" जैसा बहुमूल्य गीत देने वाला शख्स कदाचित गुमनाम ही रहा। आने वाली सदियां उनके इस गीत के कारण उनकी त्रृणी रहेंगी। यह उनकी गहराइयों का तल है, उंचाइयों का शिखर है। अच्छा ही है कि वे सुर्खियों में नहीं हैं। इस प्रकार की गुमनामी बड़ी गूढ़ है। उनका निरंतर न बने रहना ही उन जैसे व्यक्ति के लिए सम्मानजनक है। अभूतपूर्व आलेख! बधाई। अभिनंदन! नवोदित सक्तावतnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-80624897150286192902014-03-03T13:55:05.665+05:302014-03-03T13:55:05.665+05:30
आपके माध्यम से बहुत सी बातें पता चलती हैं. शुक्रि...<br />आपके माध्यम से बहुत सी बातें पता चलती हैं. शुक्रिया.Roop Rajpal ·noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-56609915573349628222014-03-03T13:54:40.247+05:302014-03-03T13:54:40.247+05:30कुछ फिल्मे , सिलोलाइड ' पर लिखी ' इबारत &#...कुछ फिल्मे , सिलोलाइड ' पर लिखी ' इबारत ' कि तरह होती है , जिसे पढ़कर कोई भी दर्शक खुद को ' यथार्थ ' कि दुनिया में खड़ा पाता है ! इस इबारत का असली लेखक होता है वह ' निर्देशक ' जिसे मालूम है कि ' शब्द ' कैसे संयोजित किये जाएँ ! फिर वह चाहे संगीत निर्देशक हो , , नृत्य निर्देशक , या सम्पूर्ण प्रभाव के लिए जबाबदार फ़िल्म निर्देशक " ,,,!! <br /><br />मुज्जफर अली की " उमराव जान ' एक सम्पूर्ण फ़िल्म है ! किसी भी ' कोण ' से देखने पर एक ' उत्कृष्ट " रचना ,,,जिसका अंत समाज के लिए एक " कसक " भरा प्रश्न छोड़ जाता है ! ,,,Sabhajeet Sharmanoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-57492501602586368222014-03-03T13:54:06.876+05:302014-03-03T13:54:06.876+05:30नायाब लेख है. विश्लेषण और शोध की बेहतरीन जुगलबन्दी...नायाब लेख है. विश्लेषण और शोध की बेहतरीन जुगलबन्दी. यतीन्द्रजी और आपको बधाई. ख्य्याम तो एक समूची किताब का सामान हैं. मैं बस इतना जोड़ दूँ कि यश चोपड़ा की ही एक फिल्म 'सवाल' में खय्याम ने अपनी तरह का नहीं, बल्कि कमर्शियल तकाज़ों वाला संगीत देने की कोशिश की थी, जो संगीतप्रेमियों की किस्मत से नाकामयाब रही और खय्याम फिर अपनी अद्वितीय शैली में लौट आए. आप दोनों की इस बहुत अच्छी पेशकश के लिए शुक्रिया.Ashutosh Dubeynoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-12822767172942525482014-03-03T09:11:35.849+05:302014-03-03T09:11:35.849+05:30रोचक जानकारी से भरपूर सार्थक लेख जिसमे संगीत-स्वर...रोचक जानकारी से भरपूर सार्थक लेख जिसमे संगीत-स्वर और निर्देशन की जुगलबंदी के साथ ही बेशकीमती कलाकारों का जीवन सफ़र भी सिमटा है. धन्याद मिश्रा जी और अरुण जी, मिश्रा जी की पुस्तक पढता हु अपने आपको इतिहास से अपडेट करने के लिए.MADAN PAL SINGHhttps://www.blogger.com/profile/05916178673294723353noreply@blogger.com