tag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post6916020236583683536..comments2024-03-18T14:45:15.993+05:30Comments on समालोचन : बात - बेबात : कमलानाथ arun dev http://www.blogger.com/profile/14830567114242570848noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-78307774222533431512015-01-29T20:16:51.954+05:302015-01-29T20:16:51.954+05:30इसका एक नायाब शेर आपसे
छूट गया है-याद दिला दूँ
आई...इसका एक नायाब शेर आपसे<br />छूट गया है-याद दिला दूँ <br />आईने का नज़ीब के जानिब खुला <br />बदशममूर <br />ख्वाब में कौन हलक को नाबूद करता है। <br />सलाम वसुधाकररhttps://www.blogger.com/profile/08579204256752421092noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-20410017465484321892012-08-20T21:20:40.962+05:302012-08-20T21:20:40.962+05:30हज़रात वसुधाकर जी और हेमंत जी,
नक़वी साहब को आपके फ़...हज़रात वसुधाकर जी और हेमंत जी,<br />नक़वी साहब को आपके फ़िश्त-ए-ज़ख़्ला इतने पसंद आये कि उन्होंने अपने पसंदीदा शायर नक़व्वुल साहेवी की एक गज़ल आपके लिए मुझे भेजी है. आपकी शान में ये पेश है - <br /><br />ख़ुश्क़ ज़ाचीज़ों की फ़ुर्क़त तश्ने ज़ोफ़ुर इन्क़सिर,<br />बज़्मे-तर्फ़िल हुर्ज़मुर्ग़िल का मुफ़स्सर बामज़ा !<br /><br />गुफ़्तगू का ज़र्क़ेनूरुल तश्नियाँ बेसाख़्ता<br />जज़्ब-ख़ुश्ती सर्तियाज़ा गुर्को-फ़ाज़िल बांफ़ज़ा !<br /><br />नर्शि-ए-वाइज़ मखूंचन सर्दिये इज़हार का <br />हर्बुख़ासिल तश्नो-लुज़्बा ख़ामख़ाँज़िल फ़ाँबज़ा !<br /><br />खूंचा-ओ-जिफ़लिस ‘नक़व्वुल’,फ़िर्क़िये दीदार का<br />जो भी आया ग़ुब्तजोशिफ़ फ़र्क़ेमुफ़्तिल जाँखज़ा !<br /><br /> - नक़व्वुल साहेवी<br />Kamlanathhttps://www.blogger.com/profile/15045687333673209144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-16197991874578382732012-08-20T14:52:16.467+05:302012-08-20T14:52:16.467+05:30नकवी साहब! बाशुऊर गनियः बर्के-नाज़ में अगरचे इक्ति...नकवी साहब! बाशुऊर गनियः बर्के-नाज़ में अगरचे इक्तिसाबे ज़र पे उतारू हो तो अमुर्गां का नाम होगा- बाराने–रहमत!HemantSheshhttps://www.blogger.com/profile/14694725282954331603noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-6326272917156351482012-08-17T18:38:15.747+05:302012-08-17T18:38:15.747+05:30kamlanathji ka vyaangya aaftaab nurul ki bevast va...kamlanathji ka vyaangya aaftaab nurul ki bevast vazzoodagi hay.tasleeme shaan ki rubziyat aur falsafa ki teergi ka nirfa bhi.adbi maakooliyat aajkal isi zannat ki mahffuzi ki subz hokar bhi baleekha hay.kalanathji aap ilm ke shujat me benoori ka doshfarmaan jagate rahiye.kai naqvi aapke ke gird e labz hay<br />vasudhakar goswamiवसुधाकररhttps://www.blogger.com/profile/08579204256752421092noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-82483824003422681462012-08-16T14:13:59.305+05:302012-08-16T14:13:59.305+05:30सच ,वाकई शब्दों का सघन मकडजाल .......स्वनामधन्य सा...सच ,वाकई शब्दों का सघन मकडजाल .......स्वनामधन्य साहित्यकारों पर तीखा तंज़ , लेखक श्री कमलनाथ जी की सुन्दर रचना पढवाने के लिए आपको भी बहुत धन्यवादVardan Singh Hada ·noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-19043330801585880732012-08-16T10:48:55.949+05:302012-08-16T10:48:55.949+05:30vyangya tabdeele nafoos hay.iska nimbozan bhi kabi...vyangya tabdeele nafoos hay.iska nimbozan bhi kabile shakoof aur nusrate laam haay.kamlanathji aap adbi nuaal ke fareekh hay . badhaiiAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-42486731451107559262012-08-16T09:49:04.154+05:302012-08-16T09:49:04.154+05:30बढ़िया व्यंग्य है. पाठकों की एकाग्रता की पूरी परीक...बढ़िया व्यंग्य है. पाठकों की एकाग्रता की पूरी परीक्षा भी ले रहा है. विमल साब, नकवी और चितले को लेकर पाठक की आलोच्य दृष्टि सजग हो जाती है ..कि भई अब तीन तिलंगे आगे कौनसी दार्शनिक मुद्रा में भाषा का कौनसा दर्शन आपके सामने लुढकाने वाले हैं...<br />लेखक=पुरस्कार:: प्रकाशक के समीकरण भी आह-वाह..<br />कमलनाथ जी को बधाई! समालोचन आभार..<br />अपर्णा मनोजhttps://www.blogger.com/profile/03965010372891024462noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-38850305361986889982012-08-16T09:10:56.601+05:302012-08-16T09:10:56.601+05:30आज का दिन एक सार्थक दिन इसलिए भी हुआ कि समालोचन के...आज का दिन एक सार्थक दिन इसलिए भी हुआ कि समालोचन के पटल पर एक समर्थ रचनाकार की बरसों बाद अरुण जी के कुशल संपादन में यों वापसी हुई. मुझे याद पड़ता है उनकी कई रचनाएँ' लहर','अणिमा'और दूसरी जगहों में भी और यहाँ-वहाँ बरसों पहले छपी थीं, पर शायद 'अन्य'वैज्ञानिक व्यस्तताओं के चलते उनका छपने के प्रति भाव विरल हो गया हो, पर अब विदेश-प्रवास के दौरान वह जिस तेजस्विता से मुखर हैं, हिन्दी में कुछ नए स्वाद की वजह से वह कई नयी भंगिमाओं के अपने सतत प्रवाह में पाठक को बांधे रखेंगे, ये सहज उम्मीद केवल इस बेहद मारक व्यंग्य से! कहना न होगा कि ऐसे कई विमल जी हमारे परिदृश्य में आसपास ही सक्रिय हैं जिनका जवाब उस जगह सिर्फ नकवी साहब ही हो सकते थे....अरुण बाबू- आप अपने साहित्य-घर में इनसे बराबर लिखवाइए....HemantSheshhttps://www.blogger.com/profile/14694725282954331603noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-48928915120996474212012-08-16T08:45:20.555+05:302012-08-16T08:45:20.555+05:30बहुत ही उम्दा व्यंग्य पढ़कर बड़ा आनंद आया पर हा कम...बहुत ही उम्दा व्यंग्य पढ़कर बड़ा आनंद आया पर हा कमलनाथ जी को मैंने आज पहली बार ही पढ़ा, मिलना-जुलना तो कई बार श्री कलानाथ शास्त्री जी के यहाँ हुआ पर यह जानकारी नहीं थी की कमलनाथजी भी इतना शानदार लिखते है. बहुत आभार अरुण देव जी, आपका की अपने इन्हें हमें उपलब्ध करवाया.कोसलेंद्रदास https://www.blogger.com/profile/08614918712664800498noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-8134438547212201642012-08-16T07:13:33.935+05:302012-08-16T07:13:33.935+05:30विकाश विमल, प्रोफ़ेसर नकवी साब और चितले ,इन तीनो क...विकाश विमल, प्रोफ़ेसर नकवी साब और चितले ,इन तीनो का चरित्र चित्रण ज़बदस्त किया गया है !हिंदी और उर्दू दोनों भाषाये यहाँ अपने पूरे शबाब पर है !और जिसतरह का माहोल और शब्दों को रचा गया है ,वो यकीन दिलाने कामयाब है के तीनो शख्स वाकई में जिवंत है ,काल्पनिक नहीं है ! कमल नाथ जी को बधाई !!Vishnu Tiwarinoreply@blogger.com