tag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post6792718005441811147..comments2024-03-18T14:45:15.993+05:30Comments on समालोचन : मेघ - दूत : चिनुआ अचेबेarun dev http://www.blogger.com/profile/14830567114242570848noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-81140484524578130632014-08-23T10:33:56.757+05:302014-08-23T10:33:56.757+05:30कहानी बेहद रोचक थी किसी नवीन कार्य को करने के लिए ...कहानी बेहद रोचक थी किसी नवीन कार्य को करने के लिए उस स्थान विशेष में मोजूद परिस्तिथति से सामंजस्य स्थापित नहीं कर पाने के कारण परिणाम आशाजनक नहीं आया .सुनीताhttps://www.blogger.com/profile/17628475127497676694noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-88990610271174585492014-08-20T11:06:20.971+05:302014-08-20T11:06:20.971+05:30देखेंगे तो खिलेगा, पर यह देखना ही सबसे कठिन क्रिया...देखेंगे तो खिलेगा, पर यह देखना ही सबसे कठिन क्रिया है, कि आप इसे कैसे देखेंगे, कैसे एक समय को दूसरे समय से जोड़ेंगे- और स्वीकृतियां, सहमतियां इससे भी कठिन। दो संस्कृतियों का दबाब है या रूढ़ियों के बरक्स नए को खड़े करने की चेष्टा और जल्दबाज़ी। इस कहानी का सामाजिक मनोवैज्ञनिक पक्ष पाठक को सोचने के लिए मजबूर करता है। ये रास्ता निकालना क्या लम्बे समय से हुए अनुकूलन को ओवरनाईट बदल सकता है ? कहानी इंसान के मिजाज़ का रूपक रचती है।<br />अनुवाद के लिए बहुत -बहुत बधाई ! अपर्णा मनोजhttps://www.blogger.com/profile/03965010372891024462noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-91177997500496410022014-08-20T07:16:28.007+05:302014-08-20T07:16:28.007+05:30परम्परा और विकासोन्मुख विचारधारा के बीच टकराव की अ...परम्परा और विकासोन्मुख विचारधारा के बीच टकराव की अद्भुत कहानी. प्रधानाचार्य की अंधविश्वास को ख़त्म करने की जिद के चलते स्कूल ही तबाह हो गया. <br />sarita sharmahttps://www.blogger.com/profile/03668592277450161035noreply@blogger.com