tag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post6663218480669482329..comments2024-03-18T14:45:15.993+05:30Comments on समालोचन : सिद्धेश्वर सिंह की कविताएँ arun dev http://www.blogger.com/profile/14830567114242570848noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-4940250823379341602017-05-10T23:45:20.667+05:302017-05-10T23:45:20.667+05:30बहुत अच्छी कवितायें ! भरथरी गायक, मुक्तिबोध ! वाह ...बहुत अच्छी कवितायें ! भरथरी गायक, मुक्तिबोध ! वाह !<br /><br />prafull shiledarhttps://www.blogger.com/profile/01448570803645044423noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-72937958623358471002017-05-09T19:00:57.730+05:302017-05-09T19:00:57.730+05:30सभी कविताएं अच्छी है । भरथरी गायक,कवि की नदी और सह...सभी कविताएं अच्छी है । भरथरी गायक,कवि की नदी और सहयात्री मुक्तिबोध लाजबाब है ।<br />Swapnil Srivastavanoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-58363372516334161462017-05-09T08:42:16.473+05:302017-05-09T08:42:16.473+05:30बेहतरीन।बेहतरीन।सुशील कुमार जोशीhttps://www.blogger.com/profile/09743123028689531714noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-83728032550280450042017-05-08T17:51:55.830+05:302017-05-08T17:51:55.830+05:30सभी कविताएं बेहतर पर मैं सहयात्री मुक्तिबोध के साथ...सभी कविताएं बेहतर पर मैं सहयात्री मुक्तिबोध के साथ अभी भी कविता प्रदेश की यात्रा कर रहा हूं. अहा! Akhileshwar Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/10881251799462130074noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-36462517383119284242017-05-08T17:24:30.019+05:302017-05-08T17:24:30.019+05:30सभी कवितायेँ बेहतरीन।
सभी कवितायेँ बेहतरीन। <br />अरुण चन्द्र रॉयhttps://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-7661542209659569402017-05-08T16:44:15.885+05:302017-05-08T16:44:15.885+05:30 सिद्धेश्वर हमारे मित्र हैं,पर सबसे पहले वे प्रेरक... सिद्धेश्वर हमारे मित्र हैं,पर सबसे पहले वे प्रेरक और बेहद संवेदन शील कवि हैं।उनकी कवितायेँ समय से प्रश्न करती है।मुक्तिबोध कविता सफ़र में मुक्तिबोध से शुरू हो कर बीच में वक़्त की प्रासंगिकता और उस पर करारी चोट करती खास से आम की तरफ ले जाती है। और भरतरी ने तो मुझे अपने गांव में आते गोरखपंथी कन फड़े साधुओ की याद दिला दी। ये लोग मोछन्ग बजाते गाते घूमा करते।बेहद संवेदनाओ से भरी कविताएं लिखने के लिए सिद्धेश्वर को,पढ़ाने के लिए अरुण जी को धन्यबाद<br />Geeta Gairolanoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-41399876612597120302017-05-08T16:43:21.437+05:302017-05-08T16:43:21.437+05:30सभी कवितायें अच्छी हैं। पर "भरथरी गायक" ...सभी कवितायें अच्छी हैं। पर "भरथरी गायक" मुझे सबसे अच्छी लगी। बचपन में देखा उनका चेहरा मन में पुनः कौंध गया। <br /><br />- राहुल राजेश<br />कोलकाता। Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-25663371354690092752017-05-08T16:43:08.017+05:302017-05-08T16:43:08.017+05:30पहली बार पढ़ीं मैंने सिद्धेश्वर जी की कवितायें ।बहु...पहली बार पढ़ीं मैंने सिद्धेश्वर जी की कवितायें ।बहुत ही सुगठित बनावट व बुनावट ।अपने अपने संदर्भों में बिल्कुल सटीक सी बैठती रचनायें ।साझा करने के लिये शुक्रिया सर ।<br />Smita Sinhanoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-57879540365378101472017-05-08T16:41:39.407+05:302017-05-08T16:41:39.407+05:30सभी कविताएं एक से बढ़कर एक.. खासकर सह यात्री मुक्ति...सभी कविताएं एक से बढ़कर एक.. खासकर सह यात्री मुक्तिबोध वाली कविता आन्दोलित कर देनेवाली है..आभार अरुण जी!<br />Navneet Pandeynoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-20264797853230209562017-05-08T12:40:46.072+05:302017-05-08T12:40:46.072+05:30आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (09...आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (09-05-2017) को <a href="http://charchamanch.blogspot.in/" rel="nofollow"> <br />संघर्ष सपनों का ... या जिंदगी का; चर्चामंच 2629<br /> </a> पर भी होगी।<br />--<br />चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।<br />जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।<br />हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।<br />सादर...!<br />डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'<br /> डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-22473034284486511382017-05-08T10:01:30.464+05:302017-05-08T10:01:30.464+05:30सिद्धेश्वर हमारे दौर के बेहद आत्मीय रचनाकार हैं जो...सिद्धेश्वर हमारे दौर के बेहद आत्मीय रचनाकार हैं जो शोर-शराबे से दूर अपनी रचनात्मक दुनिया में मस्त रहते हैं. यह मस्ती उनकी कविताओं में बहुत साफ झलकती है. जैसे ये कविताएँ.batrohihttps://www.blogger.com/profile/07370930712240772275noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-5322692291604007142017-05-08T08:20:21.038+05:302017-05-08T08:20:21.038+05:30कविता में मन रम गया। मैं केन मैं केदार। पुनुरुक्ति...कविता में मन रम गया। मैं केन मैं केदार। पुनुरुक्ति दोष नहीं, जैसे प्रवाह है जीवन का जहां से मुझे न जाने कितने समयों की उदास सारंगी सुनाई देती है। स्मृतियों की इन कविताओं को नेह।<br />सादर।अपर्णा मनोजhttps://www.blogger.com/profile/03965010372891024462noreply@blogger.com