tag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post6424114586136828518..comments2024-03-18T14:45:15.993+05:30Comments on समालोचन : कथा - गाथा : अपर्णा मनोजarun dev http://www.blogger.com/profile/14830567114242570848noreply@blogger.comBlogger24125tag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-77434642152598897252012-08-17T17:20:08.352+05:302012-08-17T17:20:08.352+05:30खरगोश का संगीत राग रागेश्री पर आधारित है जो कि खमा...खरगोश का संगीत राग रागेश्री पर आधारित है जो कि खमाज थाट का सांध्यकालीन राग है,<br />स्वरों में कोमल निशाद और बाकी स्वर शुद्ध लगते हैं, पंचम इसमें वर्जित है, पर हमने इसमें अंत में पंचम का <br />प्रयोग भी किया है, जिससे इसमें राग <br />बागेश्री भी झलकता है.<br />..<br /><br />हमारी फिल्म का संगीत वेद नायेर ने दिया <br />है... वेद जी को अपने संगीत कि प्रेरणा जंगल <br />में चिड़ियों कि चहचाहट से <br />मिलती है...<br /><i>Feel free to surf my web blog</i> :: <b><a href="http://www.youtube.com/watch?v=FbfbqR0ihfA" rel="nofollow">हिंदी</a></b>Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-36399035426844379872012-07-05T00:48:47.802+05:302012-07-05T00:48:47.802+05:30badi pyari kahani hai aparna ji, dil ko chu lene ...badi pyari kahani hai aparna ji, dil ko chu lene wale shbdo ki aap jadugar hai badhai ho . <br /><br />RAMESH YADAV,<br /> MUMBAI<br />PHONE - 9820759088RAMESH YADAVnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-68866423663251342072012-06-20T22:55:17.590+05:302012-06-20T22:55:17.590+05:30हाय! अपर्णा....पिघले मोम से मन को और पिघला दिया......हाय! अपर्णा....पिघले मोम से मन को और पिघला दिया...कुछ कहूँगी नहीं फिलहाल....कहानी की अप्रतिमता पर....इसके अजब - गजब शिल्प पर....मगर मेरे भीतर जमता - सा दुख पिघला दिया, अच्छा होता कुछ ठहर कर पढ़ती. मर्म कुरेदना कोई तुम से सीखे....manishahttps://www.blogger.com/profile/10156847111815663270noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-91365388894376072172012-06-20T10:05:51.496+05:302012-06-20T10:05:51.496+05:30देर से देख पाया हूँ। अच्छी है। बधाई।देर से देख पाया हूँ। अच्छी है। बधाई।Ganesh Pandey https://www.blogger.com/profile/05090936293629861528noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-21696920946680389722012-06-18T13:27:43.396+05:302012-06-18T13:27:43.396+05:30kahani bahut marmik hai. kafi der baad hi uske pra...kahani bahut marmik hai. kafi der baad hi uske prabhav se bahar nikal paya. tabhi likh pa raha hoon. kathya to man ko chhone vala hai hi, par shilp bhi adbhut hai. jeevant vatavaran ka chitr sa khich jaata ha, gazhal jaisa baareek ahsaas aur a rishton ki behad atmeey anubhuti, badhai aparna ji <br />manmohan saral, mumbaimanmohan saralhttps://www.blogger.com/profile/17733415940810255923noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-83654223812651248962012-06-15T19:42:07.376+05:302012-06-15T19:42:07.376+05:30achchha laga Amrita ji .. aapne bade gaur se kahan...achchha laga Amrita ji .. aapne bade gaur se kahani ko padha aur gazal ke har us ansh ko pahchan liya... is gazal ka gahara connection hai is kahani se.. jab-jab is kahani ke plot ko aage badhaya.. tab-tab ye gazal likhne se pahle suni..ismen numaya dard afsaane mein bhi utarta gaya aur afsaana Bhini ho saka... shukriya is pyaare comment ke liye. <br /><br />sabhi mitron ka dhanywad ki unhone kahani ko padha aur pasand kiya.अपर्णा मनोजhttps://www.blogger.com/profile/03965010372891024462noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-58029334354102230732012-06-15T14:56:05.314+05:302012-06-15T14:56:05.314+05:30कई दिन पहले कहानी पढ़ी……कई दिनों तक मन बोझिल रहा। क...कई दिन पहले कहानी पढ़ी……कई दिनों तक मन बोझिल रहा। कहानी पढ़ने के बाद,ख़ुद को उस से खींच कर बाहर लाना पड़ा, और ऐसा प्रभाव एक अच्छी कहानी ही डाल सकती है। इससे पहले भी आपकी एक कहानी पढ़ी थी, नाम याद नहीं आ रहा पर कहानी पिक्चर की तरह मन में है। आप अच्छी कविताओं के साथ-साथ बहुत प्रभावशाली ढ़ग से कहानियाँ भी लिखती हैं और एक अच्छी अनुवादक भी हैं। बधाई के साथ शुभकामनाएं। और हाँ, कहानी का हर पैरा एक ग़ज़ल:<br /><br />"अजनबी शहर के अजनबी रास्ते, मेरी तन्हाई पर मुस्कुराते रहे।<br />मैं बहुत देर तक यूँ ही चलता रहा, तुम बहुत देर तक याद आते रह॥<br /><br />ज़ख़्म जब भी कोई ज़हने दिल पर लगा, ज़िंदगी की तरफ़ इक दरीचा खुला।<br />हम भी गोया किसी साज़ के तार हैं, चोट खाते रहे गुनगुनाते रहे॥<br /><br />कल कुछ ऐसा हुआ, मैं बहुत थक गया, इसलिए सुनके भी अनसुनी कर गया<br />कितनी यादों के भटके हुए कारवाँ, दिल के ज़ख़्मों के दर खटखटाते रहे॥<br /><br />की लाईनों में से किसी लाईन से शुरू होता है। यह बात कुछ अलग हटके है। समालोचन को बधाई।AMRITA BERAhttps://www.blogger.com/profile/18225423185450584351noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-67578660266615312452012-06-14T16:59:01.011+05:302012-06-14T16:59:01.011+05:30किन्वन्दंती को आधुनिक यथार्थ से जोड़कर बुनी गयी कह...किन्वन्दंती को आधुनिक यथार्थ से जोड़कर बुनी गयी कहानी जिसमें काव्यात्मक शैली मनोस्थिति का भली भांति चित्रण करती हैं.अपर्णा मूलतः कवियत्री हैं जो उनकी कहानियों में कभी कभी प्रवाह को धीमा कर देता है.दो अंशों की बजाय मूल कथ्य में ही प्राचीन और नवीन को समेटा जा सकता था.उम्मीद से भी सुन्दर मार्मिक कहानी.sarita sharmahttps://www.blogger.com/profile/03668592277450161035noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-78000133266536572022012-06-12T22:04:01.593+05:302012-06-12T22:04:01.593+05:30मार्मिक, स्त्री-मन की संवेदनाओं के विभिन्न पहलुओं ...मार्मिक, स्त्री-मन की संवेदनाओं के विभिन्न पहलुओं को छूती हुई, गज़ब के शब्द-शिल्प व माधुर्य से भरी हुई कहानी। बधाई अपर्णा जी को ऐसी कहानी लिखने के लिए और अरुण जी को इसकी प्रस्तुति के लिए।Umeshhttps://www.blogger.com/profile/10308807738552566858noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-48645812563324316992012-06-12T20:47:08.630+05:302012-06-12T20:47:08.630+05:30बहुत मार्मिक कहानी है। जज्बात से भरपूर। भीनी का स...बहुत मार्मिक कहानी है। जज्बात से भरपूर। भीनी का साहसिक निर्णय जितना आश्वस्तिकारक है, उतना ही दुख उसकी निर्मम परिणति में।... कहानी का शिल्प बहुत गठा हुआ है और जो वातावरण निर्मित किया गया है, वह कथ्य को पूरी संजीदगी के साथ व्यक्त करता है। मेरे ख़याल से कहानी की भूमिका की कोई जरूरत नहीं थी, कहानी अपने आप ही सब कह देती है। फिर भी रचनाकार का अपना निर्णय है। बधाई और शुभकामनाएं।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/13562041392056023275noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-25755030716896604422012-06-12T20:42:46.828+05:302012-06-12T20:42:46.828+05:30achhi hai kahaniachhi hai kahaniसरोकारhttps://www.blogger.com/profile/14725597918481061167noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-55751766441578902762012-06-12T18:47:29.147+05:302012-06-12T18:47:29.147+05:30स्मृतियों के अंदरूनी अंतर्विरोधों के बीच टूटता बनत...स्मृतियों के अंदरूनी अंतर्विरोधों के बीच टूटता बनता अकेलापन. अपर्णा जी विडंबना के बेहद आक्रामक शिल्प बुनती हैं जहां सरलीकरण और रोमान के अभिशाप से ग्रस्त जीवन, यथार्थ के कुछ विस्मयपूर्ण प्रश्नों के रूप में सामने आता है...... शॉक ट्रीटमेंट की तरह.........यह उनका अपना शिल्प है. खरा और बेलौस...Subodh Shuklanoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-17493446930691812772012-06-12T08:21:02.564+05:302012-06-12T08:21:02.564+05:30अर्पणाजी बहुतै अच्छी कहानी है। बहुत भावुकता ह इसम...अर्पणाजी बहुतै अच्छी कहानी है। बहुत भावुकता ह इसमें। कहानी की पूरी बुनावट अच्छी लगी। बहुत कुछ कह जाती है यह कहानी। जिन कहानियों में पात्र ज्यादा होते हैं मैं पढ़ते हुए उलझ जाता हूं। यहां कहानी दो तीन पात्रों के बीच चलती रही। कहानी के मोड़ अच्छे हैं।ved vilas uniyalhttps://www.blogger.com/profile/06221605530110308041noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-86895333621122637732012-06-12T07:50:34.290+05:302012-06-12T07:50:34.290+05:30कहानी से पहले कि भूमिका भी बहुत पसंद आई.....एक स्त...कहानी से पहले कि भूमिका भी बहुत पसंद आई.....एक स्त्री के मनोभावों को जब आप जस का तस रख देती हैं तो हर स्त्री को उसमें कंही न कहीं अपना अक्स नज़र आना स्वाभाविक है अपर्णा दी, कहानी कई ऐसे सवाल छोड़ जाती है जो सोचने पर मजबूर करते हैं......कुछ पंक्तियाँ तो बस अद्भुत हैं.....जैसे वो मरियम और यीशु का बिम्ब......बधाई और शुभकामनाये.....अंजू शर्माhttps://www.blogger.com/profile/13237713802967242414noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-86102124279010425732012-06-11T20:24:37.005+05:302012-06-11T20:24:37.005+05:30इस बीच दो कथाकारों की कुछ कहानियां पढ़ीं : प्रत्यक...इस बीच दो कथाकारों की कुछ कहानियां पढ़ीं : प्रत्यक्षा और अपर्णा मनोज कीं (खास तौर पर 'भीतर जंगल' और 'मैवरिक'). इन कहानियों को पढ़कर अनायास यह अहसास हुआ कि हमारे नए लेखन में कहानी का कंटेंट और फॉर्म ही नहीं, कहानी का बीज यानी आदमी और जिंदगी के प्रति रचनाकारों के सरोकार में भी फर्क आ गया है. पहले मुझे लगा कि नए समाज में आदमी की प्रवृत्ति अंतर्मुखी हो गयी है, इसलिए अपने परिवेश के प्रति उसके सरोकार भी बदले हुए दिखाई दे रहे है. मगर इन कहानियों को पढ़कर लगा कि यह बदलाव इससे न सिर्फ अलग, अधिक विश्वसनीय भी है. खास बात यह है कि यह प्रवृत्ति कथा लेखिकाओं में ही दिखाई दी है, सिर्फ लेखिकाओं में, मगर यहाँ भी पिछले दस पंद्रह सालों में उभरी कथा-लेखिकाओं में. आप स्नोवा वार्नो, महुवा मांझी, सुमन केशरी अग्रवाल, मनीषा कुलश्रेष्ठ, भाषा सिंह, कविता, सोनाली सिंह आदि में यह अंतर महसूस कर सकते हैं. जिन दो लेखिकाओं का शुरू में जिक्र किया गया हैं, वे तो इसमें हैं ही. <br />इन कहानियों की दूसरी खास बात यह है कि इनका परिवेश कोई निश्चित या 'स्पेसिफिक' नहीं है. उसे आप बाहर के संसार में उसी नाम से नहीं पा सकते. वह आदमी (औरत) की अपने अन्दर की दुनिया है, जिसे वह अपनी शर्तों पर (जाहिर है, पहली बार) प्राप्त कर रही है. मजेदार बात यह है कि ये दुनिया दूसरे लोगों के लिए ही नहीं, उसके अपने लिए भी हैरत-अंगेज है. पहली बार देखा और महसूस किया गया यथार्थ. यह यथार्थ का एक तरह से नए सिरे से प्रजनन है... और निःसंदेह, यह काम सिर्फ और सिर्फ औरत ही कर सकती है.batrohihttps://www.blogger.com/profile/07370930712240772275noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-40237743793750071992012-06-11T20:07:34.578+05:302012-06-11T20:07:34.578+05:30बहुत ही सूक्ष्मता से संवेदनाओं को उकेरा गया है कथ्...बहुत ही सूक्ष्मता से संवेदनाओं को उकेरा गया है कथ्य और शिल्प की गहन,सशक्त एवं भावपूर्ण बुनावट...बधाई अपर्णा जी ...हेमा दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/15580735111999597020noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-51007944592197177952012-06-11T18:36:56.902+05:302012-06-11T18:36:56.902+05:30अपर्णा ,हलाकि कहानी पढ़ना अभी बाकी है पर समालोचन जै...अपर्णा ,हलाकि कहानी पढ़ना अभी बाकी है पर समालोचन जैसे स्तरीय माध्यम में रचना प्रकाशित होना यूँ भी सबूत है रचना की उत्कृष्टता का सो अग्रिम बधाई | शाम को पढूंगी फुर्सत से ...:)Vandana Shuklanoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-63402574077760440572012-06-11T18:08:01.872+05:302012-06-11T18:08:01.872+05:30अपर्णा कहानी का कथ्य ही नही शिल्प भी शानदार है.. उ...अपर्णा कहानी का कथ्य ही नही शिल्प भी शानदार है.. उदास कर दिया कहानी ने..बेरहम समाज..लीna malhotra raonoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-14364002891673503932012-06-11T16:33:56.173+05:302012-06-11T16:33:56.173+05:30नंद जी का कमेंट सारी बातों को बखूबी रख देता है...म...नंद जी का कमेंट सारी बातों को बखूबी रख देता है...मार्मिक कहानी....रचयिता में साहस और धैर्य हो सकता है..समाज में नहीं होता अक्सरहा...<br />-सुमन केशरीAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-61569779201726409962012-06-11T16:20:33.998+05:302012-06-11T16:20:33.998+05:30एक ओर भीनी के सहज प्राकृतिक मनोभाव दूसरी ओर समाज क...एक ओर भीनी के सहज प्राकृतिक मनोभाव दूसरी ओर समाज के नियमों की निर्ममता को अनुभव करते भीनी के बाबू और ईजा। सबको देखती हुई सोमी और भीनी के मन की परतों को महसूस करते कहानी से गुजरता पाठक। <br />प्रस्तुतिकरण की मार्मिकता पाठक को संवेदना के एसे वितान में ले जाती है जहां सारे सामाजिक नियम, भय प्रकृति के अमूल्य उपहार, मातृत्व का उपहास करते लगते हैं। <br />मातृत्व की गरिमा को अनूठी ऊंचा ऊंचाई देती कहानी। <br />यह अपर्णा जी की कलम का ही कमाल है कि पढते हुए नैनीताल को अनुभूत करने का आभास कराता है।<br />अपर्णा जी को फिर एक अच्छी कहानी के लिये बधाई। <br />समालोचना का आभार तो है ही। समालोचना के माध्यम से सतत सार्थक रचनाओं का आस्वाद मिलता है।डॉ.मीनाक्षी स्वामी Meenakshi Swamihttps://www.blogger.com/profile/15313541475874234966noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-8869658166831399272012-06-11T15:58:24.865+05:302012-06-11T15:58:24.865+05:30टुकड़े-टुकड़े दास्तान बढ़िया लगी. सहज और बेहद मौलि...टुकड़े-टुकड़े दास्तान बढ़िया लगी. सहज और बेहद मौलिक.prabhat ranjanhttps://www.blogger.com/profile/13501169629848103170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-46462161620313672372012-06-11T14:41:44.431+05:302012-06-11T14:41:44.431+05:30आपको पढ़ते हुए लगता है जैसे हम किसी और दुनिया में ...आपको पढ़ते हुए लगता है जैसे हम किसी और दुनिया में चले गए हैं.... शायद उसी जगह जिसके बारे में आपने लिखा है... ShaifalyShaifalyhttp://shaifaly.mywebdunia.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-57661518776913545842012-06-11T12:47:36.308+05:302012-06-11T12:47:36.308+05:30भीनी के अवसाद को सोमी बेशक समझ-सहेज ले, बाबू और ईज...भीनी के अवसाद को सोमी बेशक समझ-सहेज ले, बाबू और ईजा के लिए समय का सामना कर पाना आसान नहीं है, सद्य-जात शिशु के सामने कितनी अमानवीय और संवेदनहीन हो जाती है मनुष्य के हाथ बनी यह सृष्टि। बेहतर था कि मनुष्य भी अन्य जीवधारियों की तरह मैवरिक ही बना रह जाता। तब सच में यह पृथ्वी एक अभयारण्य होती। एक बेहद संवेदनशील और आर्द्र मन से रची बर्फ के रेशों में दबी एक मार्मिक कथा, जिसे पढकर मन बेचैनी से सुलग जाए।नंद भारद्वाजhttps://www.blogger.com/profile/10783315116275455775noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-85570302896691371272012-06-11T12:38:05.675+05:302012-06-11T12:38:05.675+05:30कुछ मिथकों की पृष्ठभूमि और कुछ अस्तित्व के आवश्यक ...कुछ मिथकों की पृष्ठभूमि और कुछ अस्तित्व के आवश्यक प्रश्नों से शुरू होती एक भावपूर्ण यात्रा सी मार्मिक कहानी!<br />Beautiful imagery runs marvelously throughout the story...!!!<br />Congrats Aparna di:)अनुपमा पाठकhttps://www.blogger.com/profile/09963916203008376590noreply@blogger.com