tag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post6390803985367686804..comments2024-03-18T14:45:15.993+05:30Comments on समालोचन : कथा - गाथा : राकेश बिहारीarun dev http://www.blogger.com/profile/14830567114242570848noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-10818385021627898152014-12-17T20:20:14.034+05:302014-12-17T20:20:14.034+05:30Badhai. Achhi kahani hai. Beech ke hisse marm spar...Badhai. Achhi kahani hai. Beech ke hisse marm sparshi hain. Vandana ragnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-11332105418392602842014-12-16T20:48:39.205+05:302014-12-16T20:48:39.205+05:30कहानी ख़त्म हो गई पर अब भी इसके प्रभाव में हूँ। मिस...कहानी ख़त्म हो गई पर अब भी इसके प्रभाव में हूँ। मिस्टर मोहन के बहाने जहाँ कारपोरेट वर्ल्ड की बारीकियों से परिचय हुआ वही शैलेन्द्र और सोनाली के नाम लिखे पत्रों ने अंतस को कहीं गहरे छुआ। आँखें अब भी सजल हैं। आज के समय में रिश्तों के टूटने की छटपटाहट और उसे नए सिरे से जोड़ने की कोशिश में निरंतर अकेला होता जाता हेमंत कहीं हम सब के भीतर मौजूद है। एक बेहद ही मर्मस्पर्शी कहानी के लिए कथाकार और समालोचन दोनों को बधाई।भगवान लाल सहनीnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-39745924121516649442014-12-16T14:58:50.386+05:302014-12-16T14:58:50.386+05:30अभी तक एक आलोचक के रूप में राकेश जी से परिचय था -क...अभी तक एक आलोचक के रूप में राकेश जी से परिचय था -कि छलनी और मथनी दोनों औज़ार लिए गाथा - कथाओं का मंथन करता हुआ अदीब.. अब उन्हें कहानीकार के रूप में यहाँ पढ़ा अभी . प्रज्ञा रोहिणी जी और जयश्री जी से सहमत होते हुए, राकेश जी को बहुत -बहुत बधाई .अपर्णा मनोजhttps://www.blogger.com/profile/03965010372891024462noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-23178128000495527532014-12-16T13:05:42.777+05:302014-12-16T13:05:42.777+05:30rakesh ji pahle kahanikar hain fir aalochak.ek ach...rakesh ji pahle kahanikar hain fir aalochak.ek achhi aur marmik kahani ke liye badhaiarunesh shuklahttps://www.blogger.com/profile/08219635861659477717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-37939751457932389412014-12-15T18:59:51.839+05:302014-12-15T18:59:51.839+05:30 कहते हैं जिसे क्रिकेट खेलना नहीं आता वह अंपायर बन... कहते हैं जिसे क्रिकेट खेलना नहीं आता वह अंपायर बन जाता है। आलोचकों के विषय में भी लोग अक्सर यही विचार रखते हैं। मगर राकेशजी पर यह बात लागू नहीं होती। वे एक सक्षम कथाकार हैं। उनकी भाषा भी विषय के अनुरूप बदलती है। समीक्षा की भाषा जितनी बौद्धिक कहानी की भाषा उतनी ही कोमल और संवेदनशील। यह कहानी अच्छी लगी। संतुलित और मानवीय संवेदना से भरी। राकेशजी और कथालोचन को बधाई! कहानी को अपने लेखन की मुख्य विधा न बना कर राकेशजी हम लेखकों का एक तरह से भला ही कर रहे हैं। Joyshree Roynoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-83187403929383696302014-12-15T16:03:54.378+05:302014-12-15T16:03:54.378+05:30Rakesh ji ki shaili bohot chust aur bunawat masboo...Rakesh ji ki shaili bohot chust aur bunawat masboot hai .<br />Manoj Rupdanoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-26278910288661917622014-12-15T16:02:57.989+05:302014-12-15T16:02:57.989+05:30 बहुत उम्दा कहानी पढ़ी। गुजरे समय को बांधने की चाह ... बहुत उम्दा कहानी पढ़ी। गुजरे समय को बांधने की चाह और बहुत से बिखराव को समेटने की तड़प साफ़ साफ कहानी के हर हर्फ़ में मौजूद है। बावजूद इसके बेहद सरस और पठनीय कहानी।<br />Pragya Pandenoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-87319694328882914332014-12-15T09:10:00.536+05:302014-12-15T09:10:00.536+05:30एक अनुत्पादक माहौल में मानवीय रिश्तों को परे धकेल...एक अनुत्पादक माहौल में मानवीय रिश्तों को परे धकेले जाने की मुहिंम् के विरुद्ध मानवीय रिश्तों को निरन्तर सृजनशील और ऊर्जावान बनाये रखने की कहानी है प्रतीक्षा। चिट्ठियां संवाद के पुख्ता इंसानी पुल को रचती हैं और अनगिनत मानवीय सरोकारों की तस्वीर पेश करती हैं। जीवन में तमाम प्रतिकूलताओं के बावजूद कला धड़कन प्रेम स्नेह सबकी प्रतीक्षा दरअसल जिंदगी के खालीपन और खोखलेपन को रिश्तों के उजास से भरने की कोशिश ही तो है। बधाई राकेश जी।प्रज्ञाhttps://www.blogger.com/profile/03031155939204863000noreply@blogger.com