tag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post6143545001759659960..comments2024-03-18T14:45:15.993+05:30Comments on समालोचन : मति का धीर : उपेन्द्र नाथ 'अश्क'arun dev http://www.blogger.com/profile/14830567114242570848noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-77211969904239398672018-10-29T19:48:57.042+05:302018-10-29T19:48:57.042+05:30नीलाभ जी अब इस दुनिया में नहीं हैं। उनके परिचय में...नीलाभ जी अब इस दुनिया में नहीं हैं। उनके परिचय में जन्म का उल्लेख है, मृत्यु का नहीं। ऐसी ग़लतियां दुरुस्त की जानी चाहिए। नरेश गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/02980323155722804044noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-11636203916476101172014-06-01T13:06:15.491+05:302014-06-01T13:06:15.491+05:30भावप्रवण लेख .
भावप्रवण लेख .<br />सुनीताhttps://www.blogger.com/profile/17628475127497676694noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-34047260053635013282014-01-05T21:15:10.924+05:302014-01-05T21:15:10.924+05:30BAHUT MARMIK SANSMARANBAHUT MARMIK SANSMARANMADAN PAL SINGHhttps://www.blogger.com/profile/04666598449344462181noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-31618043069258492702010-12-22T20:23:18.230+05:302010-12-22T20:23:18.230+05:30नीलाभ के गद्य का मैं पुराना प्रशंसक हूँ और ये आज त...नीलाभ के गद्य का मैं पुराना प्रशंसक हूँ और ये आज तक समझ नहीं पाया की एक लेखक के रूप में जो स्थान उन्हें मिलना चाहिए वो क्यों नहीं मिल पाया.अश्क जी पर नीलाभ का संस्मरण बेहद मार्मिक और संवेदित है, सहज और अंतस को स्पर्श करने वाला.ये सिर्फ एक पुत्र द्वारा एक पिता को याद करना नहीं है ,बल्कि पिता -पुत्र के जटिल संबंधो के एक-एक रेशे को एक संवेदित लेखक की आँखों से देखना है,ये संस्मरण ये भी समझा देता है की क्यों हिंदी के लेखकों की दुनिया इतनी स्वार्थपरक और मतलबी है.आपने ज़बरदस्ती विस्मृत कर दिए गए अश्क जी जैसे बड़े लेखक को याद रखा और इस अन्तेर्यात्रा को साझा करने का बड़ा प्रयास किया और वो भी नीलाभ के द्वारा .बहुत शुक्रिया .परितोषhttps://www.blogger.com/profile/05931957208229640528noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-80562576764673610602010-12-22T17:48:06.935+05:302010-12-22T17:48:06.935+05:30एक अविस्मरणीय संस्मरण ....अरुणजी ,एक बार पुनः शुक्...एक अविस्मरणीय संस्मरण ....अरुणजी ,एक बार पुनः शुक्रिया, पढाने के लिए ..<br />वंदनावंदना शुक्लाhttps://www.blogger.com/profile/16964614850887573213noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-60954694383331859332010-12-21T23:11:30.320+05:302010-12-21T23:11:30.320+05:30नीलाभ जी का ये संस्मरण कितना सहज और भावप्रवण है ....नीलाभ जी का ये संस्मरण कितना सहज और भावप्रवण है .. इस अंतर्धारा से गुज़रना सुखद रहा. अरुण जी आभार ! नीलाभ जी को पढ़ा , आपके माध्यम से .<br />अश्क जी को नमन !अपर्णाhttps://www.blogger.com/profile/13934128996394669998noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-26521327327385931482010-12-21T22:16:54.937+05:302010-12-21T22:16:54.937+05:30Ak lambe arse baad Neelaabh ko padhaa....hameshaa ...Ak lambe arse baad Neelaabh ko padhaa....hameshaa ki tarah bandhaataa aur likhe jaane ke naye prayog se parichit karaataa...ab mujhe Neelaabh ko ak patra likhnaa hi hogaa....isi bahaane...rakesh shreemalnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-53400396596727225372010-12-21T19:03:11.597+05:302010-12-21T19:03:11.597+05:30प्रवाहमय संस्मरण!प्रवाहमय संस्मरण!अनुपमा पाठकhttps://www.blogger.com/profile/09963916203008376590noreply@blogger.com