tag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post5973790585815895929..comments2024-03-18T14:45:15.993+05:30Comments on समालोचन : बोली हमरी पूरबी : समीर तांती (असमिया)arun dev http://www.blogger.com/profile/14830567114242570848noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-19864078038820168662016-09-03T15:38:47.856+05:302016-09-03T15:38:47.856+05:30मेरी समझ से कविता उस तरह की प्रकाश माँगने वाली रोम...मेरी समझ से कविता उस तरह की प्रकाश माँगने वाली रोमैंटिक कविता नहीं है। सबसे अल्पायु फूलों और तितलियों से कविता का आरंभ करने वाली बात नरेश जी ने खूब पकड़ी है। पर कविता हमारी सभ्यता के संकट के बारे में है जिसमें सब कुछ सहस्रगुण अधिक भंगुर हो गया है और इसके पार कोई राह नहीं दिखती।Tewari Shiv Kishorenoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-42114692036446358722016-09-03T15:37:52.169+05:302016-09-03T15:37:52.169+05:30 सबसे कोमल और सबसे सुंदर तितलियों और फूलों की उम्र... सबसे कोमल और सबसे सुंदर तितलियों और फूलों की उम्र सबसे कम.<br />उनके लिये आलोक की आकांक्षा. अकेली पड़ती घास,नदियों,तारों और खोये हुए रास्तों केलिये आलोक की प्रार्थना है यह. असमिया में तो शायद भाषा का संगीत भी रहा होगा.<br />कविता साझा करने के लिये आभार.Naresh Saxenanoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-8440723153377513042016-09-03T14:27:41.884+05:302016-09-03T14:27:41.884+05:30स्वप्निल श्रीवास्तव के इस कथन से सहमत हो पाना कठिन...स्वप्निल श्रीवास्तव के इस कथन से सहमत हो पाना कठिन है कि अन्य भारतीय भाषाओँ में ( हिंदी से ) बेहतर कविताएँ लिखी जा रहीं हैं.अप्रियता से बचते हुए यही कहूँगा कि अनेक युवा हिंदी-अहिन्दी कवि समकक्ष उत्कृष्ट या खराब कविताएँ लिख रहे हैं.यत्किंचित् बड़छोट तो कला का एक नियम है ही,जो सिर्फ़ एक दी हुई कला में ही बिल्ट-इन नहीं होता,हममें भी उसकी जड़ें होती हैं.Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/18139708644770350589noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-29055364646850715092016-09-03T12:28:36.152+05:302016-09-03T12:28:36.152+05:30अभी 25 अगस्त को तिवारी जी से अनिल जनविजय के...अभी 25 अगस्त को तिवारी जी से अनिल जनविजय के साथ मुलाकात हुई .और अब समीर तांती का उनका किया हुआ अनुवाद पढ़ रहा हूं . मै मूल भाषा से वाकिफ नही हूं लेकिन अनुवाद की भाषा सहज और स्वाभाविक है .अन्य भारतीय भाषाओ में बेहतर कविताये लिखी जा रही है .उन्हे हिंदी पाठको के बीच आनी चाहिये . आप इस ओर अग्रसर है यह जानकर खुशी होती है . मै बंगाली और नार्थ ईस्ट मे लिखी जा रही कविताओं का आशिक हूं .उम्मीद है आप मेरे इस अनुरोध को स्वीकार करेगे .अनुवादक तिवारी जी और आपको इतनी अच्छी कविताओ के लिये शुक्रिया .Swapnil Srivastavahttps://www.blogger.com/profile/10836943729725245252noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-76571654873533556662016-09-03T10:24:00.505+05:302016-09-03T10:24:00.505+05:30Bahut sundar anuvaad. Achhi kavitayein. Saadhuvaad...Bahut sundar anuvaad. Achhi kavitayein. Saadhuvaad Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/09708338313267935080noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-66318484922905310232016-09-02T18:15:19.968+05:302016-09-02T18:15:19.968+05:30सरल और तरल अनुवाद है । बिरहा जैसा सुख है । ख़याल की...सरल और तरल अनुवाद है । बिरहा जैसा सुख है । ख़याल की तरह द्रुत और विलंबित के बीच चलता राग है । अपर्णा मनोजhttps://www.blogger.com/profile/03965010372891024462noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-60907483317926499742016-09-02T11:52:55.079+05:302016-09-02T11:52:55.079+05:30इन कविताओं को पढ़ता सोच रहा था कि इनमें एक गहरा अव...इन कविताओं को पढ़ता सोच रहा था कि इनमें एक गहरा अवसाद है, कि आगे यह पंक्ति ही मिल गई '...विषाद प्रार्थना का आदि मूल है़'। प्राकृतिक उपादानों से एेसे विलक्षण बिम्ब सिरजे गए हैं कि उनकी छाप मन पर जैसे सदा के लिए रह जाएगी। ये कविताएँ क्लासिकी का नमूना हैं।<br />यह भी संयोग कि इतना लिख चुकने के बाद कवि परिचय पर निगाह पड़ी कि समीर चित्रकार हैं!<br />शिवकिशोर तिवारी अनुवाद बहुत सृजनात्मक है जैसा कि कविता का अनुवाद होना चाहिए। उन्हें बहुत बधाई! पोस्ट साझा करने के लिए धन्यवाद!<br />शिवदयालsheodayal lekhanhttps://www.blogger.com/profile/07225058233166818790noreply@blogger.com