tag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post5899421298060024598..comments2024-03-18T14:45:15.993+05:30Comments on समालोचन : समकाल : आपदा में उत्तराखंड arun dev http://www.blogger.com/profile/14830567114242570848noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-26745219044759029682017-06-28T07:53:27.238+05:302017-06-28T07:53:27.238+05:30मार्मिक अनुभव हैं।मार्मिक अनुभव हैं।प्रज्ञा पांडेयhttps://www.blogger.com/profile/03650185899194059577noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-32801749485799864882013-08-14T17:05:55.175+05:302013-08-14T17:05:55.175+05:30वेद उनियाल जी की डायरी पर्यावरण से हुई छेड़छाड़ से...वेद उनियाल जी की डायरी पर्यावरण से हुई छेड़छाड़ से उपजी त्रासदी का दर्दभरा आख्यान है. ऐसी आपदाओं के हम सभी साक्षी है़ं . फिर भी नर्मदा बचाओ या टिहरी की आवाज़ उपेक्षित ही रही ...समालोचन को इस प्रस्तुति के लिए शुक्रिया ...अपर्णा मनोजhttps://www.blogger.com/profile/03965010372891024462noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-55637929062681642132013-08-08T23:05:22.432+05:302013-08-08T23:05:22.432+05:30कितने प्यार से आपने यह सब पढ़ा। मन भावुक हो गया। ...कितने प्यार से आपने यह सब पढ़ा। मन भावुक हो गया। मैंने पूरी डायरी लिख दी है। यह किताब के रूप में आ रही हैं। दोस्तों बहुत से सवालों के साथ हूं। दर्द के साथ हूं। आप पढ़ते हैं, इसलिए तो लिखने का भी मन हुआ। कुछ कहने का भी मन हुआ। इस करीबी को बनाए रखिएंगा। जब तक जिंदा हैं। ved vilas uniyalhttps://www.blogger.com/profile/06221605530110308041noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-87129363467892920372013-08-08T17:30:55.109+05:302013-08-08T17:30:55.109+05:30मार्मिक और संवेदनशील वर्णन | लेकिन इतना कुछ खोने क...मार्मिक और संवेदनशील वर्णन | लेकिन इतना कुछ खोने के बाद भी क्या हम प्रकृति की इस आवाज को समझ पाए हैं ..?रामजी तिवारी https://www.blogger.com/profile/03037493398258910737noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-43249002985455921792013-08-08T16:18:55.345+05:302013-08-08T16:18:55.345+05:30ved jee
naaskaar !
maatr chtr dkh hi man dahal ja...ved jee <br />naaskaar !<br />maatr chtr dkh hi man dahal jaataa hai ab to ! vritaanat nahi ye sabhi ki vdnaa kah sakte hai hum , jaane hum me kab sadbudhi aayegi j prakarti s khilvaad kar rahe hai <br />saadar सुनील गज्जाणीhttps://www.blogger.com/profile/12512294322018610863noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-88885648294391591392013-08-08T11:58:21.522+05:302013-08-08T11:58:21.522+05:30वेद उनियाल की यह रपट पढ़ कर उत्तराखण्ड की बड़ी त्र...वेद उनियाल की यह रपट पढ़ कर उत्तराखण्ड की बड़ी त्रासदी मानों आँखों के सामने मूर्त्त हो गई । ओम प़िया का प़संग बताता है कि भारत और उस के योग दर्शन आदि में विदेशियों की रुचि अकारण नहीं है ।Sp Sudheshhttps://www.blogger.com/profile/02398620807527835617noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-25055936217991764022013-08-08T10:48:15.618+05:302013-08-08T10:48:15.618+05:30वेद विलास जी का इस दुखद समय का संस्मरण, मन के उस अ...वेद विलास जी का इस दुखद समय का संस्मरण, मन के उस अँधेरे कोनो में और रीसता सा दर्द रख गया जहाँ हमने अपनों को उस मुसीबत में फँसे पाया और कुछ जान पहचान के लोग कालकल्पित हो गए .. जहाँ ये मासूम इस दुःख को नहीं जानते वही मेरी पहचान के प्रियजनों ने अपने सामने अपनी दोनों संतानों को खो दिया ... आपदा के वक्त एक पानी में बह गया तो दूसरा गोद में मर गया ... फेसबुक में ही संगीता डबराल थी वह अपने पति संजय डबराल अपने बच्चों और माता पिता के साथ रामबाणा में काल के सैलाब की भेट चढ़ गयी ... हमें अपने कुछ स्वजनों को काफी तलाश करना पड़ा, और हमारा परिवार सड़क पर चढ़ी नदी में फँस गया था, हजारों मरे हजारों हजार बेघर और बेरोजगार, बेऔलाद और अनाथ हुए .. मैं समझती हूँ कि आपदा और त्रासदी का इतना वृहद् विकराल स्वरुप था की कहते नहीं बनता है ...हां निसंदेह भारतीय सेना का योगदान सराहनीय था उनके जज्बे को सलाम .. पर वहां के लोकल लोगो ने फँसे हुए यात्रियों को निकलने में जो मदद की और गाँव गाँव से अन्न और भोजन पानी की व्यवस्था, ग्रामीण लोगो ने निस्वार्थ जगह जगह भंडार लगाया और अपने घरों में रखा, वह भी सराहनीय था ... वेद विलास जी के इस संस्मरण से एक बात यह भी स्पष्ट होती है की आज हम थोथे आधुनिकरण के लबादे को ओढ़े जहाँ अपनी संस्कृति का अनादर कर रहे है वहीँ विदेशी लोगो ने इस समृद्द संस्कृति में निहित गुणों को जान इसे अपनाया है... वेद जी को इस लेख के लिए बधाई और धन्यवाद डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीतिhttps://www.blogger.com/profile/08478064367045773177noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-35248250276591374742013-08-08T10:26:26.211+05:302013-08-08T10:26:26.211+05:30हिमालय की आवाज़ सुनने की गुहार लगाते-लगाते थक गए ह...हिमालय की आवाज़ सुनने की गुहार लगाते-लगाते थक गए हैं लोग....पर सुनी अब भी नहीं जा रही...चौमासे लगे हैं...बारिश और होनी है ... टिहरी बांध का संकट सिर उठाने लगा है, जिसका शिकार मैदानी इलाक़े होंगे....वेद उनियाल जी ने पूरी संवेदना से रपट तैयार की है...उनसे इसके आगे के अंश भी लीजिए अरुण भाई। शिरीष कुमार मौर्यhttps://www.blogger.com/profile/05256525732884716039noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-11621022104741170922013-08-08T09:45:50.153+05:302013-08-08T09:45:50.153+05:30मेरे विचार से इंसानी जीवन में जो महत्व इन्सान के म...मेरे विचार से इंसानी जीवन में जो महत्व इन्सान के मस्तिष्क का वही इस धरा देश के लिए हिमालय ....उसकी सोच उसकी मानसिकता उसके मन को ना समझना ही इस देश की विपदा ,कहतें है की मन शांत सुद्रद खुश तो आप का शारीर निरोगी ,,प्रकृति ने पुरी दुनिया में सबसे ज्यादा सुविधा इसी धरा को दि है ...सच के करीब आलेख ..और जिन्होंने (सेना ) इस आपदा को समेटा है सहेजा है वो तो सलाम के काबिल क्या उस से भी ऊँचे पद के हकदार इन्सान ना भी दे तो प्रक्रति और हिमालय आखिर उनको दे ही रहा है वरना किसीकी हिमाकत तो इतने जटिल <br /> रास्तों में भी अब तक उनको गोद में ले कर बठा है .शुक्रिया अरुण जी !!निर्मल पानेरी Travel Trade Servicehttps://www.blogger.com/profile/11770735608575168790noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-89046175940881140942013-08-08T09:13:30.848+05:302013-08-08T09:13:30.848+05:30भारतीय सेना को सलाम!
भारतीय सेना को सलाम!<br />अनुपमा पाठकhttps://www.blogger.com/profile/09963916203008376590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-15473336288223827052013-08-08T09:01:21.030+05:302013-08-08T09:01:21.030+05:30वेद उनियाल ने उत्तराखंड त्रासदी पर वाकई संवेदनशील...वेद उनियाल ने उत्तराखंड त्रासदी पर वाकई संवेदनशील मन से इस डायरी में अपने अनुभव और वृतान्त दर्ज किये हैं, गहरे मानवीय स्पर्श के साथ उन्होंने कुछ ऐसे मार्मिक और विचारणीय प्रसंग चुने हैं, जिन्हें साझा करना निश्चय ही हमारे अपने अनुभव को भी समृद्ध करता है। बधाई। नंद भारद्वाजhttps://www.blogger.com/profile/10783315116275455775noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-11500274277663783752013-08-08T08:14:23.452+05:302013-08-08T08:14:23.452+05:30हिमालय को समझने की भूल, यदि अब भी सुधार लें तो अच्...हिमालय को समझने की भूल, यदि अब भी सुधार लें तो अच्छा है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.com