tag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post5885438413687616098..comments2024-03-18T14:45:15.993+05:30Comments on समालोचन : कथा - गाथा : सुनहरा फ्रेम : मनीषा कुलश्रेष्ठ arun dev http://www.blogger.com/profile/14830567114242570848noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-53862287883414188132017-06-03T21:27:52.035+05:302017-06-03T21:27:52.035+05:30ये वाकई समालोचना के काबिल है। पोलिगामी विषय होते ह...ये वाकई समालोचना के काबिल है। पोलिगामी विषय होते हुए भी विषय नहीं है। गहरी सम्वेदनाएँ लिए कहानी इस तरह के विषय पर हो रही बहस को तुच्छ साबित करती है और ये सोचने का अवसर देती है कि आखिर कब तक आंकड़े या अन्य बौद्धिक बातों या तर्को से इस तरह के विषय पर वही पुरानी घिसायट चलती रहेगी?Dinesh Pariharhttps://www.blogger.com/profile/18253090197720043625noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-44396332141700552792017-06-03T12:43:52.502+05:302017-06-03T12:43:52.502+05:30kahani mai bhatkav bahut hai..mul vishya ko chodka...kahani mai bhatkav bahut hai..mul vishya ko chodkar kahi aur hee nikal jaati hai..animesh joshihttps://www.blogger.com/profile/15350360032838154694noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-28185859938895416712017-05-31T21:53:46.602+05:302017-05-31T21:53:46.602+05:30कहानी कहाँ है! IT के ज़माने में नेट खंगाल कर कुछ आं...कहानी कहाँ है! IT के ज़माने में नेट खंगाल कर कुछ आंकड़े, सूचना जुटाना और अमूर्त-अस्पष्ट-सी भाषा में बौद्धिक आतंक फैलाने का असफल प्रयत्न कहानी की श्रेणी में नहीं आ सकती। अरुण जी, आगे से कहानी के चयन में कहानी पर ध्यान दें, लेखक के नाम पर नहीं।भाषाnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-49871946667548021482017-05-31T08:33:43.831+05:302017-05-31T08:33:43.831+05:30बहुत ही दुर्गम विषय है. इस पर लिखते हुए फिसलने या ...बहुत ही दुर्गम विषय है. इस पर लिखते हुए फिसलने या फिर चीप हो जाने का खतरा बना रहता है. मनीषा मास्टर हैं बहुत बारीकी से वे बची हैं. एक विचारोत्तेजक कहानी के लिए बधाई.रीना माहेश्वरीnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-27834532530380961672017-05-30T17:13:14.144+05:302017-05-30T17:13:14.144+05:30अत्यंत संवेदनशील विषय पर एक संजीदा और सधी हुइ्र क...अत्यंत संवेदनशील विषय पर एक संजीदा और सधी हुइ्र कहानी। कलात्मक बयानगी इस कहानी के कुल प्रभाव को और भी तरल बना देती है। बधाई। नंद भारद्वाजhttps://www.blogger.com/profile/10783315116275455775noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-72149345301285866872017-05-30T14:36:35.026+05:302017-05-30T14:36:35.026+05:30यथार्थ को परिभाषित करती कहानी |
यथार्थ को परिभाषित करती कहानी |<br />Pratibha Bisht Adhikarinoreply@blogger.com