tag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post5874833451842409834..comments2024-03-18T14:45:15.993+05:30Comments on समालोचन : सहजि सहजि गुन रमैं : सुशील कुमार arun dev http://www.blogger.com/profile/14830567114242570848noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-16183110069923141862016-04-16T06:39:00.680+05:302016-04-16T06:39:00.680+05:30भाई Sushil Kumar की कविताएँ धरती की हरियाली ही नही...भाई Sushil Kumar की कविताएँ धरती की हरियाली ही नहीं, धरती का अन्न भी बचाती हैं। समालोचन को सुशील जी की कविताएँ हम तक पहुँचाने के लिए आभार।<br />Shahanshah Alamnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-20892408082404493672016-04-15T11:30:34.249+05:302016-04-15T11:30:34.249+05:30अपनी जड़ों को लौटने की बेचैनी है इन कविताओं में. सो...अपनी जड़ों को लौटने की बेचैनी है इन कविताओं में. सोचने को विवश करती हुई.परमेश्वर फुंकवालhttps://www.blogger.com/profile/18058899414187559582noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-5389792890552650472016-04-14T16:58:47.321+05:302016-04-14T16:58:47.321+05:30आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (1...आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (15-04-2016) को <a href="http://charchamanch.blogspot.com/" rel="nofollow"> ''सृष्टि-क्रम'' (चर्चा अंक-2313) </a> पर भी होगी।<br />--<br />सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।<br />--<br />चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।<br />जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।<br />--<br />हार्दिक शुभकामनाओं के साथ<br />सादर...!<br />डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'<br />डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-45809645876644734952016-04-14T11:18:59.152+05:302016-04-14T11:18:59.152+05:30मानुष मारने की कला --के साथ सभी कवितायें अच्छी ...मानुष मारने की कला --के साथ सभी कवितायें अच्छी है । पचास के होने के बाद जीवन तेजी से बदलने लगता है .यह भाव पहली कविता में शिद्दत के साथ दर्ज है । कवि को बधाई और आपको भी कि आप अच्छी कविताओं के साथ हमारे पास आते हैं ।Swapnil Srivastavahttps://www.blogger.com/profile/10836943729725245252noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-53879854909409873352016-04-14T09:15:37.774+05:302016-04-14T09:15:37.774+05:30उजड़ते जंगल की हरियाली बन कर लौटने की इच्छा लिए, शो...उजड़ते जंगल की हरियाली बन कर लौटने की इच्छा लिए, शोहरत बटोरती कविताओं के इस समय में कवि अपने भीतर प्रतिशब्द टटोलता है और वक्त की राख में अपने होने का अक्स ढूंढता है... संवेदना के स्तर पर इतनी प्रखर एवं भाव-प्रवण कविताएं प्रस्तुत करने के लिए आप दोनों को मेरी आत्मिक बधाई!योगेंद्र कृष्णाhttps://www.blogger.com/profile/09741271265483154489noreply@blogger.com