tag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post5798630851011720904..comments2024-03-18T14:45:15.993+05:30Comments on समालोचन : परिप्रेक्ष्य : पृथ्वी के लिए शब्द : संतोष अर्श arun dev http://www.blogger.com/profile/14830567114242570848noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-19173845098764060812018-06-05T16:44:23.170+05:302018-06-05T16:44:23.170+05:30हिंदी पाठक को ऐसी चीजें कम मिलती हैं पढने को . आभ...हिंदी पाठक को ऐसी चीजें कम मिलती हैं पढने को . आभार . अजेयhttps://www.blogger.com/profile/05605564859464043541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-58818657645935649272017-06-06T09:28:35.318+05:302017-06-06T09:28:35.318+05:30बहुत बधाई संतोष आपको। रामचन्द्र गुहा की एक जरूरी क...बहुत बधाई संतोष आपको। रामचन्द्र गुहा की एक जरूरी किताब है how much should a person Consume भारतीय परंपरा के बरअक्स पाश्चात्य चिंतन की पड़ताल करती है और पश्चिम के परिस्थिक विमर्श को औपनिवेशिक आलोक में देखती है।लेखक की आलोचकीय दृष्टि उत्तर आधुनिकता के बटखरों तक जाती है, इसी संदर्भ में रामचन्द्र गुहा का ज़िक्र मैंने किया है। 1990 के बाद उदारीकरण और भूमण्डलीकरण ने गांधी और बाद में सोशलिस्ट अप्रोच को दर किनार किया और उन्हें अतीतजीवी घोषित कर दिया। <br />संतोष , हमें इसी तरह समृद्ध करेंगे। अपर्णा मनोजhttps://www.blogger.com/profile/03965010372891024462noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-87374361453237747192017-06-06T06:06:25.367+05:302017-06-06T06:06:25.367+05:30बहुत ही बढ़िया लेख ..लेख के सृजन में अनेक विद्वानो...बहुत ही बढ़िया लेख ..लेख के सृजन में अनेक विद्वानों के विचारो का समावेश लेख की उत्क्रष्ट्ता को दर्शाता है ..Arun Somnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-13037370873809224252017-06-05T12:43:26.678+05:302017-06-05T12:43:26.678+05:30जरूरी लेख प्रकाशित कर अरुण जी ने जरूरी काम किया है...जरूरी लेख प्रकाशित कर अरुण जी ने जरूरी काम किया है ।<br />SP Sudheshnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-24174450388429059802017-06-05T12:42:36.647+05:302017-06-05T12:42:36.647+05:30पर्यावरण के बारे में जरूरी लेख । अर्श बहुत श्रम से...पर्यावरण के बारे में जरूरी लेख । अर्श बहुत श्रम से तैयार किया है । सहित्य के अलावा ऐसे।लेखों की जरूरत है । अर्श और आप को साधुबाद ।<br />Swapnil Srivastavanoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-20126849767326732632017-06-05T12:41:28.967+05:302017-06-05T12:41:28.967+05:30एक बेहद जरुरी आलेख लेकिन इससे विनम्र असहमति कि वेद...एक बेहद जरुरी आलेख लेकिन इससे विनम्र असहमति कि वेदों में पर्यावरणीय चिंतन नही है।इस लेख में आये सारे उद्धरण पाश्चात्य विद्वानों के हैं ,केवल एक भारतीय स्व अनुपम मिश्र।अतः यह एकांगी दृष्टि है।अगर विद्वान साथी भारतीय चिन्तन परंपरा से कुछ उद्धरण देकर इसे साबित करते या करने की कोशिश करते क्तोई हमारी चिंतन परंपरा में इस तरह का चिंतन नही है तो यह आलेख और अधिक प्रभावी हो सकता था।फिर भी एक दृष्टि विशेष के आलोक को पूरी मेहनत के साथ रखने के लिये बधाई और व्यापक समाज तक उनकी बात पहुंचे इसलिए शेयर कर रहा हूँ ।अरुणजी के लिए क्या कहूँ वे तो रोज कुछ न कुछ ऐसा प्रस्तुत करते हैं कि दिल खुश हो जाता है और दुआएं तो उनके लिए दौड़ पड़ती है।<br />Braj Ratan Joshinoreply@blogger.com