tag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post5734366255641619197..comments2024-03-18T14:45:15.993+05:30Comments on समालोचन : हिंदी में कामकाज : राहुल राजेश arun dev http://www.blogger.com/profile/14830567114242570848noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-86002379681611525032021-04-01T12:15:29.825+05:302021-04-01T12:15:29.825+05:30purushottamkummargupta@gmail.com
बेहद साफ-सुथरी ...purushottamkummargupta@gmail.com <br /><br />बेहद साफ-सुथरी ,तार्किक संदर्भों से युक्त प्रासंगिक आलेख ....... गहन और गाढ़ा भी!! <br />purushottamkumarguptahttps://www.blogger.com/profile/13382376753168240196noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-89200964831776003332015-09-27T19:16:53.158+05:302015-09-27T19:16:53.158+05:30प्रिय राहुल भाई !
राजभाषा चूंकि सरकार की भाषा है ...प्रिय राहुल भाई !<br /><br />राजभाषा चूंकि सरकार की भाषा है - इसलिए भावहीन और अर्थहीन है - यह दुराग्रह एक लंबे अरसे से और सुनियोजित तरीके से फैलाया जाता रहा है। आप ही बताएं कि तथाकथित उनके 'सर्जना का क्षण' क्या आपके 'अनुवाद के क्षण' से अधिक प्रसव-पीड़ा युक्त होता है? क्या आपके कर्म का उजास या अंधकार उनसे कम गहन एवं नैष्ठिक होता है? <br /><br />एक कवि के रूप में आपका इकब़ालिया बयान यहां आना था - जो नहीं आया है। राजभाषा की अपनी ओज और अभिब्यक्ति का उसका तेवर आपको दिखाना था - जो नहीं दिखा है। ठीक है कि मात्र अभिव्यक्ति से ही कोई भाषा सशक्त एवं समृद्ध नहीं हो जाया करती। बला से वह साहित्यिक कैननाइजेशन की निगाह में एक यांत्रिक भाषा लगती हो – पर मत भूलिए कि वह भी अभी अपने विकास के दौर में एक अपभ्रंश है। कुछ भी हो, राजभाषा इतने बड़े देश और समाज की मौलिक आकांक्षाओं एवं मोहक सपनों की भाषा तो धीरे-धीरे बनती ही जा रही है।<br />1000 वर्ष की हिंदी की जो स्थिति आज है; उस अनुपात और रफ्तार से 65 बरस की राजभाषा की हालत इतनी चौपट तो नहीं है कि - उसे भी बाबूओं की तरह – “ते मर्त्यलोके भुवि भारभूता मनुष्यरूपेण मृगाश्चरन्ति” - कहा जाए।<br />सुशील कृष्ण गोरेhttps://www.blogger.com/profile/04554365008275575977noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-31702611222642029452015-09-16T19:48:50.764+05:302015-09-16T19:48:50.764+05:30अनुवाद कर्म पर जरूरी बातें। अनुवाद कर्म पर जरूरी बातें। अपर्णाhttps://www.blogger.com/profile/13934128996394669998noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-15406516116646405952015-09-16T17:25:00.021+05:302015-09-16T17:25:00.021+05:30क्या बात है सर एकदम सटीक और बेबाक राय।क्या बात है सर एकदम सटीक और बेबाक राय।ललित राजपूतnoreply@blogger.com