tag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post5538883290733861738..comments2024-03-18T14:45:15.993+05:30Comments on समालोचन : सहजि सहजि गुन रमैं : पीयूष दईया arun dev http://www.blogger.com/profile/14830567114242570848noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-16300293705060497202014-06-29T20:10:12.789+05:302014-06-29T20:10:12.789+05:30पीयूष के सर्जक मन की काव्य-छवियां, कविता में भाषा...पीयूष के सर्जक मन की काव्य-छवियां, कविता में भाषा और संवेदना के अलग ही सम्मिश्रण का आस्वाद देती हैं। अव्यक्त दुख किस तरह गहरे में बूंद-बूंद रिसता हुआ पाठक को भिगोता चला जाता है, यही इन कविताओं की मेरे लिए उपलब्धि है। मेरी शुभकामनाएं। Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/13562041392056023275noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-26287850046804414722014-05-01T22:15:11.449+05:302014-05-01T22:15:11.449+05:30बहुत अच्छा लगा पड़ कर पीयुष भइया शुक्रिया बहुत अच्छा लगा पड़ कर पीयुष भइया शुक्रिया Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/07320947338392050085noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-76275999593559382702014-04-30T00:17:23.486+05:302014-04-30T00:17:23.486+05:30कवितायेँ जो बहुत कुछ वह कहती हैं जो शब्दों से परे ...कवितायेँ जो बहुत कुछ वह कहती हैं जो शब्दों से परे है, मौन को मुखरित करती पियूष जी की भाषा सच मे होने न होने के बीच लेकर जाने मे सक्षम है। झीम झीम करती ख़ामोशी के साथ मृत्यु और जीवन का गीत हैँ ये कविताऐं … Ritu Vishwanathhttps://www.blogger.com/profile/16012586029198898750noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-35596000956667826292014-04-28T02:05:33.842+05:302014-04-28T02:05:33.842+05:30कविताओं में मौलिकता और अलौकिकता निश्चय ही रोकती है...कविताओं में मौलिकता और अलौकिकता निश्चय ही रोकती है. प्रभात त्रिपाठी का पाठ और टिप्पणी इनके मूल्य को कई गुणा कर देती है. चित्र भी इनके अर्थ को और अधिक व्यंजित करने वाले हैं, मात्र सजाने वाले नहीं ...सुन्दर ! कुलजीत सिंहnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-22762347456761109992014-04-26T22:02:01.051+05:302014-04-26T22:02:01.051+05:30पीयूष का अपनी कविता के साथ रहना ...एक कलाकार का अ...पीयूष का अपनी कविता के साथ रहना ...एक कलाकार का अपने माध्यम पर यकीन का उदाहरण है .आज जब हर किसी को लगता है कला के अलावा कुछ कला में हो, और कला को उस अन्य का गरीब बिरादर बना दिया जाए, उस का प्रतिरोध पीयूष जैसे कवियों का होना है .ये एक दो बार के साथ की यात्रा नही बल्कि बहुत गहरे उतर, रुक कर बसने का आवाहन हैAnirudh Umatnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-48685629884841402072014-04-26T15:54:40.985+05:302014-04-26T15:54:40.985+05:30पीयूष दईया अपनी स्वभाविक संवेदना और सृजनात्मक विधा...पीयूष दईया अपनी स्वभाविक संवेदना और सृजनात्मक विधान में अद्भुत बिंब-संयोजन के कारण विशिष्ट लगते हैं ...<br />भाषा के हरे...खुले बुग्याल में विचरती हुई उनकी कविताएँ देश-काल में ...स्वप्न और स्मृतियों में एक ख़ास लय और विज़न के साथ 'संचरण' करती हैं ... ;<br />और निःसन्देह ...<br />उनकी कविताएँ ग़ौर से...रुक-रुककर ...सोच-सोचकर ...बारहा पढ़े जाने की दरकार रखती हैं ....यहाँ मैं ज़रूर कहूँगा कि कवि वेणुगोपाल और लाल्टू की कविताओं के साथ....<br />पीयूष दईया की कविताओं से गुजरना ...छांदस अनुभूति के एक नये लोक में ले जाती है<br />और यह लोक अपने यथार्थ के तमाम रैडिकल विज़न के साथ 'अभिनव' (!) है.....Rahul Jhanoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-81742006196390088722014-04-26T14:42:22.640+05:302014-04-26T14:42:22.640+05:30Kavitaen to gazab hain heen, aur Prabhat Tripathi ...Kavitaen to gazab hain heen, aur Prabhat Tripathi ka bareeqi se aur kavitaon aur khud kavi ko bahut sneh se bheetar tak samone ke baad likha maloom parta hai. aap dono mitro ko kritagyata see yaad karti hoon. Hindi mein aisa samvad hone laga hai, behad sukhad hai. Aur aisi kavitaen bhee! Nirash hone kee koi gunjaish hee nahi reh jati. Teji Groverteji grovernoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-57037478833901649222014-04-26T11:51:55.415+05:302014-04-26T11:51:55.415+05:30समीक्षा अच्छी है ६ कविता बहुत पसंद आई .समीक्षा अच्छी है ६ कविता बहुत पसंद आई .सुनीताhttps://www.blogger.com/profile/17628475127497676694noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-80680011603020029112014-04-26T11:38:19.479+05:302014-04-26T11:38:19.479+05:30पीयूष जी की कवितायेँ और प्रभात त्रिपाठी की टीप मन ...पीयूष जी की कवितायेँ और प्रभात त्रिपाठी की टीप मन में गहरे बस गए हैं. prabhat ranjanhttps://www.blogger.com/profile/13501169629848103170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-38238263702311290722014-04-26T11:07:13.137+05:302014-04-26T11:07:13.137+05:30पीयूष भाई लाजवाब कवि हैं।पीयूष भाई लाजवाब कवि हैं।Hareprakash Upadhyaynoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-74581013961929264952014-04-26T11:06:46.760+05:302014-04-26T11:06:46.760+05:30Iss pe kuchh kehna, sooraj ko deeya dikhana hoga. ...Iss pe kuchh kehna, sooraj ko deeya dikhana hoga. ShabRinku Chatterjee ·noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-90326632593336936352014-04-26T08:15:05.246+05:302014-04-26T08:15:05.246+05:30आपकी लिखी रचना रविवार 27 अप्रेल 2014 को लिंक की जा...<i><b> आपकी लिखी रचना रविवार 27 अप्रेल 2014 को लिंक की जाएगी...............<br /><a href="http://nayi-purani-halchal.blogspot.in" rel="nofollow"> http://nayi-purani-halchal.blogspot.in </a> आप भी आइएगा ....धन्यवाद! </b></i><br />yashoda Agrawalhttps://www.blogger.com/profile/05666708970692248682noreply@blogger.com