tag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post4970517914940260748..comments2024-03-18T14:45:15.993+05:30Comments on समालोचन : कथा - गाथा : विमल चंद्र पाण्डेयarun dev http://www.blogger.com/profile/14830567114242570848noreply@blogger.comBlogger16125tag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-77318338601548396102012-04-24T17:51:27.162+05:302012-04-24T17:51:27.162+05:30Shukriya PoojaShukriya Poojaaddictionofcinemahttps://www.blogger.com/profile/09104872627690609310noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-68798570800698542092012-04-21T21:06:17.138+05:302012-04-21T21:06:17.138+05:30विमल जी बहुत ही अच्छी कहानी लिखी है। जिस दोस्त की ...विमल जी बहुत ही अच्छी कहानी लिखी है। जिस दोस्त की सहजता और साधारणता पर हम शुरू से मजे ले रहे थे अंत में पता चलता है कि इस दुनियादारी वाले समय में वही एक सच्चा मित्र बनकर उभरता है। और रही बात समझदार दोस्तों की तो वे हर जगह अपनी समझदारी ही दिखाते रह जाते है। दूसरों की भावनाओं से उन्हें रत्तीभर भी लेना देना नहीं होता है। बाबा की तरह ही एक शख्स को मैं भी जानती हूं। आज जब सभी लोग अपनी-अपनी दुनिया में रम गए हैं तो वे ही हमेशा सबका हाल बताते हैं।Unknownhttps://www.blogger.com/profile/05298123530991089600noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-4615758849220785172012-04-16T18:23:27.466+05:302012-04-16T18:23:27.466+05:30सबका बहुत शुक्रिया. अमृत सर सेल्युलाइड के लिए तो न...सबका बहुत शुक्रिया. अमृत सर सेल्युलाइड के लिए तो नहीं सोचा क्योंकि बहुत देसी है :-) मनीषा जी: शुक्रिया, जानती हैं मैं हमेशा से चाहता था की लिखते हुए कभी मेरी ना कोई शैली तय हो और ना कोई भाषा जिसे पढ़ के कोई बता सके कि ये मेरी भाषा है, जैसी कहानी वैसी भाषाaddictionofcinemahttps://www.blogger.com/profile/09104872627690609310noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-20675223997997191592012-04-15T22:16:08.061+05:302012-04-15T22:16:08.061+05:30विमल तुम्हारे पास ग़जब के अनुभव हैं...परिवेश है और...विमल तुम्हारे पास ग़जब के अनुभव हैं...परिवेश है और बहुत रचनात्मक भाषा है. भाषा भी वो जो विपथगा नदी सी...जो तट छुआ वहीं की.....manishahttps://www.blogger.com/profile/10156847111815663270noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-7869192303091194812012-04-10T14:40:06.782+05:302012-04-10T14:40:06.782+05:30विमल, बनारसी ज़िंदगी के कुछ नायब पलों को बड़ी सादगी ...विमल, बनारसी ज़िंदगी के कुछ नायब पलों को बड़ी सादगी से, बिलकुल बनारसी ढंग में पेश करने की बधाई. एक आम मध्यमवर्गीय नवयुवक की असुरक्षा..... बहुत अच्छी लगी. मैं इसे पढते हुए सोच रहा था कि अगर इसे सेल्युलोयेड पर उतरा जाये तो कैसा लगे!!!! बहुत सुन्दर......My Musical Silencehttps://www.blogger.com/profile/10748766056102596679noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-28816506999146825592012-04-09T01:14:02.988+05:302012-04-09T01:14:02.988+05:30Vimal Congrats for your story.... Es kahani me Anu...Vimal Congrats for your story.... Es kahani me Anuj ki Jiwatta aur writer ka dard ka jabardast Ahsas hota hai...Dineshhttps://www.blogger.com/profile/13331199953614424312noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-21724302246105283802012-04-08T15:25:56.750+05:302012-04-08T15:25:56.750+05:30क्या बात है भाई जी ..यादैं ताजा है गयी। संयोग से इ...क्या बात है भाई जी ..यादैं ताजा है गयी। संयोग से इसमे से कई घटनाओं का चश्मदीद रहने का मौका हमें भी मिला है..अवनीश सिंहhttps://www.blogger.com/profile/08330116993539689193noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-2881984900255293662012-04-08T09:08:51.779+05:302012-04-08T09:08:51.779+05:30सभी मित्रों का बहुत शुक्रिया, बेनामी जी, जिस अंचल ...सभी मित्रों का बहुत शुक्रिया, बेनामी जी, जिस अंचल और माहौल की ये कहानी है वहाँ मैंने बहुत कंजूसी से काम चलाया है, आप लमही के कहानी विशेषांक में आने वाली मेरी कहानी देखिएगा अगर मौका मिले तो आपकी शिकायत शायद दूर हो जाए, वहाँ गालियों की ज़रूरत नहीं थी और एक भी गाली नहीं आई है, सबका आभारaddictionofcinemahttps://www.blogger.com/profile/09104872627690609310noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-47102440769943854342012-04-07T16:56:26.830+05:302012-04-07T16:56:26.830+05:30Vimal ji , kahani achchhi lagi. samalochan sahity ...Vimal ji , kahani achchhi lagi. samalochan sahity jagat se jodne ka kaam kar raha hai. pathakon ko achchhi samgri milti rahe . is sashakt kahani ke liye kathakar aur Arun ko badhai!अपर्णा मनोजhttps://www.blogger.com/profile/03965010372891024462noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-4321848361260404982012-04-06T23:34:22.816+05:302012-04-06T23:34:22.816+05:30एक पुरे समय और समाज को रचती है यह कहानी ...| ..भाष...एक पुरे समय और समाज को रचती है यह कहानी ...| ..भाषा और कहने का अंदाज एकदम अनूठा .....बधाई मित्र आपको ..रामजी तिवारी https://www.blogger.com/profile/03037493398258910737noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-48242255468100686872012-04-06T08:58:23.985+05:302012-04-06T08:58:23.985+05:30सचमुच कहानी जीवंत माहौल रचती है. क्या यह आज की कहा...सचमुच कहानी जीवंत माहौल रचती है. क्या यह आज की कहानी है? इसे पढ़कर मुझे चालीस साल पहले धूमिल और काशीनाथ के साथ अस्सी में की गयी मस्ती याद आ गयी. एकदम इसी तरह का अंदाज़ हुआ करता था धूमिल की बातों में. बाद में यह अपने ढंग से आगे बढ़ा ज्ञान रंजन और वीरेन डंगवाल में. मैं उम्मीद कर रहा था, यह कहानी उन लोगों का विस्तार होगी. कहानी अच्छी है, मुझे लगता है, इस सन्दर्भ में 'समालोचक' में ही हाल में छपी प्रभात रंजन की उस बेहतरीन कहानी को पढ़ा जाना चाहिए जो एक पत्रकार के संघर्ष पर ही केन्द्रित है और अपनी बात पूरे प्रभाव के साथ कहती है.batrohihttps://www.blogger.com/profile/07370930712240772275noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-18226665907656124702012-04-05T20:47:11.888+05:302012-04-05T20:47:11.888+05:30फाड़ कर रख दिया गुरू तुमने...पढ़ कर मन हरियरा गया......फाड़ कर रख दिया गुरू तुमने...पढ़ कर मन हरियरा गया...बहुत लंबे इंतज़ार के बाद इतना बढ़िया रिफ्रेशमेंट...मज़ा आ गया...राजेश ओझाnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-55839292317279663442012-04-05T18:30:36.423+05:302012-04-05T18:30:36.423+05:30ई त विमल भईया बहुत पहिले हमरे मेल में चफनाये रहे, ...ई त विमल भईया बहुत पहिले हमरे मेल में चफनाये रहे, तब्बे क पढल हई.....लूट लेला महराज.<br /><br />बेनामी भई, कथा जिस लोकेल में घटित हो रही है, उस हिसाब से विमल नें बहुत कम गालियों का इस्तमाल किया है, यानि वे एक सेल्फ-सेंसरशिप की रचना कर रहे हैं. हिन्दी कहानी का जो दौर चल रहा है, उसमें यह कहानी फालतू के दिखावे से तो बहुत ऊपर है. इसे उत्सव-गत करना चाहिए.<br /><br />विमल भाई...शुभकामनाएं.सिद्धान्तhttps://www.blogger.com/profile/15301083796302573767noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-56454576444428396722012-04-05T17:46:05.354+05:302012-04-05T17:46:05.354+05:30बाबवा के बारे में बहुत पहुले पढ़ा था। तो बड़ा इंटर...बाबवा के बारे में बहुत पहुले पढ़ा था। तो बड़ा इंटरेस्टिंग करेक्टर लगा था। विमल भइयवा बड़ा मन से लिखा है इ कहनिया। बाकि एगो बात हम कहेंगे कि एह कहानी में बाबा त महत्वपूर्ण हइए है, खुद कथाकार का जो जीवन संघरस है, वह भी लऊकाई देता है। पर साल में इ कहानी हम पढ़े थे, विमले भाई के सौजन्य से। फिर उनकरा से बातो हुआ रहा। फेरू इ कहानी पढ़ि के बड़ा बढ़िमा लगा... हम बधाई दे रहे हैं प्रिय भाई विमल जी को... निरंतर सर्जनशील रहसु...आ खूब बढ़िया लिखसू....विमलेश त्रिपाठीnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-65136016539994293272012-04-05T13:00:31.757+05:302012-04-05T13:00:31.757+05:30kataha tatva me tazagi hai...sabvad chutile ar man...kataha tatva me tazagi hai...sabvad chutile ar manorangak hote huye bhi her bat ko kholkar rakha dete hai.....lekin yeh samajh me nahi ata ki kya apsabdo ke prayog k bina koi rachana ho hi nahi sakati......ya hm duniya ko dikhana chahate hai ki hamare anchal me galiyo ke bina samvad hota hi nahi hai?Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-86078382921660467742012-04-05T11:39:03.002+05:302012-04-05T11:39:03.002+05:30बढ़िया रंग जमाया है विमल जी ने. एकदम जीवंत कहानी. ...बढ़िया रंग जमाया है विमल जी ने. एकदम जीवंत कहानी. बधाई कथाकार को और समालोचन को इतनी अच्छी प्रस्तुति के लिए.prabhat ranjanhttps://www.blogger.com/profile/13501169629848103170noreply@blogger.com