tag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post4632868413819744959..comments2024-03-18T14:45:15.993+05:30Comments on समालोचन : मंगलाचार : प्रज्ञा पाण्डेय arun dev http://www.blogger.com/profile/14830567114242570848noreply@blogger.comBlogger13125tag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-54812995527707897202013-09-25T10:02:13.159+05:302013-09-25T10:02:13.159+05:30damdaar.......behtareen!!damdaar.......behtareen!!मुकेश कुमार सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/14131032296544030044noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-29689337979573037082013-09-20T10:45:35.171+05:302013-09-20T10:45:35.171+05:30"शान्ति से अपना घर संभालो, जहाँ डोली उतरती है..."शान्ति से अपना घर संभालो, जहाँ डोली उतरती है, वहीँ से औरत की अर्थी निकलती है।"<br /><br />दहल गया हूँ मैं, इस कहानी को एक बार पहले भी पढ़ा था यहीं समालोचन पर, उस समय कुछ भी नहीं हुआ था, शायद मेरी संवेदनाएं उस समय जगी हुई न रही हों, या फिर ऐसे ही कहानी की तरह पढ़कर आगे बढ़ गया, कुछ भी हो, लेकिन आज, आज तो मेरे रोम रोम जड़ हो गए हैं, क्या ऐसा भी होता है, उफ़ ..................के कहूँ क्या लिखूं शब्द ही नहीं मिल रहे।Niraj Palhttps://www.blogger.com/profile/12597019254637427883noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-18972642447256153402013-09-18T17:28:55.912+05:302013-09-18T17:28:55.912+05:30उफ्फ ! झकझोरती हुई कहानी,इस पुरुषसत्तात्मक समाज का...उफ्फ ! झकझोरती हुई कहानी,इस पुरुषसत्तात्मक समाज का कालर पकड़,आँख में आँख डाल कर सवाल <br />उठाती चीखती कहानी।लेकिन प्रज्ञा जी मेरी एक करबद्ध<br />प्रार्थना है जिसे आप को स्वीकार करना ही होगा।<br />ऐसी विदुषी नारी को बाप कीपगड़ी बचाने के लिए दुबारा <br />इतने कमजोर स्वरूप में न ढालियेगा कि वह पागल हो <br />जाय ।<br />वह बाप और वह माँ ही तो स्त्री के लिए इस घिनौने समाज <br />का दरवाजा खोलते हैं,पहले बेटेकी मनोकामना करके ,दुबारा बेटी का प्रवेश वर्जित करने की हर संभव <br />कोशिश करके ,तिबारा बेटी के स्वाभाविक विकास में बेटी होने के कारण ही अवरोध डाल कर और चौबारा अपनी पगड़ी का उसी बेटी को वास्ता दे कर आत्मनिर्णय<br />के अधिकार से वंचित करके तथा अन्य में इसी पगड़ी का <br />वास्ता दे कर उसे ससुराल में हरअमानवीय यन्त्रणा सहने की मानसिक ब्लैकमेलिंग करके, जो उसेमृत्यु या पागलपन की हदों तक ले जाता है।<br />आप बहुत अच्छी कथाकार हैं।मैंने आपको अभी पहली बार पढ़ा है और प्रभावित हुआ हूँ।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/15873753529930278504noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-70940086157403292232013-07-28T14:28:37.319+05:302013-07-28T14:28:37.319+05:30दूर-देहात में आज भी महिलाएं ऐसी भयावह परिस्थितियों...दूर-देहात में आज भी महिलाएं ऐसी भयावह परिस्थितियों में रह रही हैं, यह जानना ही कितना खौफनाक है... प्रज्ञा जी ने बहुत कुशलता से इस घिनौने यथार्थ को पूरी संवेदना के साथ प्रस्तुत किया है। भाषा के साथ उनका बर्ताव पाठक के लिए कहानी को कई आयामों में सोचने के लिए विवश करता है। प्रज्ञा जी को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं। Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/13562041392056023275noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-32673670486381981532013-07-27T21:31:06.666+05:302013-07-27T21:31:06.666+05:30एक सांस में पढ़ गया ,यथार्थ एक सांस में पढ़ गया ,यथार्थ sunokahanihttps://www.blogger.com/profile/17041078249659276421noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-62158366054943951392013-07-27T19:12:01.139+05:302013-07-27T19:12:01.139+05:30औरत का घर कहीं नहीं होता.सुधा अरोड़ा का उपन्यास या...औरत का घर कहीं नहीं होता.सुधा अरोड़ा का उपन्यास याद आया'यहीं कहीं था घर.'sarita sharmahttps://www.blogger.com/profile/03668592277450161035noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-33995804924269870792013-07-27T10:58:57.309+05:302013-07-27T10:58:57.309+05:30मार्मिक कहानी . केवल कसबे ही नहीं शहरों का भी भोगा...मार्मिक कहानी . केवल कसबे ही नहीं शहरों का भी भोगा हुआ सच है ये . हिंदुस्तान के शहरों का चेहरा भले ही अत्याधुनिक लगता हो पर उनके भीतर स्त्रियों की दशा कुछ ज्यादा अलग नहीं है . प्रज्ञा जी को बधाई . शुक्रिया समालोचन . अपर्णा मनोजhttps://www.blogger.com/profile/03965010372891024462noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-62135586680061773252013-07-26T19:52:22.286+05:302013-07-26T19:52:22.286+05:30अब भी देख रही हूँ.. रोज़ देखती हूँ.. सिर्फ कस्बों ...अब भी देख रही हूँ.. रोज़ देखती हूँ.. सिर्फ कस्बों में ही नहीं.. यहाँ महानगरों में भी.. चुप रहो तो ही अच्छी बेटी हो बहु हो.. कहीं जो सब उजागर किया.. तो वही सब कुछ जो नायिका ने भोगा.. प्रज्ञाजी को बधाई.. इस सशक्त कथा के लिए... Aparna Bhagathttps://www.blogger.com/profile/18107258866054722313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-32954388374687593862013-07-26T18:58:06.237+05:302013-07-26T18:58:06.237+05:30शहरी लोग शायद इस यथार्थ से परिचित नहीं हों, पर गाँ...शहरी लोग शायद इस यथार्थ से परिचित नहीं हों, पर गाँवों में आज भी यही दर्द सह रही हैं औरतें कि मेरा घर कहाँ है? मार्मिक चित्रण, यथार्थ की चौखट पर दस्तक दे रहा है...आगाह कर रहा है विश्व की शोषित औरतों को...बधाई प्रज्ञा जी, आपकी यह कथा, दिल पर चोट कर हर औरत के दिल से पूछ रही है-तेरा घर कहाँ है?Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-42610315660954666522013-07-26T14:26:11.136+05:302013-07-26T14:26:11.136+05:30ओफ्फो.....दर्दनाक चित्रण......ऐसा आज भी होता है
बे...ओफ्फो.....दर्दनाक चित्रण......ऐसा आज भी होता है<br />बेबाक लेखन के लिए साधुवाद प्रज्ञा जीवीथिकाhttps://www.blogger.com/profile/08258472078499835989noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-8927533900321471822013-07-26T11:49:25.561+05:302013-07-26T11:49:25.561+05:30दमदार कहानी ! प्रज्ञा जी को बधाई !दमदार कहानी ! प्रज्ञा जी को बधाई !अरुण अवधhttps://www.blogger.com/profile/15693359284485982502noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-39292807901519166862013-07-26T11:00:13.139+05:302013-07-26T11:00:13.139+05:30अच्छी कहानी ..!
अच्छी कहानी ..!<br />streekaalhttps://www.blogger.com/profile/10303662277482269023noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-67022934071356559752013-07-26T10:46:04.099+05:302013-07-26T10:46:04.099+05:30इस कहानी को पढने के बाद निशब्द हूँ । लेखिका के कौश...इस कहानी को पढने के बाद निशब्द हूँ । लेखिका के कौशल की तारीफ करनी चाहिए मैं उन्हें साधुवाद देती हूँ Rajluxmi Sharmahttps://www.blogger.com/profile/09146794345342834347noreply@blogger.com