tag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post4451400385204144272..comments2024-03-18T14:45:15.993+05:30Comments on समालोचन : सहजि सहजि गुन रमैं : शैलेन्द्र दुबे arun dev http://www.blogger.com/profile/14830567114242570848noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-66759242059545146922018-01-17T11:44:37.146+05:302018-01-17T11:44:37.146+05:30हे कविगण!
उद्दाम वेग की धारा में
अपने-अपने अहं सिर...हे कविगण!<br />उद्दाम वेग की धारा में<br />अपने-अपने अहं सिरा दो<br />कोई निहत्था शब्द<br />जो<br />ढंक-टंक सकता कविता में<br />अपनी कश्ती उधर घुमा दो<br />दे हाथ स्वयं<br />उन दीनों को<br />तुम ही उनको<br /><br />पार लगा दो.<br />-----------सुंदर सोचHelloo Indiahttps://www.blogger.com/profile/05205611339864580841noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-83035898566024912452018-01-17T09:15:00.326+05:302018-01-17T09:15:00.326+05:30 ये कविताएँ समालोचन पर देख अच्छा लगा। बहुत कम कवित... ये कविताएँ समालोचन पर देख अच्छा लगा। बहुत कम कविताएँ ऐसी रह गई है अब जिन पर देर तक ठहरना जरूरी लगता हो।Anirudh Umatnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-7319774263936224642018-01-16T17:47:14.762+05:302018-01-16T17:47:14.762+05:30 अरुणजी लोग कहते हैं दिन बन गया मै कहूँगा आज की रा... अरुणजी लोग कहते हैं दिन बन गया मै कहूँगा आज की रात बहुत बढ़िया सपने आने वाले हैं, रात्रि का १२.२० हो रहा है और बाहर -3 डिग्री ठण्ड है आज, आपको सप्रेम नमस्कार, आभार और समालोचन उत्तरोत्तर बढ़ता जाये यही कामना हैं, पुनः आपको आभार सर,Shailendra Dubeynoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-56651694105026026892018-01-16T17:46:01.967+05:302018-01-16T17:46:01.967+05:30सहृदय कवि और चित्रकार भाई शैलेन्द्र दुबे की कविताए...सहृदय कवि और चित्रकार भाई शैलेन्द्र दुबे की कविताएँ गहरी संवेदना वाली कविताएँ हैं। वे अपने समय के जागे हुए और चेतनाशील रचनाकार होने के साथ-साथ मनुष्य की अस्मिता के कवि हैं। बड़ी बात यह है कि ऐसा कवि अपने मित्र-कवियों के साथ रिश्तेदारी निभाने वाला होता है। कविवर शैलेन्द्र जी भविष्य के कवि हैं,इसलिये हम अपनी सम्भावनाएँ उनमें देखते रहते हैं कभी-कभी। वे चिरायु हों,निरंतर गतिशील हों। हार्दिक मंगल कामनाएँ।��<br />Murlidhar Chandniwallanoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-43667808199661046032018-01-16T17:44:46.651+05:302018-01-16T17:44:46.651+05:30Bahut badiya kavitayen. Inhen chhaapne ke liye shu...Bahut badiya kavitayen. Inhen chhaapne ke liye shukriya Arun ji.<br />Rustam Singhnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-24800763266927765732018-01-16T17:43:37.644+05:302018-01-16T17:43:37.644+05:30शैलेंद्र दुबे हमारे समय के अनूठे कवि हैं ।।शैलेंद्र दुबे हमारे समय के अनूठे कवि हैं ।।Virendra Dubeynoreply@blogger.com