tag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post4418828005179360111..comments2024-03-18T14:45:15.993+05:30Comments on समालोचन : सैराट - संवाद (११) : मन सैराट न हो सका : स्वरांगी सानेarun dev http://www.blogger.com/profile/14830567114242570848noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-42258875320806586002016-07-13T00:07:55.354+05:302016-07-13T00:07:55.354+05:30@ sachin jee see in the article para 9
मैंने मूवी...@ sachin jee see in the article para 9 <br />मैंने मूवी देख ली….<br />मैं सिहर गई…<br />किसी ब्राह्मण ने निर्देशित की होती हो tab bhi समीक्षा पूर्णतः अलग Nahi होती.....<br />Swaraangi Sane<br />स्वरांगी साने Swaraangi Sanehttps://www.blogger.com/profile/04669994002851190588noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-49484788918455890012016-07-11T10:34:18.845+05:302016-07-11T10:34:18.845+05:30फिल्म ना देखकर भी उसका विश्लेषण किया गया है वाकई म...फिल्म ना देखकर भी उसका विश्लेषण किया गया है वाकई मजेदार है और ऐसा आप ही कर सकती है............. एक दुर्भावना ही प्रदर्शित हो रही है........... शायद किसी ब्राह्मण ने निर्देशित की होती हो समीक्षा पूर्णतः अलग होती...... सचिनhttps://www.blogger.com/profile/18275571992676462272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-20123282892464700672016-07-08T21:10:05.770+05:302016-07-08T21:10:05.770+05:30बहुत धारदार और सही विश्लेषण। आपको बधाई स्वरांगी जी...बहुत धारदार और सही विश्लेषण। आपको बधाई स्वरांगी जी। Navneet Sharmahttps://www.blogger.com/profile/17503086917617110754noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-88155573805682839172016-07-08T17:44:23.153+05:302016-07-08T17:44:23.153+05:30पहला पैराग्राफ पढ़कर तो लगता है जैसे पुणे (जो शायद ...पहला पैराग्राफ पढ़कर तो लगता है जैसे पुणे (जो शायद देश के इक्का-दुक्का संसदीय क्षेत्रों में से है जहां ब्राम्हण चुनावी नतीजों को प्रभावित कर सकते हैं) में बस अब ब्राम्हणों के लिए गले में घड़ा/मटका लटका कर चलने का नियम ही आना बाकी रहा गया है, जैसा पेशवाओं के राज में महारों के लिए था. गुस्ताखी माफ, मगर यह 'Upper-caste Rant' अपने घर-परिवार में भी बहुत सुन चुका हूँ. 'अब तो हम ब्राम्हण ही दलित हो गए हैं', 'हमारे बच्चों को कौन नौकरियां देगा' इत्यादि।<br />बाकी इस लेख में उठाए गए कुछ concerns विशुद्ध बुर्जुआ हैं और कुछ जायज़ जिनका समाधान piracy control और फिल्मों के लिए बेहतर रेटिंग सिस्टम (पहलाज ब्रांड नहीं) से जुड़ा है.भारत भूषण तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/12706567132548135848noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-3649172667537976992016-07-07T20:27:25.850+05:302016-07-07T20:27:25.850+05:30आपका अंतिम प्रश्न मैं आरम्भ से उठा रहा हूँ।अधिकांश...आपका अंतिम प्रश्न मैं आरम्भ से उठा रहा हूँ।अधिकांश धूर्त लफ़्फ़ाज़ उससे सैराट की तरह भाग रहे हैं।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/18139708644770350589noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-46240033846498682962016-07-07T19:45:46.237+05:302016-07-07T19:45:46.237+05:30मन सैराट न हो सका..... इस फ़िल्म पर अलग तरह की टिप्...मन सैराट न हो सका..... इस फ़िल्म पर अलग तरह की टिप्पणी।<br />मुबारक।<br />राजीव रंजन गिरि HINDI AALOCHANAhttps://www.blogger.com/profile/12013433725120732257noreply@blogger.com