tag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post4182407923742724559..comments2024-03-18T14:45:15.993+05:30Comments on समालोचन : रीझि कर एक कहा प्रसंग : नामवर सिंह arun dev http://www.blogger.com/profile/14830567114242570848noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-57004396128003116582020-06-07T07:53:05.680+05:302020-06-07T07:53:05.680+05:30बहुत बढ़िया लेखबहुत बढ़िया लेखसत्येंद्रhttps://www.blogger.com/profile/00348923892941637858noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-26954866253534148042020-06-07T07:49:51.837+05:302020-06-07T07:49:51.837+05:30बहुत बढ़िया लेखबहुत बढ़िया लेखसत्येंद्रhttps://www.blogger.com/profile/00348923892941637858noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-31969177835490356422018-02-02T17:46:21.073+05:302018-02-02T17:46:21.073+05:30अंग्रेजी उपन्यास के बहाने हिंदी सहित भारतीय उपन्या...अंग्रेजी उपन्यास के बहाने हिंदी सहित भारतीय उपन्यास की ऐसी पड़ताल नामवर जी की अध्ययन -दृष्टि से ही संभव है |Alok Choubeyhttps://www.blogger.com/profile/17882836775954279082noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-36193389119151809552016-07-28T09:43:26.198+05:302016-07-28T09:43:26.198+05:30भारतीय परम्परा में आख्यान और उपन्यास मौजूद था उसके...भारतीय परम्परा में आख्यान और उपन्यास मौजूद था उसके बावजूद पश्चिम की ओर देखते रहें और अपने यहाँ की सोता का साथ छोड़ बैठे। यह किस तरह विघटित हुआ और क्यों हुआ इसकी गहरी पड़ताल नामवर जी ने की है। भारतीया उपन्यास के विकास के प्रति मेरी समझा इस लेख से वाकई समृद्ध हुई है।सुकेश 'संग्रामी'https://www.blogger.com/profile/06845406447235314858noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-85606176057555881662015-11-27T11:45:13.004+05:302015-11-27T11:45:13.004+05:30भारतीय उपन्यास की अवधारणा और भारतीय कथा-परंपरा के...भारतीय उपन्यास की अवधारणा और भारतीय कथा-परंपरा के ऐतिहासिक विकास को समझने की दृष्टि से नामवर जी का यह विवेचन निश्चय ही हमारे अध्ययन को सही दिशा देने का काम करता है। यह लेख नामवर जी के साहित्यिक अवदान को बेहतर ढंग से रेखांकित भी करता है। भारतीय कथा साहित्य में रुचि रखने वाले हर अध्येता को इसे जरूर पढ़ना चाहिये। नंद भारद्वाजhttps://www.blogger.com/profile/10783315116275455775noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-89884158561011657962015-11-27T11:00:04.851+05:302015-11-27T11:00:04.851+05:30 अंग्रेज़ी ढंग के उपन्यास और राष्ट्र वादी रुपक को अ... अंग्रेज़ी ढंग के उपन्यास और राष्ट्र वादी रुपक को अच्छे से खोला है नामवर जी ने...Shivani Guptanoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-20320411019241543322015-11-26T22:33:48.949+05:302015-11-26T22:33:48.949+05:30पठनीय और संग्रहणीय लेख है , जिस में एक व्यापक तथा ...पठनीय और संग्रहणीय लेख है , जिस में एक व्यापक तथा मौलिक दृष्टि है । यह भारतीय उपन्यास की परिकल्पना का एक जीवन्त प्रमाण है । पर हिन्दी उपन्यास का अधिकांश पश्चिमी गल्प से आक्रान्त है । अंग्रेज़ी में वह fiction है तो हम उसे गल्प कहने और मानने लगे । डा नामवर जी का यह लेख उपन्यासकारों को तो अवश्य पढ़ना चाहिये । Sp Sudheshhttps://www.blogger.com/profile/02398620807527835617noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-46048320259088128402015-06-22T20:58:14.576+05:302015-06-22T20:58:14.576+05:30 व्यापक और गहरी दृष्टि । साहित्य में स्व की पड़ताल ... व्यापक और गहरी दृष्टि । साहित्य में स्व की पड़ताल । आद्योपांत पढ़ गया ।<br />P Raj Singhnoreply@blogger.com