tag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post4044785150265280747..comments2024-03-18T14:45:15.993+05:30Comments on समालोचन : परख : हिन्दी सराय: अस्त्राखान वाया येरेवानarun dev http://www.blogger.com/profile/14830567114242570848noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-63049697436419842892013-01-15T16:12:08.058+05:302013-01-15T16:12:08.058+05:30मेरे लिए तो, यह पुस्तक बेहतरीन किस्सागोई के साथ अं...मेरे लिए तो, यह पुस्तक बेहतरीन किस्सागोई के साथ अंतस की यात्रा की किताब भी है और इतिहास के प्रति एक बोध को जगाती कोमल थपकार है, ' ऐसे भी लिखते हैं। 'यात्रा' को। कभी कभार में अशोक वाजपेयी जी की टिप्पणी भी यही कहती है, सर जी।Manisha Kulshreshthanoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-39226537963545502882013-01-15T14:58:24.907+05:302013-01-15T14:58:24.907+05:30पुस्तक के अनावरण समारोह का साक्षी रहा हूँ ... प्रस...पुस्तक के अनावरण समारोह का साक्षी रहा हूँ ... प्रस्तुत टिप्पड़ी से वो पल फिर ताजे हो गए, पाण्डेय जी ने जो अंत में तस्वीरों का भी जिक्र किया है ...मैं चाहूँगा कि पुस्तक में प्रकाशित तस्वीरों को भी उतना ही महत्त्व दिया जाए जितना उसके कत्थ्य को दिया जा रहा है क्योंकि मेरी राय में वो अद्वितीय हैं | बाकी श्री पुरुषोत्तम अग्रवाल जी के लेखन पर टिप्पणी करने योग्य खुद को नहीं समझता,अभी उतना पढ़ भी नहीं पाया हूँ जितना पढ़ना चाहिए था, अक्सर उनको सुनने का सौभाग्य मिलता रहता है और जब भी ऐसा होता है एक सम्मोहन से गुजरता रहता हूँ| श्री आनंद जी और समालोचन दोनों के प्रति अलग से कृतज्ञता !आनंदhttps://www.blogger.com/profile/06563691497895539693noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-41992608595579407812013-01-15T14:36:13.029+05:302013-01-15T14:36:13.029+05:30आनंद पाण्डेय ने दोनों यात्रा-वृतान्तों में रचनाक...आनंद पाण्डेय ने दोनों यात्रा-वृतान्तों में रचनाकार की रागात्मकता को लक्षित करते हुए अच्छी समीक्षा लिखी है। बधाई।Nand Bhardwajnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-91593227327112320362013-01-15T14:31:47.913+05:302013-01-15T14:31:47.913+05:30बुक फेयर जाकर खरीदने वाली लिस्ट में मैंने इसे रख ल...बुक फेयर जाकर खरीदने वाली लिस्ट में मैंने इसे रख लिया है ...Ramji Tiwarinoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-81986296331442523712013-01-15T11:21:58.508+05:302013-01-15T11:21:58.508+05:30जुगनू पलों की तरह समीक्षा. जुगनू पलों की तरह समीक्षा. Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/15228813489091517689noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-50785633917412292312013-01-15T09:37:43.340+05:302013-01-15T09:37:43.340+05:30यह टिप्पणी पुस्तक की विशिष्टताओं के सारे गवाक्ष...यह टिप्पणी पुस्तक की विशिष्टताओं के सारे गवाक्ष खोलती है। आनंद पांडेय, पुरुषोत्तम जी एवं समालोचन को साधुवाद।ओम निश्चलhttps://www.blogger.com/profile/12809246384286227108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-73632228944166247732013-01-15T08:54:47.487+05:302013-01-15T08:54:47.487+05:30हिंदी सराय के लोकार्पण पर मैंने कुछ रोचक अंशों का ...हिंदी सराय के लोकार्पण पर मैंने कुछ रोचक अंशों का पाठ पुरुषोत्तम सर से सुना था, यकीनन भाषा शैली जबरदस्त है, यात्रा-वृतांत होते हुए भी सरसता बांधे रखती है, गणेश जी की समीक्षात्मक टिप्पणी भी उतनी ही रोचक है .....बधाईअंजू शर्माnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-6700462552438252482013-01-15T08:14:54.997+05:302013-01-15T08:14:54.997+05:30इस टिप्पणी को कुछ और बड़ा होना चाहिए था. मन को बांध...इस टिप्पणी को कुछ और बड़ा होना चाहिए था. मन को बांधने लगी कि खत्म हो गई. वैसे पाठक को इस पुस्तक की ओर आकृष्ट करने के काम में तो यह इतने भर में भी सफल हो गई. आनंद ने वे सूत्र बखूबी पकड़ लिए हैं जो इस पुस्तक के लिखे जाने की प्रक्रिया के बीज बिंदु हैं. उन्हें बधाई, पुरुषोत्तम अग्रवाल के लेखकीय व्यक्तित्व के एक नए पक्ष को इस विरल मनोयोग के साथ उद्घाटित करने के लिए.मोहन श्रोत्रियhttps://www.blogger.com/profile/00203345198198263567noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-72946128450166750252013-01-15T08:12:14.013+05:302013-01-15T08:12:14.013+05:30अभी कुछ दिनों पहले संभवतः देशबंधु के वरिष्ठ संपादक...अभी कुछ दिनों पहले संभवतः देशबंधु के वरिष्ठ संपादक ललित सुरजन जी ने इस पर संपादकीय पन्ने में लिखा था, तब ज्ञात हुआ था इस वृत्तांत के संबंध में. यहाँ भाई आनंद पाण्डेय नें इस वृत्तांत को कुछ इस तरह से स्पष्ट कर दिया है कि इस पुस्तक को पढ़ने की इच्छा बलवती हो गई. 36solutionshttps://www.blogger.com/profile/03839571548915324084noreply@blogger.com