tag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post3544570909925043485..comments2024-03-18T14:45:15.993+05:30Comments on समालोचन : मेघ- दूत : बाल्थाज़ार की आश्चर्यजनक दोपहर : गैब्रिएल गार्सिया मार्खेज़arun dev http://www.blogger.com/profile/14830567114242570848noreply@blogger.comBlogger14125tag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-82119923196768354052019-09-24T14:57:03.408+05:302019-09-24T14:57:03.408+05:30यह बढ़िया कहानी पहले भी पढ़ी थी, अँग्रेज़ी में। अनुवा...यह बढ़िया कहानी पहले भी पढ़ी थी, अँग्रेज़ी में। अनुवाद अच्छा है। बालथाज़ार के बारे में टिप्पणी हिन्दी में होनी चाहिए थी। अनुवादक और सम्पादक दोनों को इस ओर ध्यान देना चाहिए था। विश्व साहित्य में से इस स्तर की और भी कहानियाँ समालोचन में प्रकाशित होती रहें तो हिन्दी के पाठकों के लिए अच्छा रहेगा।रुस्तम सिंहnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-13530799049062993822019-09-24T13:45:17.421+05:302019-09-24T13:45:17.421+05:30अन्दर तक छूने वाली एक सम्पूर्ण और क्लासिक कहानी.अन्दर तक छूने वाली एक सम्पूर्ण और क्लासिक कहानी.batrohihttps://www.blogger.com/profile/07370930712240772275noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-58564801855811103012018-09-28T12:00:55.419+05:302018-09-28T12:00:55.419+05:30आप सभी का आभारी हूँ । आप सभी का आभारी हूँ । sushant supriyehttps://www.blogger.com/profile/10184599248558720012noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-196601981279323282018-09-25T11:12:45.595+05:302018-09-25T11:12:45.595+05:30मार्खेज़ // संशोधन ।मार्खेज़ // संशोधन ।प्रताप सिंहhttps://www.blogger.com/profile/15427251402142059910noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-22300464474755886732018-09-25T11:09:52.492+05:302018-09-25T11:09:52.492+05:30लगा कोई बेहतरीन, कलात्मक फिल्म देखकर बाहर निकल आय...लगा कोई बेहतरीन, कलात्मक फिल्म देखकर बाहर निकल आया और फिर मार्केज़ की यथार्थ को कला मेंं बदलने की टेकनीक समझने के नाते इसे फिर से पढ़ गया ।अनुवादक और समालोचन दोनों का आभार। सुन्दर प्रस्तुति के लिए<br />साधुवाद ।।<br />प्रताप सिंह <br />प्रताप सिंहhttps://www.blogger.com/profile/15427251402142059910noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-24216006030501425062018-09-25T10:19:59.193+05:302018-09-25T10:19:59.193+05:30कहानी मेरी पढ़ी हुई है।कहानी तो निश्चित रूप से अच्छ...कहानी मेरी पढ़ी हुई है।कहानी तो निश्चित रूप से अच्छी है। सुशांत सुप्रिय का अनुवाद का श्रम व्यर्थ नहीं गया।Bhalchandra joshihttps://www.blogger.com/profile/00351120550355399332noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-30589501718720094882018-09-24T18:53:51.689+05:302018-09-24T18:53:51.689+05:30 मैंने तीन बार ख़ूब ध्यान से पढ़ा। कुछ मामूली भूलो... मैंने तीन बार ख़ूब ध्यान से पढ़ा। कुछ मामूली भूलों को छोड़ दें तो अनुवाद कुशल है। कहानी के मुख्य चरित्र के नाम पर अलग से अंग्रेज़ी में टिप्पणी है। अनुवादक का उद्देश्य कहानी की रूपात्मकता की ओर ध्यान आकर्षित करना है। टिप्पणी हिंदी में तथा थोड़ी लंबी होती तो अच्छा होता। अन्यथा बिना टिप्पणी के केवल अनुवाद ही देते।<br />Tewari Shiv Kishorenoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-91304393630234162322018-09-24T18:08:50.473+05:302018-09-24T18:08:50.473+05:30 सुप्रिय दक्ष अनुवादक है । कहानी पढ़ते हुए नही लगता... सुप्रिय दक्ष अनुवादक है । कहानी पढ़ते हुए नही लगता कि हम अनुवाद पढ़ रहे है । कहानी के बारे में क्या कहा जाय वह तो विलक्षण है ।<br />Swapnil Srivastavanoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-22985117951669898032018-09-24T17:49:00.549+05:302018-09-24T17:49:00.549+05:30वाह! इतनी सुंदर कहानी, कई जगह कविता।
इसे तो दुबारा...वाह! इतनी सुंदर कहानी, कई जगह कविता।<br />इसे तो दुबारा पढ़ना होगा।आपको और अनुवाद के लिये सुशांत सुप्रिय को बधाई।<br />Naresh Saxenanoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-12853113537231671502018-09-24T17:47:59.024+05:302018-09-24T17:47:59.024+05:30अरुण जी, किन शब्दों में लिखूं कि आप अद्भुत काम कर ...अरुण जी, किन शब्दों में लिखूं कि आप अद्भुत काम कर रहे हैं। आपके समर्पण को सलाम।<br />सुशांत सुप्रिय भी निरंतरता में बेहतरीन अनुवाद कर रहे हैं। उन्हें बधाई।<br /><br /><br />Hari Mridulnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-21862216469554376102018-09-24T14:58:31.276+05:302018-09-24T14:58:31.276+05:30कितनी सुंदर प्रस्तुति है. वाह. समालोचन पर पढ़ना भी ...कितनी सुंदर प्रस्तुति है. वाह. समालोचन पर पढ़ना भी एक अलग अनुभव है.मार्केस के कितने सुंदर चित्र आपने चुने हैं. आप के होने से साहित्य और आत्मीय हुआ है. मीनाक्षी शर्माnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-68300072644044159572018-09-24T13:51:01.596+05:302018-09-24T13:51:01.596+05:30बहुत अच्छी कहानी. बाल्थाज़र के चरित्र से एक कलाकार ...बहुत अच्छी कहानी. बाल्थाज़र के चरित्र से एक कलाकार की आत्मा का परिचय मिलता है. इसे अनुवाद करने के लिए सुशांत जी का शुक्रिया. <br /><br />मोनिका कुमार Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-42131392057438410122018-09-24T10:19:22.118+05:302018-09-24T10:19:22.118+05:30आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (25...आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (25-09-2018) को <a href="javascript:void(0);" rel="nofollow"> "जीवित माता-पिता को, मत देना सन्ताप" (चर्चा अंक-3105) </a> पर भी होगी।<br />--<br />चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।<br />जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।<br />--<br />हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।<br />सादर...!<br />डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'<br />डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-31652863985291823052018-09-24T09:10:29.770+05:302018-09-24T09:10:29.770+05:30सुंदर। कहानी को खोलती टिप्पणी भी होती तो और मजा आ ...सुंदर। कहानी को खोलती टिप्पणी भी होती तो और मजा आ जाता। कहना चाहूंगा कि अनुवाद उत्कृष्ट है। Divik Rameshhttps://www.blogger.com/profile/16991072115170775605noreply@blogger.com