tag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post3540829863051901639..comments2024-03-18T14:45:15.993+05:30Comments on समालोचन : सबद भेद : त्रिलोचन : संसार को ‘जनपद’ बनाती कविता : सुबोध शुक्ल arun dev http://www.blogger.com/profile/14830567114242570848noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-23336159823931556402017-08-21T21:31:10.373+05:302017-08-21T21:31:10.373+05:30Umda lekh, umda kavitayon ka chayan Umda lekh, umda kavitayon ka chayan Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/06231120915265544119noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-37590458317406287882012-04-19T17:03:14.494+05:302012-04-19T17:03:14.494+05:30आलोचना में भाषा का अद्भुत सौष्ठव देखते ही बनता है ...आलोचना में भाषा का अद्भुत सौष्ठव देखते ही बनता है कविताओ को दुबारा इस आलेख के मद्देनजर देखने की लालसा उत्पन्न कर देता है. आलोचना के किसी आलेख में ऐसे शब्दों के बाधाहीन प्रवाह ,जो कि स्वयं में ही कविता मालुम पड़ने लग जाए और एक काव्य की ही भांति सरसता से विषय को आपके भीतर बड़ी ही सहजता से प्रवाहित कर दे यह आलोचना की नीरसता के लिए बहुत ही अच्छा संकेत है ... बहुत-बहुत बधाई आपको इस आलेख के लिए ....हेमा दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/15580735111999597020noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-48723749832494959682012-04-07T17:14:17.097+05:302012-04-07T17:14:17.097+05:30सच में त्रिलोचन को देखने का एक नया और जरूरी दृष्टि...सच में त्रिलोचन को देखने का एक नया और जरूरी दृष्टिकोण मिला लेख से. बधाई की तो कोई ऐसी बात नहीं लगती क्योंकि अच्छे काम की तो आपसे सदैव उम्मीद रही ही है, हाँ भविष्य के लिए शुभकामना जरूर. चम्पा को इस देश की शिक्षा और अर्थ दोनों ही व्यवस्थाओं के विरूद्ध प्रतिपक्ष के रूप में देखा था, लेख से कुछ नए पहलू भी समझ में आये. धन्यवाद सर .गीतेशnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-11028229025170754302012-04-03T11:15:57.370+05:302012-04-03T11:15:57.370+05:30is kavyatmk lekh ke liye badhai.. subodh ke lekh p...is kavyatmk lekh ke liye badhai.. subodh ke lekh padhnaa kisi kvita ko padhne jaisa hee hai.. bahut prkhrta se vishleshan karke use vynjna me kahte hain. bahut prbhaavi shilp..लीना मल्होत्राhttps://www.blogger.com/profile/07272007913721801817noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-59997586888019882742012-03-30T20:13:00.552+05:302012-03-30T20:13:00.552+05:30सुबोध शुक्ल ने कवि त्रिलोचन के काव्य-संवेदन को उ...सुबोध शुक्ल ने कवि त्रिलोचन के काव्य-संवेदन को उसकी अन्त:प्रकृति में पैठकर समझने का सार्थक प्रयत्न किया है। इस अच्छे आलेख के लिए उन्हें हार्दिक बधाई।Nand Bhardwajnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-63091132853513098982012-03-30T19:12:20.095+05:302012-03-30T19:12:20.095+05:30त्रिलोचन की कविता के वैशिष्ट्य और परिसर को रेखांकि...त्रिलोचन की कविता के वैशिष्ट्य और परिसर को रेखांकित करता यह लेख काफी अच्छा है। सुबोध जब भी लिखते हैं, ध्यान खींचते हैं। सुबोध के लिए बधाई और शुभकामनाएँ।Ganesh Pandey https://www.blogger.com/profile/05090936293629861528noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-3551132845149196102012-03-30T16:08:49.551+05:302012-03-30T16:08:49.551+05:30्बेहतरीन विश्लेषण्।्बेहतरीन विश्लेषण्।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-42665147534648294792012-03-30T09:26:38.419+05:302012-03-30T09:26:38.419+05:30सधा हुआ दृष्टि संपन्न लेख है. सुबोध ने कवि की सामर...सधा हुआ दृष्टि संपन्न लेख है. सुबोध ने कवि की सामर्थ्य(अधिक) और सीमाओं(काफ़ी कम) का सहानुभूतिपूर्वक विचार किया है. सुबोध में आलोचकीय-दृष्टि के विकास के मुखर संकेत मिल रहे हैं. उन्हें बधाई.मोहन श्रोत्रियhttps://www.blogger.com/profile/00203345198198263567noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-14997166053661817432012-03-30T08:53:44.801+05:302012-03-30T08:53:44.801+05:30त्रिलोचन के कृतित्व का एक नए मौलिक अंदाज़ में विश्ल...त्रिलोचन के कृतित्व का एक नए मौलिक अंदाज़ में विश्लेषण . बहुत अच्छा लगा . सुबोध जी को बधाई और आपको इसे हम तक पहुँचाने की डोरी के लिए साधुवादOm Banmalinoreply@blogger.com