tag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post3539116421014954055..comments2024-03-18T14:45:15.993+05:30Comments on समालोचन : कथा-गाथा : अगली तारीख : राकेश बिहारीarun dev http://www.blogger.com/profile/14830567114242570848noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-31420126038505830792016-01-17T22:57:11.393+05:302016-01-17T22:57:11.393+05:30बढ़िया कहानी. विषय की उम्दा पस्तुति. बधाई !बढ़िया कहानी. विषय की उम्दा पस्तुति. बधाई !शेखर मल्लिकhttps://www.blogger.com/profile/07498224543457423461noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-77284703479115199812015-12-31T22:14:53.835+05:302015-12-31T22:14:53.835+05:30बेहतरीन रचना और उम्दा प्रस्तुति....आपको सपरिवार नव...बेहतरीन रचना और उम्दा प्रस्तुति....आपको सपरिवार नववर्ष की शुभकामनाएं...HAPPY NEW YEAR 2016...<br />PLAEASE VISIT MY BLOG AND SUBSCRIBE MY YOUTUBE CHANNEL FOR MY NEW SONGS.प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' https://www.blogger.com/profile/03784076664306549913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-38067295492177794462015-12-31T19:57:17.297+05:302015-12-31T19:57:17.297+05:30कहानी बहुत अच्छी लगी,...आप रहे न रहे पर आप न्यायाल...कहानी बहुत अच्छी लगी,...आप रहे न रहे पर आप न्यायालय के चक्कर में भूले से भी फंस जाते है तो ज़िन्दगी निकल जाती है और तारीख पर तारीख मिलती रहती है..और न्याय मिलता भी है ???? पर तारीख जरुर मिलता है..राकेश जी बहुत बधाई, पर एक चीज़ जो मुझे लगा कहानी में होनी चाहिए थी वह यह की पात्र आपके जिस रूप में आ रहे है उसे शिष्टता वश लेखक को दबाना नहीं चाहिए बल्कि उसका भी प्रयोग होना चाहिए बस इतना ही कहना चाहूंगी.रज़ियाhttps://www.blogger.com/profile/11321638212709762101noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-51974829672769344932015-12-30T19:17:06.339+05:302015-12-30T19:17:06.339+05:30Justice delayed is justice denied. अच्छी कहानी। व...Justice delayed is justice denied. अच्छी कहानी। विषय और शिल्प दोनों में नयापन पाठक को रुचता है। हो सकता है, ढर्रे पर चलने वालों को कथा रस की कमी लगे।अपर्णाhttps://www.blogger.com/profile/13934128996394669998noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-81535186740505001222015-12-30T19:05:41.536+05:302015-12-30T19:05:41.536+05:30आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 31-12-2015 को चर्चा मंच ...आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 31-12-2015 को चर्चा मंच पर <a href="http://charchamanch.blogspot.com/2015/12/2015-2207.html" rel="nofollow"> अलविदा - 2015 { चर्चा - 2207 } </a> में दिया जाएगा । नव वर्ष की अग्रिम शुभकामनाओं के साथ <br />धन्यवाद दिलबागसिंह विर्कhttps://www.blogger.com/profile/11756513024249884803noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-42514064161932240942015-12-30T08:09:09.390+05:302015-12-30T08:09:09.390+05:30 एक बहुत अच्छी और नए फ्लेवर की कहानी। जितना दिल, उ... एक बहुत अच्छी और नए फ्लेवर की कहानी। जितना दिल, उतना दिमाग़- सही अनुपात में! बधाई!Joyshree Roynoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-38575643545504797492015-12-30T08:02:33.299+05:302015-12-30T08:02:33.299+05:30कहानी पढ़ गया. बढियां ही कहूँगा. कोर्ट कचहरी के ल...कहानी पढ़ गया. बढियां ही कहूँगा. कोर्ट कचहरी के लफड़े बुरे होते हैं. जो इसमें फंसा है वो ही इसे समझ सकता है. कितना तनाव और समय और पैसा लगता है. पीढियां गुजर जाती हैं पर फैसला नहीं आता. इस कहानी में राकेश जी ने उस तनाव को ठीक से संभाला है और वह पाठकों तक सम्प्रेषित भी हो जाता है . यही मजबूती है इस कहानी की. राकेश जी का शुक्रिया और समालोचन जिंदाबाद. आनन्द शर्माnoreply@blogger.com