tag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post3149771389826443115..comments2024-03-18T14:45:15.993+05:30Comments on समालोचन : कथा - गाथा : सर्वेश कुमार सिंहarun dev http://www.blogger.com/profile/14830567114242570848noreply@blogger.comBlogger15125tag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-36141060643648215972013-10-26T11:27:11.104+05:302013-10-26T11:27:11.104+05:30सर्वेश जी, घूँघट में कुछ भी नहीं है. मायावाद मेरा ...सर्वेश जी, घूँघट में कुछ भी नहीं है. मायावाद मेरा अभीष्ट नहीं, कुछ-कुछ शुद्धाद्वैत ठीक लगता है मुझे. इस प्रश्न का उत्तर मैं अरुणदेव जी से प्राप्त कर चुका हूँ, फिर भी अगर आप भी दे सकें तो साधुवाद!. मेरा नाम रमाशंकर है. जौनपुर से हूँ. आपका प्रशंसक हूँ. बेनामी होना महज संयोग है. जिसे आप आवरण समझ बैठे, वह मात्र मेरी जानकारी का अभाव है. पुराना आदमी हूँ. नई चीजों में दक्ष होने में समय लगेगा. जैसा की इस इ-पत्रिका और अन्य साहित्यिक पत्रिकाओं के कमिटमेंट का सवाल है, वे हमेशा दंभ भरते हैं और कहते, लिखते रहते हैं की इस पत्रिका में अप्रकाशित रचनाएँ ही छापी जाती हैं. इसे देखते हुए मेरा प्रश्न अस्वाभाविक नहीं, लेकिन आचार्य सत्यव्रत पाण्डेय के षड़यंत्र की बू आपको आ ही जाती है. यह एक उत्तराधुनिक साहित्यिक की सुपरिचित निशानी है. खैर मैं तो विज्ञान का आदमी हूँ साहित्यकार नहीं. आपसे पूछ कर मैंने मात्र एक पाठक का दयित्व पूरा किया है. एक और बात मैंने जो महसूस किया वह यही है कि ये पत्रिकाएं अपने गुट और स्थापित रचनाकारों की रचनाएँ ही छापते हैं. आपको लिखने के बाद मैंने महसूस किया कि यह प्रश्न आप से नहीं, संपादकों से पूछा जाना चाहिए. पूछा भी और उत्तर भी पा लिया. फिर भी अगर आप भी कुछ बताएं तो प्रसन्नता होगी. आपसे बात करने में मजा आएगा. प्रश्नों के उत्तर और आपकी आने वाली और कहानियों का इन्तेजार करूंगा.<br />धन्यवाद<br />रमाशंकर सिंह. Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-35977427874346019692013-10-03T08:42:50.759+05:302013-10-03T08:42:50.759+05:30भाई बेनामी ! उत्सुकता तो आपकी ठीक-सी है पर मैं जवा...भाई बेनामी ! उत्सुकता तो आपकी ठीक-सी है पर मैं जवाब क्या आसमान को दूं...घूघंट के पट खोल....रे भाई...राम मिलें अनमोल...रे भाई sarvesh singhhttps://www.blogger.com/profile/02203811720802312519noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-51657710423016233542013-09-29T11:52:12.837+05:302013-09-29T11:52:12.837+05:30सर्वेश जी बधाई ! आपकी कहानी "अपराधी" अच्...सर्वेश जी बधाई ! आपकी कहानी "अपराधी" अच्छी लगी. आपकी यही कहानी पाखी पत्रिका में ज्ञानक्षेत्रे : कुरुक्षेत्रे शीर्षक से छपी है. इसी प्रकार आपका लेख रामचरित मानस पाठ :अंतरपाठ जो समालोचन इ-मैगज़ीन में छपा है ठीक यही लेख "आलोचना" के सैंतालीसवें अंक में भी छपा है जिसका शीर्षक थोडा भिन्न फिर से पाठ "रामचरित मानस:एहि के हृदय बसती वैदेही" है. मेरी उत्सुकता यह है की क्या ऐसा हो सकता है Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-60134440701703171812012-11-15T21:24:42.372+05:302012-11-15T21:24:42.372+05:30aaj kahani padh kar anek vismrit atmakathaon ne sa...aaj kahani padh kar anek vismrit atmakathaon ne sar utha kar poochha, padha ye? sarvesh ko badhai! jatan se oodhi chadaron ko hatana bhi jaroori hai. keep it up! <br />sabya sachinAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-52648899563566494772012-08-26T21:55:30.740+05:302012-08-26T21:55:30.740+05:30सिन्ह सर्वेश की यह कहानी अकादमिक दुनिया के भ्रष्टा...सिन्ह सर्वेश की यह कहानी अकादमिक दुनिया के भ्रष्टाचार क्या कहें, आचार-विचार का कथापरक आख्यान है. मजा यह है कि बिना चरित्र हनन का जोखिम उठाये यह कहानी उस हर बेरोजगार की कहानी बन जाती है जो कविता , कहानी उपन्यास पढ़ने और पढ़ाने से ही जीवन चलाने की सोच लेता है. कहानी के मुख्य पात्र का यह कथन कि-'कहना न होगा कि इस लड़ाई में कहानिया खुलकर आचर्य के साथ रही, उपन्यास तटस्थ रहे, आत्मकथायें अनिर्णय का शिकार रही,आलोचनाओं का सैद्धांतिक समर्थन आचार्य को मिला,पर कविताओं ने मेरा साथ दिया...' इस हकीकत को बयान करती है. इस कहानी का एक तथ्य है जो इसके गल्प होने से पर्दा उठाता है. इंटरवयू का वह दृश्य जब भाषा तो अज्ञेय की कथा की है, पर सत्यानाश निर्मल की कथा भाषा का हो जाता है. नीचे परिचय मे बताया गया है कि लेखक ने निर्मल की कथा भाषा पर शोध किया है, इससे कुछ तो पता चलता है. लेकिन कथा तत्त्व भरपूर है जैसे कि कवितायें रिवाल्वर का काम करती है. कुछ रिवाल्वर की जरूरत तो हम सबको है........ प्रेमशंकर / Premshankerhttps://www.blogger.com/profile/03604823386919568553noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-89843254390106038352012-08-22T22:39:24.644+05:302012-08-22T22:39:24.644+05:30कहानी अच्छी लगी | विषय जितना झकझोरने वाला है प्रस्...कहानी अच्छी लगी | विषय जितना झकझोरने वाला है प्रस्तुति उतनी ही रोचक | इसकी जादुई दुनिया पाठक को ज़रूर कहीं-कहीं उलझा देती है | यह उलझन कहीं तुम्हारी भी तो नहीं है सर्वेश ? बहुत साहस के साथ तुमने अकादमिक दुनिया का सच उजागर किया है | तुम्हारे लेखन में उदय प्रकाश की झलक मिल रही है | यह स्वाभाविक भी है ,दोनों जे.एन.यू. वाले जो ठहरे | बहरहाल मेरी बधाई स्वीकार करो | जैनेन्द्रnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-79222215229940235562012-08-21T00:34:42.278+05:302012-08-21T00:34:42.278+05:30बहुत अच्छी, प्रवाहमय और रोचक कहानी है यह. बधाई.
अप...बहुत अच्छी, प्रवाहमय और रोचक कहानी है यह. बधाई.<br />अपने विद्यार्थी काल के दौरान एक बार कॉलेज पत्रिका की प्रूफ़ रीडिंग के समय वहीँ उपस्थित हिंदी के एक विद्वान किन्हीं श्री वैश्य जी को मैं गलत उदाहरण दे बैठा कि आपकी बहन को यदि कोई वैश्या कहे तो आपत्तिजनक नहीं होगा. आगे की बात सुनने से पहले ही वहां भी महासंग्राम होगया था. मैं बता भी नहीं पाया कि वेश्या का अर्थ आपत्तिजनक होसकता था, वैश्या का नहीं. खैर.<br />कमलानाथ<br />Kamlanathhttps://www.blogger.com/profile/15045687333673209144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-77665765291558184312012-08-20T17:30:25.783+05:302012-08-20T17:30:25.783+05:30सर्वेश को शायद याद होगा कि आज से लगभग ७ साल पहले फ...सर्वेश को शायद याद होगा कि आज से लगभग ७ साल पहले फैजाबाद के गुप्तार घाट में नदी किनारे अपने साक्षात्कार का ये किस्सा मेरे साथ (और धूम्र नलिका के साथ) शेयर किया था. इसे कहानी में तब्दील होता देखना सुखद है ... पर दूसरा हिस्सा कुछ ज्यादा प्रतीकात्मक हो गया लगता है.. पर ढेरों बधाई...विशाल श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/04631992081517062854noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-75674459616322484852012-08-20T12:50:57.053+05:302012-08-20T12:50:57.053+05:30bahtrin vishya uthaya hai badhai ho aapko...bahtrin vishya uthaya hai badhai ho aapko...Hiralal Rajasthanihttps://www.blogger.com/profile/18072363235397109177noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-14049948300541380472012-08-20T11:02:23.837+05:302012-08-20T11:02:23.837+05:30अजीज दोस्त सर्वेश को बेहतरीन कहानी के लिए मुबारकबा...अजीज दोस्त सर्वेश को बेहतरीन कहानी के लिए मुबारकबाद , और अरुण सर को भी! हिंदी साहित्य के कुछ स्वनामधन्य आचार्यो की काली करतूत की कड़वी सच्चाई को उजागर कर रही है यह कहानी. हम सब डीयू , जे.एन.यू. एवं देश के अन्य नामचीन विश्वविद्यालयों में इससे दो चार होते रहे है. घृणा होती है उनके ऐसे कुकृत्यों को देखकर. अरुण जी आपको व्याख्याता बनवाने वाले इन साक्षात्कारों की एक सीरीज चलानी चाहिए. हम सब अपने अनुभवों को साझा करने के लिए तैयार है. तभी हिंदी विभागों में हो रहे काले कारनामो पे कुछ अंकुश लगेगा. डॉ राजेश पासवानnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-61848265199423514032012-08-20T10:38:04.393+05:302012-08-20T10:38:04.393+05:30अकादमिक छल बल को उजागर करती सधी हुई कहानी.अकादमिक छल बल को उजागर करती सधी हुई कहानी.sarita sharmahttps://www.blogger.com/profile/03668592277450161035noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-23288451676588627692012-08-20T09:38:57.377+05:302012-08-20T09:38:57.377+05:30अकादमिक भ्रष्टाचार पर बहुत कम कहानियां मिलती है. क...अकादमिक भ्रष्टाचार पर बहुत कम कहानियां मिलती है. कारण है कि विद्वान लोग अंत-अंत तक गुरु-द्रोह का साहस नहीं जुटा पाते. कुछ जुटाते भी हैं तो नौकरी मिलने के बाद.<br />बहरहाल ऐसी कहानियाँ आज बहुत ज़रूरी हो गयी हैं इसलिए इस कहानी का भी स्वागत होना चाहिए. इस विषय पर जो कहानी सबसे पहले याद आती है वह है देवेन्द्र की ''नालंदा पर गिद्ध''. उसके बाद मैं तीन साल पहले छपी अपनी ही कहानी ''बहेलिये'' को याद कर पाता हूँ. उसके बाद लगभग साल भर पहले आशुतोष कुमार की एक कहानी तद्भव में छपी थी जिसका शीर्षक अभी याद नहीं आ रहा. इन साडी कहानियों का एक साथ संकलन और मूल्यांकन होना चाहिए.Bipin Kumar Sharmahttps://www.blogger.com/profile/10102850890572921646noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-21933404233423416852012-08-20T08:42:53.296+05:302012-08-20T08:42:53.296+05:30बहुत अच्छी कहानी ...धन्यवाद समालोचन बहुत अच्छी कहानी ...धन्यवाद समालोचन वंदना शुक्लाhttps://www.blogger.com/profile/16964614850887573213noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-55618270170336770042012-08-20T07:26:38.871+05:302012-08-20T07:26:38.871+05:30लोमहर्षक आख्यान.. जीवंत रचना। बधाई सर्वेश जी और आ...लोमहर्षक आख्यान.. जीवंत रचना। बधाई सर्वेश जी और आभार 'समालोचन'..Shyam Bihari Shyamalhttps://www.blogger.com/profile/02856728907082939600noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-70783608580360820702012-08-20T07:25:00.961+05:302012-08-20T07:25:00.961+05:30sarvesh .... Keep it up!sarvesh .... Keep it up!HemantSheshhttps://www.blogger.com/profile/14694725282954331603noreply@blogger.com