tag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post311864185035573996..comments2024-03-18T14:45:15.993+05:30Comments on समालोचन : मेघ - दूत : बड़ी अम्मा का फ्यूनरल (२): मार्केज arun dev http://www.blogger.com/profile/14830567114242570848noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-87141925302925454712020-08-09T07:46:52.425+05:302020-08-09T07:46:52.425+05:30अद्भुत कहानी का लाजवाब अनुवाद।अद्भुत कहानी का लाजवाब अनुवाद।रंजना अरगडेhttps://www.blogger.com/profile/01322221274177285891noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-56987162214109849312014-04-24T18:32:55.367+05:302014-04-24T18:32:55.367+05:30मार्केज का यथार्थवाद उनकी इस कहानी के अनगिनत दृश्य...मार्केज का यथार्थवाद उनकी इस कहानी के अनगिनत दृश्यों में नुमायाँ है. इन दृश्यों के हर रंग को अनुवादक ने बखूबी ज्यों का त्यों पाठकों के समक्ष रख दिया है. इसे पढ़कर कोई चित्रकार आसानी से अपना केनवास कहानी के मूल रंगों से भर सकता है. सुन्दर प्रस्तुति. परमेश्वर फुंकवालhttps://www.blogger.com/profile/18058899414187559582noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-46146676053248782132014-04-24T16:01:28.969+05:302014-04-24T16:01:28.969+05:30बहुत अच्छी कहानी है, खास मर्केज़ी असर से भर पूर, लै...बहुत अच्छी कहानी है, खास मर्केज़ी असर से भर पूर, लैटिन अमेरिका की पूरी तह्जीब को अपने अन्दर समेट कर एक नए लोक में जाने की जिद करती कहानी, सामंती दौर से आधुनिक दौर मेन दाखिल होती हई कहानी. <br />तर्जुमा बहुत अच्छा है, हम जैसे उर्दू लेखकों को भी एहसास नहीं होने पाया की हम दूसरी जुबान में कहानी पढ़ रहे हैं, जुबान में ग़ज़ब की रवानी है, बहुत अपनापन लगा. अपर्णा मनोज को बहुत बहुत मुबारकबाद.Rizvanul Haquehttps://www.blogger.com/profile/07910495579361551229noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-83408526926775367172014-04-23T20:18:26.952+05:302014-04-23T20:18:26.952+05:30कहानी का अंत मौत को आशावादिता में बदल देता है. ...कहानी का अंत मौत को आशावादिता में बदल देता है. 'ज़मीन से कचरा बुहारने वाला कोई आएगा और अंत्येष्टि के बाद यहाँ कचरा न होगा. कचरा न होगा.' बड़ी अम्मा के साथ डर का माहौल ख़त्म हो गया मानो नवयुग का आगमन हो गया हो. कहानी का अंत मौत को आशावादिता में बदल देता है. 'ज़मीन से कचरा बुहारने वाला कोई आएगा और अंत्येष्टि के बाद यहाँ कचरा न होगा. कचरा न होगा.' बड़ी अम्मा के साथ डर का माहौल ख़त्म हो गया मानो नवयुग का आगमन हो गया हो. श्रेष्ठ कहानी का अपर्णा ने बेहतरीन अनुवाद किया है.sarita sharmahttps://www.blogger.com/profile/03668592277450161035noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-14895074010401671482014-04-23T20:07:15.845+05:302014-04-23T20:07:15.845+05:30आपने अच्छा अनुवाद किया है. इस कहानी का ऐतिहासिक मह...आपने अच्छा अनुवाद किया है. इस कहानी का ऐतिहासिक महत्व है मार्केज़ के लेखन के सन्दर्भ में. कहते हैं इसी कहानी से उन्होंने जादुई यथार्थवाद की उस प्राविधि का प्रयोग शुरू किया जो आगे चलकर 'वन हंड्रेड ईयर्स... के बाद इनकी सिग्नेचर स्टाइल बन गई. अपनी भाषा में पढवाने का शुक्रिया. prabhat ranjanhttps://www.blogger.com/profile/13501169629848103170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-25382934240159785842014-04-23T19:32:58.656+05:302014-04-23T19:32:58.656+05:30आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 24-04-2014 को चर्चा मंच ...आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 24-04-2014 को चर्चा मंच पर दिया गया है <br />आभार दिलबागसिंह विर्कhttps://www.blogger.com/profile/11756513024249884803noreply@blogger.com