tag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post2853040827632014918..comments2024-03-18T14:45:15.993+05:30Comments on समालोचन : मीमांसा : आजादी, धर्म, देशभक्ति और राष्ट्रवाद : संजय जोठेarun dev http://www.blogger.com/profile/14830567114242570848noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-71091986044877176352015-10-06T10:03:45.012+05:302015-10-06T10:03:45.012+05:30निश्चित रूप से जिन ट्रेजेक्ट्रीज़ से हमारा समय घिरा...निश्चित रूप से जिन ट्रेजेक्ट्रीज़ से हमारा समय घिरा है, वह इतिहास की इस धारा में हमें पीछे धकेल रहा है। जरूरी आलेख।अपर्णाhttps://www.blogger.com/profile/13934128996394669998noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-69420677352897223382015-10-03T07:37:13.791+05:302015-10-03T07:37:13.791+05:30धार्मिक हिंसा, आतंकवाद और वर्चस्व की अभिलाषा का सा...धार्मिक हिंसा, आतंकवाद और वर्चस्व की अभिलाषा का सामाजिक और मनोवैज्ञानिक विश्लेषण। अत्यंत महत्वपूर्ण आलेख।Ajit Harshehttps://www.blogger.com/profile/06123937087813555958noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-67719623789698983322015-10-03T06:58:57.359+05:302015-10-03T06:58:57.359+05:30जबरदस्त लिखे है .बहुत तार्किक विवेचनजबरदस्त लिखे है .बहुत तार्किक विवेचनFaqir Jaynoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-23443979665680162772015-10-02T23:52:40.902+05:302015-10-02T23:52:40.902+05:30जैसे धर्म की दुकान किसी व्यक्ति या प्रतिक पर सजाई ...जैसे धर्म की दुकान किसी व्यक्ति या प्रतिक पर सजाई जाती है राष्ट्र भी कुछ हस्तियों की लाशों पर स्थापित किया जाता है। सांस्कृतिक राष्ट्रवाद और धार्मिक सत्तावाद दोनों एक दूसरे में समाहित हो चुके हैं। अलग-अलग समझना मुश्किल हैं। हाँ इसे नए नाम से बेहतर समझ सकते हैं और वह है "पूंजीवाद" और जिसकी अभियक्ति है "आतंकवाद"।<br />अच्छा लेख हैं!<br />साधुवादAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/01236685868596945920noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-27947018035948599532015-10-02T17:56:19.429+05:302015-10-02T17:56:19.429+05:30आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (03-...आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (03-10-2015) को <a href="http://charchamanch.blogspot.in/" rel="nofollow"> "तलाश आम आदमी की" (चर्चा अंक-2117) </a> पर भी होगी।<br />--<br />सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।<br />--<br />चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।<br />जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।<br />हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।<br />सादर...!<br />डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.com