tag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post2173950708593221666..comments2024-03-18T14:45:15.993+05:30Comments on समालोचन : परख और परिप्रेक्ष्य : शिगाफ़ : सुमन केशरीarun dev http://www.blogger.com/profile/14830567114242570848noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-82610677840756469032011-08-22T07:28:14.459+05:302011-08-22T07:28:14.459+05:30मैंने आपको 'हंस' में पढ़ा है...और आपके लेख...मैंने आपको 'हंस' में पढ़ा है...और आपके लेखन की प्रशंसक हूँRajluxmi Sharmahttps://www.blogger.com/profile/09146794345342834347noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-61298624424103299492011-03-09T11:13:54.818+05:302011-03-09T11:13:54.818+05:30इस उपन्यास को मेरी भी पढ़ने की इच्छा है, शीघ्र ही ...इस उपन्यास को मेरी भी पढ़ने की इच्छा है, शीघ्र ही खरीदकर पढूंगा. सुमनजी ने उपन्यास के प्रति मेरी इस इच्छा को और बढ़ा दिया है. वैसे सुमनजी को ग्वालियर कवितासमय में सुना और जाना, वे काफी प्रभावित करने वाली person हैं. विशेषकर उनका अध्ययन और विषय पर पकड़ अद्भुत है.प्रदीप जिलवानेhttps://www.blogger.com/profile/08193021432011337278noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-72819927586608945922011-03-08T22:25:47.670+05:302011-03-08T22:25:47.670+05:30"ग़र फ़िरदौस-ए-ज़मी अस्ते.....अमीं अस्ते अमीं..."ग़र फ़िरदौस-ए-ज़मी अस्ते.....अमीं अस्ते अमीं अस्ते" कश्मीर हमारे ज़हन में ऐसे तमाम पैकरों में नक्श़-नुमाया होता रहा है। वह खूबसूरती और प्रेम का ऐसा प्रतीक है (था) जो एक क्लासिकी में ढल चुका है। लेकिन अब वह एक ऐसी इब़ारत का नाम है जिसकी सतरों पर मरे हुए फाख्तों के पंख बिखरे हैं। वह ज़ेहाद और जंग के बीच तड़फड़ाती ज़िंदग़ी का जमा हुआ दर्द बन चुका है। उसकी वादियां सियासत और दहशतगर्दी के बीच फैली वीरानग़ी में गुनगुनाना बंद कर चुकी हैं। ज़िंदग़ी का ज़ज्बा फिर भी है कि थमता नहीं......उसे नयी बहारों के आने में यकीन है। कश्मीर इसीलिए इस लौटते भरोसे की उम्मीद का एक नाम भी है। उसे सब तअस्सुब़ और मज़हबी जुनून के मिट जाने का इंतज़ार है। शिग़ाफ़ पर वरिष्ठ कवियित्रि सुमन केशरी जी का आलेख पढ़ा। यह अस्मिता संकट के संवेदनशील पहलुओं से परिचित करवाने वाला सारगर्भित आलेख है। यह किस प्रकार एक बड़ा मानवीय संकट भी है - इसके अर्थ भी नये सिरे से खुलने लगते हैं। मनीषा कुलश्रेष्ठ जी को भी बधाई कि इतने बड़े विषय को उन्होंने औपन्यासिक ढाँचे में रचा। <br /><br />सुमन जी ने उपन्यास की समीक्षा इतनी बारीकी से की है कि उपन्यास को पढ़े बग़ैर भी पता चल जाता है कि कथा का मर्म कहाँ धड़कता है। उन्होंने जिस ढंग से उपन्यास के भीतर आदि से अंत तक फैले अस्मितावादी राजनीति के विकट सूत्रों को पकड़कर कथा की बनावट का विश्लेषण किया है उससे यह साबित होता है कि वे ख़ुद इस कृति के बाहर भी अपने ग़मे-दौरां से कितनी परेशान हैं। उनकी निग़ाह में विस्थापन और जड़ों से टूटने के दर्द मनुष्य की सबसे बड़ी त्रासदी है जो शायद शिग़ाफ़ के केंद्र में है। इसलिए वे इसे बार-बार विस्थापन से उपजी पीड़ा की कहानी बताती हैं। वे प्यार को नहीं समानांतर चरित्रों के प्यार को तरज़ीह देती हैं "जो परवान न चढ़ सकीं.. जो खून से रंगी गईं क्योंकि न जमीन पर शांति थी न मन में अमन"।सुशील कृष्ण गोरेhttps://www.blogger.com/profile/04554365008275575977noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-22524205285877504862011-03-08T22:10:53.578+05:302011-03-08T22:10:53.578+05:30उपन्यास पढ़ चुका हूँ, यह आलेक्ष पढ़ना सचमुच बढ़िया...उपन्यास पढ़ चुका हूँ, यह आलेक्ष पढ़ना सचमुच बढ़िया अनुभव होगा ! शुक्रिया पोस्ट करने के लिएShekhar Mallicknoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-17344806583317335582011-03-08T19:27:48.125+05:302011-03-08T19:27:48.125+05:30सुमन जी का आलेख बहुत ही बारीक पड़ताल लिए हुए था, स...सुमन जी का आलेख बहुत ही बारीक पड़ताल लिए हुए था, सुमन जी ने इतने कोणों से उपन्यास को देखा और उस पर प्रकाश डाला कि मैं अपने जाये की खूबियों पर खुद ही हैरान रह गई. सुमन जी ने जो समय व श्रम इस मेरी इस कृति को दिया उसके लिए आभार शब्द बहुत छोटा और अर्थहीन है. Manisha kulshreshthamanishahttps://www.blogger.com/profile/10156847111815663270noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-52952461858658955742011-03-08T14:05:04.496+05:302011-03-08T14:05:04.496+05:30आलेख पढने के बाद उपन्यास पढने की हूंस जाग उठी है भ...आलेख पढने के बाद उपन्यास पढने की हूंस जाग उठी है भाई!नवनीत पाण्डेhttps://www.blogger.com/profile/14332214678554614545noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-88064483333736165622011-03-08T13:52:49.587+05:302011-03-08T13:52:49.587+05:30review ko padhne ke baad amita ki trasdi jaanane k...review ko padhne ke baad amita ki trasdi jaanane ki jigyasa badhi hai .. suman ji aur Shigaf ki hamari lekhika Manisha ko bahut-bahut badhai ..अपर्णाhttps://www.blogger.com/profile/13934128996394669998noreply@blogger.com