tag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post1974425726891556957..comments2024-03-18T14:45:15.993+05:30Comments on समालोचन : अंकिता आनंद की कविताएँ arun dev http://www.blogger.com/profile/14830567114242570848noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-62050685413953912752019-12-27T10:28:09.430+05:302019-12-27T10:28:09.430+05:30प्रचलित फ़र्मे का टूटना और हिंदी-उर्दू शब्दों का ला...प्रचलित फ़र्मे का टूटना और हिंदी-उर्दू शब्दों का लाजवाब संयोग एवं सहजता -बहुत खूब अंकिता जी!<br /><br /><br /><br />आमीन<br /><br />‘निकले तख़्त की खातिर दर-ब-दर<br />सर झुका रहमत माँगने के इरादे से,<br />उतरे खुदाई का फर्क बताने पर,<br />खुदा बन गए, मुकरना ही था वादे से।<br />MADAN PAL SINGHhttps://www.blogger.com/profile/04666598449344462181noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-26653686291698770042019-12-26T18:47:52.830+05:302019-12-26T18:47:52.830+05:30जी नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल ...जी नमस्ते,<br />आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (27-12-2019) को <a href="http://charchamanch.blogspot.in/" rel="nofollow">"शब्दों का मोल" (चर्चा अंक-3562) </a> पर भी होगी।<br /><br />चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।<br /><br />जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।<br /><br />आप भी सादर आमंत्रित है <br />….<br />-अनीता लागुरी 'अनु 'Anita Laguri "Anu"https://www.blogger.com/profile/10443289286854259391noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-2591155783061976012019-12-25T11:53:08.535+05:302019-12-25T11:53:08.535+05:30 कविता कहने का सुलभ और दिलेराना अंदाज़. प्रचलित फ़र्... कविता कहने का सुलभ और दिलेराना अंदाज़. प्रचलित फ़र्मे से अलग और ख़ास तेवर.<br />Naresh Goswaminoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-19749418929794848132019-12-25T11:36:18.704+05:302019-12-25T11:36:18.704+05:30पढ़ते हुए लगा कि अपने गुजरते समय का प्रतिबिंब देख र... पढ़ते हुए लगा कि अपने गुजरते समय का प्रतिबिंब देख रहे हैं..<br />"निकास द्वार पीछे की ओर है"व 'पोस्टमार्टम'कविताएं..कचोटती हैं।<br />अंकिता को इस सार्थक,गहन सृजन हेतु बधाई व शुभकामनाएं!��<br />मंजुला बिष्टnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-86858657553116348912019-12-25T10:43:50.053+05:302019-12-25T10:43:50.053+05:30सुन्दर कविताएँ सुन्दर कविताएँ Onkarhttps://www.blogger.com/profile/15549012098621516316noreply@blogger.com