tag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post154257494214558257..comments2024-03-18T14:45:15.993+05:30Comments on समालोचन : परिप्रेक्ष्य : संपादकों के दायित्व : राहुल राजेशarun dev http://www.blogger.com/profile/14830567114242570848noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-88713584103002866862020-07-23T19:37:51.936+05:302020-07-23T19:37:51.936+05:30खरी-खरी लिखकर अच्छा किया। कई लोगों की मन की बात है...खरी-खरी लिखकर अच्छा किया। कई लोगों की मन की बात है। संपादक और प्रकाशक का दायित्व लेखक की कृतियों से पाठक को परिचित कराना है। यदि इस दायित्व को विस्मृत करके वह कुछ और कर रहा है तो यह नितांत गैर साहित्यिक कार्य है।मनीष कुमार सिंहnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-37663891652419815352014-06-02T14:28:13.982+05:302014-06-02T14:28:13.982+05:30राहुल जी लेख पढ़कर मन खुश हो गया। इसमें अपकी मेहनत ...राहुल जी लेख पढ़कर मन खुश हो गया। इसमें अपकी मेहनत नजर आ रही है। हमारी शुभकामनाएं आपके साथ है।अशोक नायकhttps://www.blogger.com/profile/05729925320388415949noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-86164385585752752422014-05-09T17:42:10.881+05:302014-05-09T17:42:10.881+05:30
रविन्द्र कालिया विचारधारा विशेष के प्रति हमेशा मे...<br />रविन्द्र कालिया विचारधारा विशेष के प्रति हमेशा मेहरवान रहे |एक वाकया मुझे याद है |जब वे वागर्थ के सम्पादक थे तो आचार्य शुक्लकी भाषा नीति की लगभग निंदा करते हुए एक लेख छपा |उसका जवाब देते हुए एक दूसरा लेख वागर्थ में भेजा गया तो उन्होनें कोई जवाब भी नहीं दिया और छापा भी नहीं |यह एक उदाहरण है विचार की तानाशाही का | फिर वह लेख मैनें अपनी पत्रिका समन्वय में प्रकाशित किया |रविन्द्र कालिया की निष्पक्षता संदिग्ध रही है Sadanand Gupta ·noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-72674602697700668852014-05-05T22:17:47.916+05:302014-05-05T22:17:47.916+05:30सही बात।..बढ़िया आलेख...बधाई...सही बात।..बढ़िया आलेख...बधाई...nuktachinihttps://www.blogger.com/profile/07588026708712219953noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-63641511482777489642014-05-05T10:01:23.528+05:302014-05-05T10:01:23.528+05:30कालिया जी की संपादकीय दृष्टि के बहाने राजेश ने पड...कालिया जी की संपादकीय दृष्टि के बहाने राजेश ने पड़तालपूर्वक बाते लिखी हैं । एकाध मुददों पर मतभिन्नता के बावजूद आलेख ध्यानाकर्षी है। ज्ञानपीठ की पुस्तकों के स्तर को लेकर यहां बातें नही की गयी हैं। उन पर भी बात होनी चाहिए।Om Nishchalnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-5737291328327529432014-05-04T19:14:45.049+05:302014-05-04T19:14:45.049+05:30bahut achcha aalekh hai
bahut achcha aalekh hai <br />Nilay Upadhyayhttps://www.blogger.com/profile/11983436832419492691noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-89969539752755002682014-05-04T16:42:13.392+05:302014-05-04T16:42:13.392+05:30मैंने २००८ में लिखना शुरू किया . आपने मुझ जैसे गैर...मैंने २००८ में लिखना शुरू किया . आपने मुझ जैसे गैरहिन्दी भाषी कवि के अनुभव लिखे हैं .अब तक दर्जनों नामी पत्रिकाओं और छ सात ब्लॉगों पर प्रकाशित तो हुआ हूँ पर ज्यादातर अनुभव अच्छे नहीं रहे . नया ज्ञानोदय ने फरवरी २०१३ में स्वीकृत करके भी मेरी कविताएँ आज तक नहीं छापी हालांकि मैं इसमें २०१० में भी छपा हूँ . वागर्थ , तदभव , हंस , समकालीन तीसरी दुनिया , आह्वान , शुक्रवार आदि को चार महीने से लेकर डेढ़ साल हो गए अपनी कविताएँ ई मेल किए . जवाब नहीं मिला . मैं यह नहीं कहता कि आप मुझे प्रकाशित ही करो पर अपना दायित्व तो निभाओ . रही बात प्रकाशित रचनाओं की तो ज्यादातर का स्तर क्या होता है यह छुपा नहीं है . इनको मैं मठाधीश ही कहूँगा . जो प्रतिभाओं का कत्ल करने को तैयार रहते हैं . विशेषांक का भी सुन लें ... एक अग्रज ने जब विशेषांक हेतु कविताएँ मांगी तो १५ दिन का समय दिया . अब डेढ़ साल होने को है . विशेषांक का क्या हुआ . कुछ पता नहीं . राजेश जी आपने कुछ छोड़ा ही नहीं लिखने के लिए . शानदार और बोल्ड आलेख के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद और बधाई !! अरुण देव जी आपका भी आभार !! कमल जीत चौधरीhttps://www.blogger.com/profile/02329691172978131438noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-78891122355770754482014-05-04T12:10:09.258+05:302014-05-04T12:10:09.258+05:30बहुत मेहनत से लिखा गया पठनीय आलेख। बधाई राहुल राजे...बहुत मेहनत से लिखा गया पठनीय आलेख। बधाई राहुल राजेश और अरुण देव जी....Rajeshwar Vashisthanoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1027279009513442421.post-33396098457938289252014-05-04T08:18:49.920+05:302014-05-04T08:18:49.920+05:30एक अच्छे आलेख के लिए साधुवाद... भाई राहुल राजेश.एक अच्छे आलेख के लिए साधुवाद... भाई राहुल राजेश.satyendr sengarhttps://www.blogger.com/profile/08982585722762943937noreply@blogger.com