नेपाली कविताएँ : अनुवाद : चन्द्र गुरुंग

























(फोटो - चन्द्र गुरुंग) 


चन्द्र गुरुंग नेपाली भाषा के युवा कवि हैं. वह समकालीन नेपाली कविताओं का हिंदी में और हिंदी, अंग्रेजी कविताओं का नेपाली में अनुवाद भी करते हैं. उनके किए अनुवाद समालोचन में पहले भी प्रकाशित होते रहे हैं.






नेपाली कविताएँ
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अनुवाद : चन्द्र गुरुंग




खुद को बेचने के बाद
बिमल निभा


एकदम से उसका बैँक बैलेंस बढ़ा.

उस के बाद, उसने हाथ बेच दिया
और खरीदा एक गर्म पंजा 
पैर बेच दिए
और खरीदा एक चमकीला जूता
माथा बेच दिया
और खरीदा एक टीका
छाती बेच दी
और खरीदा एक तमगा
दृष्टि बेच दी
और खरीदा एक चश्मा
शरीर बेच दिया
और खरीदी एक पोशाक
चेतना बेच दी, गौरव बेच दिया
विश्वास बेच दिया, आशा बेच दी
गति बेच दी, आत्मा बेच दी
और खरीदी बहुत सारी वस्तुएँ
जिसकी सूची उसने नही बनाई है.

सारे सामान को ड्रॉइंग रूम में
सजाने के बाद
एक दिन उसने सोचा
ये सारी चीजें किस के लिए ?
क्योंकि उसने तो खुद को बेच दिया है.



कालीन बुनने वालों का गीत
अविनाश श्रेष्ठ

आङ्निमा जब करघा छूती है
सब से पहले वह परिवार का खाना बुनती है, दाल बुनती है
शरीर ढकने के थोड़े से कपड़े बुनती है.

फिर आकाश बुनती है, हवा बुनती है
चाँद बुनती है, धूप बुनती है
थोड़ा-सा देश का नाम बुनती है.

पानी, नदी, पहाड़, धुंध
पक्षियों की आवाज, मिट्टी की खुशबू
जंगल की मीठी सिसकारी बुनती है
आङ्निमा जब करघा छूती है. 



ठंड की रात

अविनाश श्रेष्ठ



नींद
जेब में
हाथ
डालकर
उधर
खड़ी है
चुपचाप.


फुटपाथ पर  
ठिठुरकर
काँपते हुए
नग्न
तन पर
जाग रही है
अकेली
उदास
ठंड की
रात .

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chandu_901@hotmail.com

8/Post a Comment/Comments

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  1. Chandra has studied in Himachal for some years.... So he is familiar with Hindi and very good at its usage.... His Hindi To Nepali (Khashkura) and vice versa translations are quite close to the Originals.

    Badhai, Chandra bhai ����

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  2. वाकई वेदना को शब्द दे दिए ............बेहतरीन

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  3. शानदार कविताएँ....खास तौर पर बिमल निभा की कविता'खुद को बेचने के बाद'
    तो हतप्रभ कर देती है..सहज प्रवाहमान अनुवाद - कवियों और चन्द्र भाई को बधाई और शुक्रिया।समालोचन का आभार।

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  4. वाह। प्रभावशाली कविताएँ। शानदार अनुवाद और प्रस्तुति।

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  5. अच्छा चयन, बढ़िया अनुवाद।
    साधुवाद।

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  6. बहुत उम्दा कविताएं और उनके बहुत सार्थक और सटीक अनुवाद के लिए चंद्रा जी को हार्दिक बधाई

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  7. सारे सामान को ड्रॉइंग रूम में
    सजाने के बाद
    एक दिन उसने सोचा
    ये सारी चीजें किस के लिए ?
    क्योंकि उसने तो खुद को बेच दिया है.

    Behtareen kavitaein hain

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